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बड़ा पाकतरी गांव में एक लोटा पानी की कीमत चार किमी पैदल मेहनत

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पांव में थकान के बावजूद पहाड़िया समुदाय के चेहरे पर दिखती है मुस्कान

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सुंदरपहाड़ी प्रखंड का बड़ा पाकतरी गांव के दर्द की बात की जाये, तो उन्हें हर जगह दर्द है. सड़क, स्वास्थ्य के साथ पेयजल की समस्या से भी ग्रामीण त्रस्त हैं. इनकी नीयती में ही केवल परेशानी व समस्या ही है. हर वर्ष गर्मी से लेकर जाड़े तक पहाड़ में रहने वाले लोगों के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से करोड़ों का फंड केवल पहाड़ के लोगों को पानी पिलाने में खर्च हो जाती है, मगर आज भी यहां के पहाड़िया पानी से काफी दूर हैं. बड़ा पाकतरी पंचायत के गांवों की स्थिति है कि स्थानीय लोगों को पानी के लिए हर दिन करीब तीन से चार किमी पथरीली व कच्चे पहाड़ी रास्ते के साथ झाड़-जंगल पार करना पड़ता है. ऐसे लोगों से बाहर के लोग अगर एक लोटा पानी मांग ले, तो शायद इसकी कीमत तीन किमी पैदल दूरी है. पांव में थकान के बावजूद पहाड़िया समुदाय के चेहरे पर मुस्कान दिखती है.

बड़ा पाकतड़ी पंचायत के 26 गांवों का दर्द :

बड़ा पाकतड़ी पंचायत के गांव के लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं. पानी यहां के लोगों के लिए बडी बात है. पेयजल के लिए ग्रामीणों को पहाड़ की चोटी से नीचे उतरना पड़ता है. किसी-किसी गांव में ग्रामीणों को तो चार किमी पानी के लिए नीचे आना पड़ता है, तभी वे परिवार के लिए पेयजल की व्यवस्था कर पाते हैं. वहीं पेयजल लेकर वापस अपने गांव पहुंचने के लिए खड़ी ऊंचाई से गुजरने पर घायल होना भी पहाड़िया समुदाय की मजबूरी है. यहां लोगों को छोटे-छोटे बर्तनों के सहारे कई बार पेयजल की आवश्यकता की पूर्ति हेतु नीचे ऊपर-चढ़ना उतरना पड़ता है. बताते चलें कि पंचायत में कुल 26 गांव हैं. लगभग सभी गांव की स्थिति कमोबेश एक समान है. ग्रामीणों के मुताबिक पेयजल हेतु इस पंचायत के लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. यहां के लोगों का दिन के लगभग तीन से चार घंटे का समय पानी के लिए पानी में ही बर्बाद होता है. कई बार तो झरना का पेयजल सूखने पर अहले सुबह नींद खुलते ही लोग पेयजल की व्यवस्था में निकलते हैं. गर्मियों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है. इसका कारण है कि यहां के लोगों को पेयजल के लिए दूरदराज तक कई झरनों का चक्कर लगाना पड़ता है. तब बड़ी मुश्किल से पेयजल की व्यवस्था हो पाती है. ग्रामीण बताते हैं कि भीषण गर्मी के समय गंभीर पेयजल संकट के कारण हमारे गांव में सगे-संबंधी भी आने से कतराते हैं. पेयजल की जुगाड़ करने में बिना रुके-थके अधिकतर समय बर्बाद करना पड़ता है.

डगर से पनघट तक जाना हर दिन की चुनौती :

पंचायत के लोगों की व्यथा सुनकर कलेजा ही मुंह को आ जाता है. बड़ा पाकतरी के लोगों का गांव प्रयाग पहाड़ की चोटी पर बसा हुआ है. पेयजल के लिए लोगों को पहाड़ की ऊंची चोटी से लगभग 2-3 किलोमीटर पर नीचे तलहटी में स्थित झरना से पेयजल लेकर उबड़-खाबड़ नुकीले पत्थरों वाले टेढ़े-मेढ़े और खड़ी ऊंचाई जैसे कठिन रास्ते से गुजरना पड़ता है. कई बार पैर भी बुरी तरह घायल हो जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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