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Ghatshila News : बांदना पर्व पर महिलाओं ने बैलों की आरती उतार अरवा चावल से चुमाया

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मुर्गे की बलि देकर गोहाल व हल की पूजा हुई, लकड़ी से बने गोरया देवता को गोहाल (पशुधन शेड) में विधि-विधान से स्थापित की गयी.

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गालूडीह. गालूडीह क्षेत्र के गांवों में शनिवार को बांदना पर्व की धूम रही. खासकर कुड़मी समाज ने पर्व का धूमधाम से मनाया. सुबह में मुर्गे की बलि देकर गोहाल पूजा की गयी. वहीं, शाम में आंगन और घर के बाहर महिलाओं ने समूह में बैलों को आरती उतारी. अरवा चावल से चुमाया. बड़ाकुर्शी, पायरागुड़ी, दारीसाई, कुलियाना, पुतड़ू, आमचुड़िया, छोटाकुर्शी, जोड़सा, खड़ियाडीह, कमारीगोड़ा आदि गांवों के ग्रामीणों ने मुर्गे की बलि देकर गोहाल पूजा की. लकड़ी से बने गोरया देवता को गोहाल (पशुधन शेड) में विधि-विधान से स्थापित की गयी.

धान की बालियों से पशुओं का किया शृंगार

ग्रामीणों ने बताया कि पूजा के दिन महिलाएं उपवास रह कर धान के पके पौधे से मुकुट बनाकर पशुओं का शृंगार करती हैं. चावल की गुंडी (आटा) से घर से लेकर गोहाल तक अल्पना (रंगोली) बनाती हैं. पूजन के बाद पशु बाहर निकालते हैं.

कृषि उपकरणों की हुई पूजा

इस दौरान कृषि उपकरण हल, कुदाल आदि की भी पूजा की गयी. खड़ियाडीह में बुलूरानी महतो, सावित्री महतो, पविता महतो, कविता महतो, शांति महतो, बांसती महतो, कल्यानी महतो, मंजू रानी महतो, सारती महतो, चारूलता महतो आदि महिलाओं ने बैलों को चुमाया और बैलों को गुड़ पीठा खिलाया.

गांवों में आज रहेगी गोरू खुंटाव की धूम

गोहाल पूजा और गौ चुमान के दूसरे दिन रविवार को गालूडीह क्षेत्र के कई गांवों में गोरू खुंटाव का आयोजन होगा. खुंटाव के पूर्व पशुओं को धोकर उनका विशेष शृंगार किया जायेगा. इसके बाद महिलाएं पशुओं का पूजन कर आशीर्वाद लेंगी. गांव के ताकतवर पशुओं का विशेष शृंगार कर खूंटे में बांधा जायेगा.

संताली समाज ने मनाया दाकाय माहा, घूम-घूमकर गाया सोहराय

आदिवासी समाज ने सोहराय पर्व पर सोहराय गीत गाया. इसके बाद बैलों को चुमाया. समाज के लोगों ने कहा कि फसल काटकर घरों में लाने पर पहला निवाला बनाया जाता है, उसे संताली भाषा में दाकाय माहा बोला जाता है. शनिवार को दाकाय माहा मनाया गया. सभी महिला, पुरुष व बच्चे पारंपरिक परिधान में शामिल हुए. सोहराय गीत गाकर खुशियां मनायी. पुरुष मांदर और नगाड़ा लेकर पूरे मुहल्ले में घूम-घूमकर बांसुरी के साथ सोहराय गीत गाया. वहीं, महिलाएं पारंपरिक परिधान में कांसे के लोटा में पानी और सूप लेकर गाय और बैलों का चुमाया. मौके पर चावल से बना हड़िया का सेवन किया गया. सभी लोग एक दूसरे को अपने घरों में बुलाकर हड़िया पिलाया. बताया गया कि रविवार से गोरू खुंटाव प्रतियोगिता होगी, जिसमें बैलों को खूंटे से बांध कर ढोल धमसे बजाकर नाचाया जायेगा. प्रतियोगिता में जिनके बैल जितेंगे उसके मालिक को पुरस्कृत किया जायेगा.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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