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सोच और कर्म सही हो तो कोई पराजित नहीं कर सकता : आचार्य

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सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन आचार्य उदय चंद्र झा ने श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्ध के मैदान में दिए गए उपदेश की विस्तृत चर्चा की.

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रीगा. प्रखंड क्षेत्र के योगबाना टोला गांव स्थित सरोज कुमार सिंह के आवासीय परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन आचार्य उदय चंद्र झा ने श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्ध के मैदान में दिए गए उपदेश की विस्तृत चर्चा की. कहा कि जब अर्जुन युद्ध के मैदान में अपने चाचा, दादा, गुरु व गुरु भाई समेत अन्य परिजनों को सामने देखा तो मोह में पड़ गया और युद्ध करने से पीछे हटने लगे. कहा, हे केशव मुझे राजपाट नहीं चाहिए. राज्य सिंहासन के लिए यदि अपने सगे-संबंधियों का वध करना पड़ेगा तो मुझे ऐसा राज्य नहीं चाहिए. तब श्री कृष्ण ने कहा कि मृत्यु लोक में कोई किसी का सगा-संबंधी नहीं है. महाभारत का यह युद्ध धर्म व अधर्म के बीच है. तुम धर्म के साथ हो इसीलिए मैं तुम्हारे साथ हूं. जो अधर्म के रास्ते पर चल रहा है, उसका नाश निश्चित है. मैं चाहता हूं कि यह पुण्य का कार्य तुम्हारे हाथों ही हो, यदि तुम नहीं करोगे तो कोई- कोई इसे करेगा और अधर्मियों व उनका साथ देने वालों का विनाश निश्चित रूप से होगा. यहां कोई किसी का नहीं है. सिर्फ मोह के कारण एक- दूसरे से बंधन में बंधा हुआ है. मोह में पड़कर अपने कर्म से पीछे हटना भी कायरता कहलाता है. अगर तुम अपने कर्म से पीछे हटोगे तो इतिहास तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा और तुम निंदा के पात्र बन कर रह जाओगे. धर्म व मानव जाति की रक्षा के लिए यह युद्ध अति आवश्यक है. अगर तुम युद्ध करने से पीछे हटे तो संपूर्ण मानव जाति के विनाश का कारण बनोगे. इस प्रकार अर्जुन मान गये और अपने कर्म पथ पर आगे बढ़े. अंतत: उनकी जीत हुई और धर्म की रक्षा भी. आचार्य जी ने कहा कि मानव जाति को भी अपने कर्म पथ पर हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए. अगर सोच और कर्म सही होगा तो उसे कोई पराजित नहीं कर सकता. मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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