Fake Eco-Friendly: बाजार से सामान खरीदते समय पैकेट पर ऑर्गेनिक, इको फ्रेंडली, शुद्ध, नेचुरल और बॉयोडिग्रेडेबल का लेबल लगे होने पर आप भी कहीं खरीदने के लिए ललचाते तो नहीं हैं. अगर ऐसा है तो आपके साथ बहुत बड़ा धोखा हो रहा है. इनमें से अधिकतर ब्रांड के ऊपर ऐसे फर्जी लेबल चिपकाए गए हैं, ताकि पर्यावरण और अपनी सेहत बचाने के नाम पर आप अपनी जेब ढीली कर दें.
ग्राहकों को लुभाने की मार्केटिंग स्ट्रेटजी के तहत ऐेसे फर्जी दावे कर कंपनियां अपने माल बेच रही हैं. इस रणनीति को ग्रीनवाशिंग कहा जाता है. आप ही नहीं देश के उपभोक्ता वर्ग का बड़ा हिस्सा जैविक और हरित उत्पाद के नाम पर ठगा जा रहा है. कई बड़ी कंपनियों के दावों का भी भंडाफोड़ हो चुका है. यह समस्य़ा इतनी भयानक रूप ले चुकी है कि भारत सरकार को कदम उठाना पड़ा है. केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण को नया गाइडलाइन जारी करना पड़ा है.
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Fake Eco-Friendly: यह जान जाएंगे तो पर्यावरण के नाम पर धोखे के नहीं होंगे शिकार
ग्रीनवाशिंग के नाम पर भारत के नागरिकों की हो रही ठगी भारत सरकार के लिए एक बड़ी चिंता बन गई है. इसकी रोकथाम के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने नया गाइडलाइन और रेगुलेशन जारी किया है. धोखाधड़ी के शिकार हो रहे आम लोगों के लिए भी यह जानना जरूरी है. यह गाइडलाइन पढ़कर आप ऑर्गेनिक के नाम पर फर्जी दावों की जांच कर सकते हैं.
गाइडलाइन के तहत कंपनियों को ऑर्गेनिक, इको फ्रेंडली, शुद्ध, नेचुरल और बॉयोडिग्रेडेबल का लेबल लगाने से ही काम नहीं चलेगा. ऐसा लिखने से पहले कंपनियों को वैज्ञानिक सबूत देना होगा. इन सबूतों को पढ़कर आप वास्तव में प्रदूषण को रोकने वाला और नुकसान से बेचने वाले उत्पाद को खरीदकर पर्यावरण को बढ़ावा दे सकते हैं.
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Fake Eco-Friendly: ऑर्गेनिक, इकोफ्रेंडली उत्पाद का दावा करने वाली कंपनियों को देने होंगे ऐसे सबूत
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकार की गाइडलाइन में कहा गया है कि कंपनियों को कोई भी सामान बनाने की प्रक्रिया की पूरी जानकारी देनी होगी. मसलन, अगर किसी सामान के पैकेट पर बॉयोडिग्रेडेबल लिखा है, तो उन्हें बताना होगा कि उसके बनाने में किन-किन सामग्री का इस्तेमाल हुआ है. उसे कैसे डिस्पोज किया जा सकता है. इसका वैज्ञानिक सबूत भी दिखाना होगा.
कंपनियों को केवल उत्पाद प्रक्रिया ही नहीं बल्कि पैकेजिंग के प्रोसेस के बारे में भी पूरी जानकारी देनी होगी. प्राधिकार की गाइडलाइन में कहा गया है कि ऐसा कंपनियों को अपने उत्पाद के दावों के बारे में पारदर्शी रखने के लिए कहा गया है. अगर उत्पादों पर ऑर्गेनिक, ग्रीन या इको फ्रेंडली जैसे शब्द लिखे जा रहे हैं तो उसके सही सबूत होने चाहिए.
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