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ranchi news : मौखिक परंपरा में छिपी हुई है ज्ञान और समृद्ध विरासत : महादेव टोप्पो

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जीवनी शक्ति प्रसारण के नये माध्यमों के संदर्भ में मौखिक परंपरा का महत्व के विषय पर अरुणाचल प्रदेश में लिट फेस्ट हुआ.

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रांची. अरुणाचल प्रदेश के साहित्यिक सम्मेलन अरुणाचल लिट फेस्ट में शिरकत कर झारखंड के साहित्यकार महादेव टोप्पो वापस रांची लौट आये हैं. यह सम्मेलन 13 से 15 नवंबर तक अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में हुआ. विषय था जीवनी शक्ति प्रसारण के नये माध्यमों के संदर्भ में मौखिक परंपरा का महत्व. साहित्यकार महादेव टोप्पो ने झारखंड के संदर्भ में बात की. उन्होंने कहा कि आज हम आधुनिक दुनिया में जी रहे हैं, जिसमें एआइ जैसी टेक्नोलॉजी आ गयी है. इसके बावजूद मौखिक परंपरा में बहुत ज्ञान और समृद्ध विरासत छिपी है. उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत फार्मास्यूटिकल कंपनियां आदिवासी इलाकों से दवाओं के लिए जरूरी सामग्रियां लेती हैं लेकिन इसका श्रेय आदिवासियों को नहीं देती है.

आदिवासियों ने मनुष्य-धरती-प्रकृति के अंतरसंबंध को मौखिक परंपरा में सहेजकर रखा है

महादेव टोप्पो ने कहा कि आदिवासियों ने मनुष्य-धरती-प्रकृति के अंतरसंबंध को मौखिक परंपरा में सहेजकर रखा है. लेकिन आधुनिक समाज इस व्यवस्था को तोड़ता है, जो आत्मघाती है. आज विकास को लेकर जो गतिविधियां हो रही हैं, उससे प्रदूषण बढ़ रहा है. उन्होंने उरांव समुदाय की धुमकुड़िया परंपरा का जिक्र किया और कहा कि वहां पर अनुशासनपूर्ण जीने की कला सिखायी जाती है. श्री टोप्पो ने कहा कि आदिवासी समुदाय आज जिन सवालों को उठा रहा है, उसका जवाब सभ्य समाज के पास नहीं है. उन्होंने अपने संबोधन में झारखंड के फिल्मकारों का जिक्र करते हुए कहा कि बीजू टोप्पो, निरंजन सहित अन्य अपनी फिल्मों के माध्यम से आदिवासी समुदाय से जुड़े मुद्दों को उठा रहे हैं. साथ ही मौखिक परंपरा से जुड़ी फिल्में भी बना रहे हैं. सम्मेलन में सूत्रधार की भूमिका रजाको डेले ने निभायी. कनाटो चौठे, बोंपाई रिबा आदि ने भी अपनी बातें रखीं.

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