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कम लागत में खेतों में लहलहा रही मरुवा की फसल

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कृषि विभाग के पदाधिकारियों ने लिया फसल का जायजा

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– कृषि विभाग के पदाधिकारियों ने लिया फसल का जायजा प्रतिनिधि, बनमनखी. खरीफ फसल रागी यानी मरुवा की खेती के प्रति बनमनखी अनुमंडल के किसानों ने दिलचस्पी दिखायी है . मोहनिया चकला पंचायत के किसान प्रदीप कुमार साह के मरुवा के खेतों का अनुमंडल कृषि पदाधिकारी गीतांजलि सिंह , कृषि कोडिनेटर प्रेम प्रकाश, पंचायत सचिव ने जायजा लिया. कृषि कोऑर्डिनेटर प्रेम प्रकाश ने बताया कि रागी मरुवा मोटे अनाज के तौर पर जाना जाता है. धान के विकल्प में इस फसल को किया जा सकता है.इस फसल को तैयार होने में 4 महीने का समय लगता है. खेत की जुताई, खाद,बीज से तक में एक एकड़ में 7 हजार रुपए खर्च होता है. एक एकड़ में मरुवा की उपज 7 से 9 क्विंटल तक होती है. मरुवा का बाजार भाव 60 रुपया है. इस हिसाब से 42000 हजार से 54000 हजार रुपए कमाई कर सकते हैं. अनुमंडल कृषि पदाधिकारी गीतांजलि सिंह ने बताया कि मरुवा को 2023 में अंतरराष्ट्रीय मिलेट दिवस घोषित किया गया है .इसमें भारत सरकार की अहम भूमिका रही है.मोटे अनाज को श्री अन्न भी कहा जाता है. स्वास्थ्य और मिट्टी की दृष्टिकोण से लाभकारी है. अन्य फसलों की ज्यादा उपज लेने के लिए किसान रासायनिक उर्वरकों का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करते हैं इससे जमीन बंजर हो रही है. जमीन को बंजर होने से बचाने के लिए और कम खर्च में अधिक मुनाफा के लिए मरुवा की खेती लाभकारी है. मरुवा की खेती दो तरह से की जाती है. धान की तरह रोपाई भी की जाती है और बुआई भी की जाती है. किसान अपने सुविधा के अनुसार मरुवा की खेती कर सकते हैं. मोहनियां चकला निवासी कृषक प्रदीप कुमार साह ने बताया कि हमने तीन एकड़ जमीन में मरुवा की खेती की है. विभाग के द्वारा मरुवा का बीज फ्री में उपलब्ध कराया गया था. दो एकड़ की फसल तैयार हो चुकी है. दो एकड़ में लगभग 16 क्विंटल दाने हो गए हैं. लागत की बात करें तो 7 हजार रुपए प्रति एकड़ खर्च आया है .इस हिसाब से मुनाफा अन्य फसलों की अपेक्षा काफी अधिक हुआ है. एक एकड़ में 48000 हजार रुपए का मुनाफा हुआ है फ़ोटो परिचय:- 17 पूर्णिया 17- मरुवा खेतों का जायजा लेते कृषि पदाधिकारी

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