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झांसी के एक अस्पताल में आग लगने से दस बच्चों की मौत हो गयी. हालांकि इतने बड़े हादसे के बाद भी कई अस्पतालों ने इस पर संज्ञान नहीं लिया है.

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उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर झांसी के एक अस्पताल में आग लगने से दस बच्चों की मौत हो गयी. हालांकि इतने बड़े हादसे के बाद भी कई अस्पतालों ने इस पर संज्ञान नहीं लिया है. अगर मुजफ्फरपुर की बात करें तो यहां एसकेएमसीएच उत्तर बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल है. यहां सेफ्टी सिस्टम तो लगा है, लेकिन उसका मेटेंनेंस नहीं होता. एक महीने पहले ही यहां के आइसीयू में शॉर्ट सर्किट से आग लग गयी थी. आनन फानन में सभी मरीजों को डेंगू वार्ड में शिफ्ट किया गया. उस दौरान जल्दीबाजी कर आग पर तो काबू पा लिया गया, लेकिन सेफ्टी सिस्टम चालू नहीं हो सका. यहां आग पर काबू पाने के लिए पानी के दो बड़े टैंक बनाए गए हैं, इससे फायर सेफ्टी सिस्टम जुड़ा है, लेकिन यह टैंक आज तक चालू नहीं हो पाया. एसकेएमसीएच के कई वार्डों में बिजली के तार बेतरतीब तरह से लटके हुए हैं, लेकिन उसे दुरुस्त नहीं किया जा रहा है. अगर यहां कोई अनहोनी हो जाए तो उससे बचाव कैसे होगा, इसका प्रबंध नहीं है. सदर अस्पताल के एमसीएच में फायर कंट्रोल सिस्टम नहीं सदर अस्पताल में अगर शॉट सर्किट से आग लगती है तो उसे काबू करना मुश्किल होगा. ऐसी स्थिति में अनहोनी भी हो सकती है. यहां के एमसीएच में फायर सिस्टम अधूरा लगा कर छोड़ दिया गया है. यहां लगे अग्नि शमन यंत्र भी एक्सपायर हो चुका है. ऐसे में मरीजों की जान कैसे बचेगी. यहां के वार्ड में कई जगहों पर बिजली के तार लटके पडे हैं. ओपीडी में भी बिजली के तार लटके हुए हैं. यहां रोज मरीजों की काफी भीड़ रहती है. पुरुष सर्जिकल वार्ड की भी ऐसी ही स्थिति है. सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ बीएस झा ने का कि एमसीएच बिल्डिंग में अस्पताल स्तर से फायर सेफ्टी का काम कराया गया है. बचा हुआ काम बिल्डिंग का निर्माण करने वाली एजेंसी बीएमआइसीएल को करनी है. इसके लिए उसे पत्र भी लिखा गया है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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