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Deoghar News : धर्म मंदिर व गिरिजाघर तक सीमित नहीं, कर्म से भी व्यक्ति व समाज का उत्थान : स्वामी निरंजनानंद

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रिखियापीठ में पांच दिवसीय शतचंडी महायज्ञ के दूसरे दिन स्वामी निरंजनानंद व स्वामी सत्संगीजी के मार्गदर्शन में महिलाओं को देवी मां के प्रसाद के रूप में सिलाई मशीन दी गयी. वहीं कन्या-बटुक को कपड़े व साइकिल दिये गये. कन्याओं ने कीर्तन से देश-विदेश के भक्तों को झुमाया. सभी श्रद्धालुओं ने देवी मां का नियमित पाठ किया.

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संवाददाता, देवघर : रिखियापीठ में पांच दिवसीय शतचंडी महायज्ञ के दूसरे दिन स्वामी निरंजनानंद व स्वामी सत्संगीजी के मार्गदर्शन में महिलाओं को देवी मां के प्रसाद के रूप में सिलाई मशीन दी गयी. वहीं कन्या-बटुक को कपड़े व साइकिल दिये गये. कन्याओं ने कीर्तन से देश-विदेश के भक्तों को झुमाया. सभी श्रद्धालुओं ने देवी मां का नियमित पाठ किया. अनुष्ठान में स्वामी निरंजनानंद जी ने कहा कि हर व्यक्ति सुख-शांति अपने जीवन में प्राप्त करने का प्रयत्न करता है. कई धर्म के संस्थान भी होते हैं तो सुख, शांति व समृद्धि देने का दावा भी करते हैं, बावजूद सुख, शांति व समृद्धि नहीं मिल पाती है. अगर व्यक्ति धर्म व मोक्ष का कार्य अपनायें तो धर्म के साथ अर्थ व शांति दोनों की प्राप्ति होगी. धर्म मंदिर व गिरिजाघरों तक सीमित नहीं है. धर्म वास्तव में जीवन शुद्धता का आगमन है. बगैर कर्म के धर्म की शुद्धता नहीं है. हर व्यक्ति, परिवार व समाज का उत्थान कर्म से भी है. कर्म के अनुसार धर्म होना चाहिए. रिखियापीठ में धर्म के साथ-साथ गरीबों की सेवा, दान व प्रेम का कर्म है. इस कर्म के सहभागी निश्चित रूप से जीवन में सुख, शांति व समृद्धि की प्राप्ति कर रहे हैं. रिखिया गांव में 25 वर्ष पहले बच्चे बहुत कम स्कूल जाते थे, शरीर में पर्याप्त कपड़े नहीं थे. घर में संसाधन का अभाव था, उस दौरान स्वामी सत्संगीजी जब रिखिया पहुंची, तो देखकर चकित हो गयी थीं. परमहंस स्वामी सत्यानंद जी के संकल्प व स्वामी सत्संगीजी के प्रयत्न से रिखिया के लोगों के जीवन में सुंदर बदलाव आया. यही शुद्ध कर्म है, जिससे समाज का उत्थान हो रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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