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Chanakya Niti: दुख में सहारा बनते हैं ये 3 लोग

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Chanakya Niti: इस लेख में आपको यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि आचार्य चाणक्य के अनुसार, जब मनुष्य दुख में रहता है तो ये तीन लोग ही उसका सहारा बनते हैं.

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियां लोगों के बीच काफी प्रचलित है, इसके प्रचलित होने का एक कारण यह भी है कि इन नीतियों में कई सारे कठिन सवालों का बहुत आसान उत्तर मिल जाता है, जो आचार्य चाणक्य के अनुभवों पर आधारित है. उनकी नीतियां मनुष्य को जीवन का सार प्रदान करती हैं, जिससे कई लोग जीवन का मार्गदर्शन भी प्राप्त करते हैं. चाणक्य नीति में बहुत सहज तरीके से यह बताने का प्रयास भी किया गया है कि मनुष्य को अपने जीवन में किस प्रकार का व्यवहार रखना चाहिए और किन चीजों से उन्हें हमेशा बच कर रहना चाहिए. इस लेख में आपको यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि आचार्य चाणक्य के अनुसार, जब मनुष्य दुख में रहता है तो ये तीन लोग ही उसका सहारा बनते हैं.

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पुत्र और पुत्री

आचार्य चाणक्य का यह मानना है कि जब व्यक्ति दुख में होता है, तो उसके पुत्र और पुत्री सबसे पहले उसकी सेवा के लिए खड़े हो जाते हैं, क्योंकि ऐसा कोई भी सुपुत्र या सुपुत्री नहीं हो सकता है, जो अपने माता-पिता को कष्ट में देख पाए. माता-पिता को होने वाला थोड़ा दुख भी बेटे और बेटी को बेचैन करने कर लिए काफी होता है.

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जीवनसाथी

जीवनसाथी को इसलिए भी जीवनसाथी कहा जाता है, क्योंकि ये पूरे जीवन व्यक्ति के सुख और दुख में उनका साथ देते हैं. आचार्य चाणक्य का यह मानना है कि जब व्यक्ति को किसी भी प्रकार का दुख होता है तो उसका जीवनसाथी उसके साथ हमेशा खड़ा रहता है. यही इस रिश्ते की सबसे बड़ी खूबसूरती होती है.

भगवान के भक्त

जब मनुष्य को बहुत कष्ट होता है, तब उसे भगवान के चरणों में सबसे ज्यादा सुख की प्राप्ति होती है, ये मनुष्य की एक प्रवृत्ति भी समझी जाती है कि उन्हें सुख से ज्यादा दुख में भगवान की याद आती है. ऐसे में जो मनुष्य भगवान की भक्ति से बहुत दूर रहते हैं, आचार्य चाणक्य के अनुसार भगवान के सच्चे भक्त ही उन्हें दुख से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं.

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