26.1 C
Ranchi
Wednesday, February 12, 2025 | 07:29 pm
26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

नारायण वन में पांच राज्यों से छठ पूजा करने पहुंचते हैं श्रद्धालु

Advertisement

नारायण वन में पांच राज्यों से छठ पूजा करने पहुंचते हैं श्रद्धालु

Audio Book

ऑडियो सुनें

गढ़वा जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित केतार प्रखंड का नारायण वन सूर्य मंदिर की ख्याति झारखंड समेत बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश में भी है. इस वर्ष भी यहां कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ महापर्व प्रारंभ हो रहा है. इसे लेकर प्रशासन के सहयोग से मंदिर विकास समिति ने जोर-शोर से मंदिर प्रांगण की साफ-सफाई, स्नान, पेयजल, लाइटिंग, डेकोरेशन, सीसीटीवी, पार्किंग, मेला तथा मेडिकल की व्यवस्था छठव्रतियों के साथ-साथ आम एवं वीआइपी अतिथियों के लिए की जा रही है.

कैसे बढ़ रही है ख्याति

यहां सैकड़ो वर्ष पूर्व कृष्णानंद ब्रह्मचारी के स्वप्न में मुकुंदपुर पहाड़ों की तलहटी स्थित भूत गड़वा नामक स्थान पर जलकुंड के पास दो मूर्तियां दबे होने का स्वपन आया. इसके बाद ग्रामीणों के साथ ब्रह्मचारी जी वहां पहुंचे तथा खुदाई की. जहां से सूर्य की आकृति उभरी दो दिव्य पत्थर की मूर्तियां मिली. जिसे कुछ वर्षों तक लोग इस स्थान पर रखकर पूजा- अर्चना करने लगें. इसके बाद इसे सन 1955 में एक छोटे से चबूतरे पर उक्त दोनों मूर्तियों को स्थापित किया गया. बाद में जन सहयोग से एक छोटे से मंदिर में उक्त मूर्ति को अधिष्ठापित किया गया. आस-पास के इलाके में भगवान सूर्य के मंदिर नहीं होने के कारण तथा श्रद्धालुओं की बढ़ती श्रद्धा के कारण उक्त स्थान पर आस-पास के लोग छठ व्रत करने लगे. बाद में भूतगड़वा नामक स्थान को नारायण वन के नाम से जाना जाने लगा.

अग्रभाग में घोड़े पर सवार हैं भगवान सूर्य : मंदिर के अग्रभाग में सारथी के साथ-साथ घोड़े पर सवार भगवान सूर्य को दर्शाया गया है. यहां की मोहक एवं मनोरम वादियां श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है. मंदिर के नीचे पहाड़ों की कंदराओं से वर्ष भर जल का प्रवाह होता रहता है, जो जलकुंड से होकर बाहर निकल जाता है. इसी जलकुंड में व्रती स्नान करते हैं.

पौराणिक विधि से होता है छठ : नारायण वन में छठ व्रत के अवसर पर बृहद मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों लोग पहुंचते हैं. वहीं विभिन्न राज्यों से 40 से 50 हजार छठव्रती छठ व्रत के लिए यहां आते हैं. यहां बाहर से आये श्रद्धालु दो दिन पूर्व ही नारायण वन पहुंचकर अपना स्थान सुरक्षित कर लेते हैं तथा नहाय-खाय के साथ यहां पौराणिक विधि- विधान से खरना एवं अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ अर्पित करने के बाद पूरी रात नारायण वन में कुटिया बनाकर द्वीप प्रज्वलित कर पूजा-अर्चना में मग्न हो जाते हैं. इसके बाद सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ अर्पित कर मंदिर में पूजा-अर्चना कर वापस अपने घर को लौट जाते हैं.

मिला पर्यटन स्थल का दर्जा : पहाड़ों की तलहटी में सुनसान जगह पर स्थित नारायण वन में छठ के दो दिन पूर्व से ही आकर्षक लाइटिंग एवं डेकोरेशन के कारण पूरा पहाड़ी क्षेत्र जगमगा उठता है. इसकी भव्यता एवं ख्याति को देखते हुए गत वर्ष झारखंड सरकार ने नारायण वन को पर्यटन स्थल का दर्जा दिया गया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें