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Rajendra Prasad Jayanti 2024: डॉ राजेंद्र प्रसाद का हजारीबाग कनेक्शन, गिरफ्तार कर इस जेल में रखे गए थे देशरत्न

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Rajendra Prasad Jayanti 2024: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की आज (तीन दिसंबर) जयंती है. आजादी की लड़ाई के दौरान उन्होंने हजारीबाग और रामगढ़ का दौरा किया था. इस दौरान अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर हजारीबाग के जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारागार में रखा था.

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Rajendra Prasad Jayanti 2024: बड़कागांव (हजारीबाग), संजय सागर-भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की आज (तीन दिसंबर) जयंती है. तीन दिसंबर 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई में उनका जन्म हुआ था. आजादी की लड़ाई के दौरान वे हजारीबाग और रामगढ़ का दौरा किया करते थे. उन्हें अंग्रेजों ने तीन बार गिरफ्तार कर हजारीबाग के लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारागार में रखा था. लेखक डॉ बी विरोत्तम की पुस्तक झारखंड दिग्दर्शन के अनुसार 11 जनवरी 1932 से 24 जून 1932 तक, दूसरी बार 22 जनवरी 1933 से 07 सितंबर 1933 तक हजारीबाग के केंद्रीय कारा में डॉ राजेंद्र प्रसाद को रखा गया था. तीसरी बार 28 जनवरी 1944 से 01 दिसंबर 1944 तक ग्यारह महीने जेल की सजा काट कर बाहर निकले थे.

आत्मकथा में हजारीबाग, रामगढ़ और बड़कागांव का जिक्र

राजेंद्र प्रसाद ने आत्मकथा में भी हजारीबाग, रामगढ़ और बड़कागांव का उल्लेख किया है. इस पुस्तक में उन्होंने अपने जेल जीवन की विस्तृत चर्चा की है और लिखा है कि अपने मित्रों की शिकायत दूर करने के लिए यह तर्क देते थे कि उन्होंने छोटानागपुर की अनदेखी नहीं की है, बल्कि जीवन का अधिकतर समय हजारीबाग में ही बिताया है. जेल में उनका अधिकांश समय अध्ययन, सूत कातने और राजनीतिक चर्चाओं में बीतता था. खान अब्दुल गफ्फार खां, राहुल सांकृत्यायन, महामाया प्रसाद सिंह, केबी सहाय, बाबू रामनारायण सिंह, जगत नारायण लाल, स्वामी सहजानंद सरस्वती समेत कई नेता देशरत्न के साथ इस जेल में रहे.

बड़कागांव के हरि मिस्त्री राजेंद्र प्रसाद से करते थे पत्राचार

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व आनंदित साव, प्रयाग रविदास, प्रकाल रविदास, पारस महतो ने भी किया था. हजारीबाग के कलेक्ट्रेट पर तिरंगा झंडा फहराने वाले स्वतंत्रता सेनानी केदार सिंह, सुधीर मलिक, कस्तूरी मल अग्रवाल, सीताराम अग्रवाल, चेतलाल तेली, रामदयाल साव, कांशी राम मुंडा थे. रामगढ़ अधिवेशन के दौरान डॉ राजेंद्र प्रसाद के सहयोगी बड़कागांव प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों से सूबेदार सिंह, चेता मांझी, लखी मांझी, ठाकुर मांझी, खैरा मांझी, बड़कू मांझी, छोटका मांझी, गुर्जर महतो भी थे. बड़कागांव निवासी राम लखन विश्वकर्मा का कहना है कि उनके पिता हरि मिस्त्री ने कांग्रेस के सक्रिय सदस्य के रूप में आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभायी थी. वे डॉ राजेंद्र प्रसाद के साथ पत्राचार किया करते थे. आज भी राम लखन विश्वकर्मा के पास संबंधित कागजात सुरक्षित हैं.

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