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क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह का करें त्याग, होंगे जीवन में सफल:आगमानंद जी महाराज

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प्रतिनिधि, खगड़िया क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह का त्याग कर जीवन में सफल हो सकते हैं. उक्त बातें बुधवार को सन्हौली स्थित ठाकुरबाड़ी मंदिर परिसर में श्री शिव शक्ति योगपीठ

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प्रतिनिधि, खगड़िया क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह का त्याग कर जीवन में सफल हो सकते हैं. उक्त बातें बुधवार को सन्हौली स्थित ठाकुरबाड़ी मंदिर परिसर में श्री शिव शक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर राम चंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने प्रवचन के दौरान कही. श्री रामजानकी ठाकुरबाड़ी सन्हौली के प्रागंण में श्री श्री 108 विष्णु महायज्ञ सह श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन वामन अवतार पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है. उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करना चाहिए. उन्होंने भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया. भजन मंडली की ओर से प्रस्तुत किये गये भजनों पर श्रोता भाव विभोर होकर झूमने लगे. महाराज जी ने वामन अवतार पर चर्चा करते हुए कहा कि वामन अवतार में भगवान विष्णु ने दैत्यराज बलि से तीन पग पृथ्वी दान में मांगी थी. बलि ने दैत्यगुरु शुक्राचार्य के विरोध के बावजूद जब वामन को तीन पग पृथ्वी देना स्वीकार कर लिया तो वामन ने अपना आकार बढ़ा लिया. दो पगों में आकाश और पाताल को माप लिया. जब तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान ही नहीं बचा, तो प्रतिज्ञा-पालक बलि ने अपना शीश तीसरा पग रखने के लिए समर्पित कर दिया. विष्णु ने तीसरे पग से बलि को सुतल-लोक में धंसा दिया, लेकिन उसकी दानवीरता से प्रसन्न होकर राजा बलि को अमर-पद भी प्रदान कर दिया.

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