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Dhanbad News: माइनिंग क्षेत्र में रिसर्च को लेकर IIT ISM बना देश का चेहरा, टेक्समिन से इनोवेशन को बढ़ावा

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Dhanbad News: माइनिंग के क्षेत्र में अनुसंधान को लेकर आइआइटी आइएसएम देश का चेहरा बन गया है. रूस में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में आइआइटी आइएसएम ने देश का प्रतिनिधित्व किया. इसमें निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा और उपनिदेशक प्रो धीरज कुमार ने वैश्विक मंच पर रिसर्च की जानकारी दी.

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Dhanbad News: धनबाद-वैश्विक स्तर पर खनिज क्षेत्र में अनुसंधान के क्षेत्र में आइआइटी आइएसएम अब देश का चेहरा बन गया है. पिछले दिनों रूस में हुए ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में आइआइटी आइएसएम ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था. रूस के प्रसिद्ध सेंट पीटर्सबर्ग माइनिंग यूनिवर्सिटी में ‘खनिज संपदा राष्ट्र की संप्रभुता का प्रतीक है’ विषय पर आयोजित पांच दिवसीय सम्मेलन में देश का प्रतिनिधित्व किया गया था. इस सम्मेलन का आयोजन 15 से 20 अक्तूबर तक किया गया था. इसमें खनिज और क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में आइआइटी आइएसएम में हो रहे अनुसंधान की जानकारी संस्थान के निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा और उपनिदेशक प्रो धीरज कुमार ने इस वैश्विक मंच पर रखी. इस सम्मेलन में ब्रिक्स देशों के सभी सदस्य देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के खनन वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया था.

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टेक्समिन के संबंध में दी गयी जानकारी

इस सम्मेलन में निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा ने संस्थान में भारत सरकार के सहयोग से स्थापित कंपनी टेक्समिन के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि टेक्समिन किस तरह से माइनिंग क्षेत्र में भारत में इनोवेशन को बढ़ावा दे रहा है. इसके साथ ही उन्होंने संस्थान में स्थापित अलग इनोवेशन सेंटर के संबंध में भी अपनी बात रखी.

पहले भी वैश्विक मंच पर रहा है आइआइटी आइएसएम

इससे पहले भी खनिज और ऊर्जा के क्षेत्र में देश में हो रहे अनुसंधान को लेकर भारत सरकार ने वैश्विक मंच पर आइआइटी आइएसएम को आगे रखा है. 2014 में ऑस्ट्रेलिया से माइनिंग सेक्टर में साझेदारी बढ़ाने का दायित्व आइआइटी आइएसएम के कंधों पर डाला गया था. इसके बाद आइआइटी आइएसएम और ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर काम शुरू किया गया. इस साझेदारी को मजबूत करने के लिए तब भारत में ऑस्ट्रेलिया के काउंसल जनरल ने आइआइटी आइएसएम का दौरा किया था. इसके साथ ही आइआइटी आइएसएम को अफगानिस्तान में खनिज क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की जिम्मेदारी भी भारत सरकार ने आइआइटी आइएसएमको सौंपा था. इसी के तहत अफगानिस्तान के छात्रों को माइनिंग इंजीनियरिंग करने के लिए आइआइटी आइएसएम में आने के लिए प्रोत्साहित किया गया था. हांलांकि बाद में अफगानिस्तान में राजनीतिक हालात में परिवर्तन होने से तत्काल इस सहयोग पर ब्रेक लग गया है.

देश का है इनोवेशन हब

आइआइटी आइएसएम के निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा ने कहा कि आज आइआइटी आइएसएम खनिज और खनन क्षेत्र में देश का इनोवेशन हब है. इसके विशेषज्ञों ने देश के खनन क्षेत्र में नई तकनीक के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. अब हम क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में अनुसंधान कर रहे हैं. इन दोनों क्षेत्रों में हम निरंतर ही बेहतर कर रहे हैं.

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