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दुनिया की नजरों में अभेद्य भारतीय वायु सेना

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इंडियन एयर फोर्स की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह अपनी जानकारियां एकाएक सार्वजनिक नहीं करती

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भारतीय वायु सेना आज अपना 92वां स्थापना दिवस मना रही है. इसकी औपचारिक शुरुआत आठ अक्टूबर, 1932 को हुई थी, तब इसका नाम ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ था. आजादी के बाद ‘रॉयल’ शब्द हटा दिया गया. पिछले महीने 30 सितंबर को इंडियन एयरफोर्स के नये प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह बने हैं. इस दिवस को मनाने का खास मकसद भारतीय वायु सेना के महत्व और उसकी जरूरत के संबंध में जनमानस के भीतर जागरूकता पैदा करना होता है. साथ ही, वायुसेना के उन वीर जवानों को श्रद्धांजलि देना भी होता है, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. भारतीय वायु सेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना है. भारतीय सशस्त्र सेना के इस विंग में 2,296 से ज्यादा विमान हैं. भारतीय वायु सेना दिवस की पिछले वर्ष (2023) की थीम थी- ‘सीमाओं से परे वायुशक्ति’. इस वर्ष की थीम है- ‘भारतीय वायु सेना- सक्षम, सशक्त, आत्मनिर्भर’, जिसका मतलब है स्वदेशी विमानों और प्रौद्योगिकियों से लैस आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करना.

भारतीय वायु सेना, भारतीय सशस्त्र सेना का प्रमुख अंग है, जो वायु युद्ध, वायु सुरक्षा एवं वायु चौकसी का महत्वपूर्ण काम करती है. विगत कुछ वर्षों से केंद्र सरकार ने इंडियन एयरफोर्स की जिम्मेदारी में और विस्तार किया है. भारत के तकरीबन सभी संभावित खतरों में वायु सेना की सहायता लेना, जैसे कुदरती आपदाओं के वक्त राहत एवं बचाव कार्यों में लगाना. बाढ़ग्रस्त इलाकों में फंसे लोगों का जीवन बचाना अब वायु सेना के ही जिम्मे होता है. वायु सेना ने अपनी एक लंबी यात्रा पूरी कर ली है. आजादी से पूर्व पहली बार वायु सेना के दस्ते ने अप्रैल 1933 को उड़ान भरी थी, जिसमें छह प्रशिक्षित अधिकारी और 19 वायु सैनिक शामिल थे. वायु सेना ने अपना पहला ऑपरेशन वजीरिस्तान में कबाइलियों के खिलाफ किया था. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान एयरफोर्स का विस्तार किया गया. एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी को भारतीय वायु सेना का जनक कहा जाता है. वे वायु विंग में पहले कमांडर इन चीफ थे. वायु सेना में उनका योगदान सराहनीय और अतुलनीय रहा. वायु सेना का आदर्श वाक्य है ‘दृष्ट्वा हि त्वं प्रविथितान्तरात्मा धृतिं न विन्दामि शमं च विष्णो’, जो गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है. यह कथन महाभारत महायुद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिये गये उपदेश का एक अंश है. समूची दुनिया अब भारतीय वायु सेना की ताकत से वाकिफ है. इसीलिए अनेक ताकतवर मुल्कों के एयर फोर्स समय-समय पर हमारी वायु सेना के साथ साझा अभ्यास करते हैं. इंडियन एयर फोर्स मौजूदा वक्त में पांच ऑपरेशन और दो फंक्शनल कमान में बंटी हुई है. हर कमान का नेतृत्व एयर मार्शल की रैंक के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ करते हैं.
इंडियन एयर फोर्स की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह अपनी जानकारियां एकाएक सार्वजनिक नहीं करती. वायु विंग में ‘ऑपरेशनल कमांड’ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है. उनकी जिम्मेदारी लड़ाकू क्षेत्र में एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करते हुए मिलिटरी ऑपरेशन को अंजाम देना होता है. वहीं, ‘फंक्शनल कमांड’ का जिम्मा युद्ध जैसे ऑपरेशनों के लिए हर वक्त तैयार रहने की होती है. इंडियन एयरफोर्स के पास अब विभिन्न प्रकार एवं क्षमता के करीब 1,721 एयरक्राफ्ट हैं. मिग, जगुआर, मिराज, अपाचे, सुखोई और चिनूक के बाद फ्लाई पोस्ट में अब राफेल लड़ाकू विमान की भी एंट्री हो चुकी है. इसके अलावा, छोटे स्वदेशी लड़ाकू एयरक्राफ्ट की संख्या भी अच्छी-खासी है. गौरतलब है कि वायु सेना में समय-समय पर बदलाव किये जाते रहे हैं. वायु सेना प्रमुख को पहले ‘सेनाध्यक्ष’ कहा जाता था, पर बाद में इस पद को एयर चीफ मार्शल का पद कहा जाने लगा. अर्जन सिंह वायु सेना के पहले अध्यक्ष बने थे. उनके योगदान को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा था. वर्ष 1962 में हुए चीन के साथ युद्ध के बाद वायु सेना के रैंक को और अपग्रेड किया गया.
दिल्ली के निकट गाजियाबाद स्थित हिंडन फोर्स स्टेशन पश्चिमी वायु कमान की सबसे बड़ी वायु सेना बेस है. यह एशिया का सबसे बड़ा एयर बेस है, जिसका क्षेत्रफल 14 किलोमीटर गोलाकार और 10.25 वर्ग किलोमीटर में है. आज वहां कई स्वदेशी जहाज अपना करतब दिखा रहे हैं. पूरे भारत में 60 से ज्यादा एयर स्टेशन हैं, जिन्हें सात कमानों में बांटा गया है, जिनमें नयी दिल्ली के निकट पश्चिमी वायु कमान, शिलांग (मेघालय) में पूर्वी वायु कमान, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में मध्य वायु कमान इत्यादि शामिल हैं. जिस तरह से प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति बढ़ती जा रही है, साथ ही कुछ पड़ोसी देशों की आक्रामकता की चुनौती भी गंभीर होती जा रही है, आगामी समय में वायु सेना की भूमिका निरंतर महत्वपूर्ण होती जायेगी. सक्षम, सशक्त और आत्मनिर्भर वायु सेना के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को गति देने की आवश्यकता है.
  (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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