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Post Traumatic Stress Disorder : क्या है पोस्ट ट्रॉमेटिक तनाव और उसके लक्षण?

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Post Traumatic Stress Disorder : पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर एक तरह की मानसिक स्थिति है, जो किसी भयानक, दर्दनाक और डरावनी घटना को अनुभव करने के बाद होती है.

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Post Traumatic Stress Disorder : पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर एक तरह की मानसिक स्थिति है, जो किसी भयानक, दर्दनाक और डरावनी घटना को अनुभव करने के बाद होती है. किसी भी भयानक स्थिति को अनुभव करने के दौरान और बाद में उसके स्मृतियों से डर लगना एक सामान्य स्थिति होती है, डर जिंदगी का एक हिस्सा होता है जो हमें किसी भयानक स्थिति से लड़ने और बचाव (flight or fight )करने की समझ और क्षमता प्रदान करता है.

बहुत से लोग किसी ट्रॉमा से गुजरने के बाद कई तरह के प्रतिक्रियाओं का अनुभव करते हैं और कुछ लोग इसके शुरुआती लक्षणों से उबर भी जाते हैं, लेकिन वह लोग जो भयानक स्थिति को अनुभव करने के बाद इन लक्षणों से लंबे समय तक नहीं उबर पाते हैं, वह पीटीएसडी PTSD नामक मानसिक स्थिति का शिकार हो जाते हैं.

Post Traumatic Stress Disorder : किन लोगों को होता है PTSD?

वैसे तो पीटीएसडी किसी को भी हो सकता है, लेकिन मुख्य रूप से इस स्थिति का शिकार युद्ध अनुभवी और वह लोग जो शारीरिक एवं मानसिक दुर्व्यवहार, उत्पीड़न, एक्सीडेंट या प्राकृतिक आपदा या फिर किसी भी तरह की गंभीर और दर्दनाक घटना का अनुभव किया होते हैं. पीटीएसडी का शिकार लोग हर वक्त तनाव ग्रसित और दहशत में रहते हैं, भले ही वह किसी खतरे की स्थिति में हो या ना हों.

जरूरी नहीं है कि पीटीएसडी होने के लिए आपको किसी दर्दनाक स्थिति से गुजरना पड़े, कुछ केसेस में यह भी देखा गया है कि लोग अपने दोस्त, परिवारजन या किसी सगे-संबंधी के दुखद अनुभव से ट्रॉमा का शिकार हो जाते हैं, जिसकी वजह से वह पीटीएसडी की स्थिति को विकसित कर लेते हैं.

राष्ट्रीय केंद्रों की एक रिपोर्ट के अनुसार 100 में से 6 लोग जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर पीटीएसडी का शिकार जरूर होते हैं, इसके अतिरिक्त उसमें यह भी बताया गया कि आदमियों की तुलना में महिलाएं पीटीएसडी का शिकार ज्यादा होती है। किसी भयानक घटना की कुछ पहलू या स्मृतियां और बायोलॉजिकल फैक्टर जैसे कि हेरेडिटरी जींस भी पीटीएसडी के विकसित होने का कारण हो सकते हैं.

पोस्ट ट्रामेटिक तनाव क्यों होता है ?

पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर एक तरह की मानसिक स्थिति है, जो किसी भयानक दर्दनाक और डरावनी घटना को अनुभव करने के बाद होती है.

Post Traumatic Stress Disorder : पीटीएसडी के लक्षण?

पीटीएसडी के लक्षण किसी भी भयानक घटना को अनुभव करने के 3 महीने के अंदर-अंदर दिखने लगते हैं और कुछ स्थितियों में कुछ समय बाद भी यह लक्षण बाहर आते हैं, किसी व्यक्ति में एक महीने से ज्यादा लक्षणों के दिखने पर ही उसे पीटीएसडी का शिकार माना जाता है. अगर लक्षण व्यक्ति के काम, रोजमर्रा की जिंदगी और रिश्तो में हस्तक्षेप करने जितने गंभीर नहीं है तो उसे पीटीएसडी नहीं है.

इसके अतिरिक्त लक्षण किसी भी प्रकार की दवाई, नशीले पदार्थ और बीमारी से संबंधित नहीं होने चाहिए. इन लक्षणों से उबरने की समयावधि हर व्यक्ति पर निर्भर करती है, कुछ लोग इन लक्षणों से 6 महीने में, तो कुछ 1 साल, 2 साल या उससे भी ज्यादा वक्त ले सकते हैं. क्योंकि पीटीएसडी के लक्षण बार-बार महसूस होते हैं जैसे की डिप्रेशन, तनाव, नशीले पदार्थ की लत और एक से अधिक एंजायटी डिसऑर्डर.

किसी भी भयानक घटना से गुजरने के बाद डर और दहशत की स्थिति काफी स्वाभाविक होती है. लेकिन कुछ लोग इस तरह की जज्बातों को बिल्कुल भी महसूस नहीं करते जबकि वह ऐसी स्थितियां को अनुभव करने से ज्यादा उसका अवलोकन कर रहे होते हैं. मानसिक रोग चिकित्सक जैसे कि साइकैटरिस्ट, साइकोलॉजिस्ट और क्लीनिकल सोशल वर्कर जिन्होंने पीटीएसडी से ग्रसित लोगों का इलाज किया है और वह उनके मन: स्थिति को समझते हैं, वही लक्षणों का उन्मूलन करके बता सकते हैं कि किसी व्यक्ति को पीटीएसडी है या नहीं.

किसी भी व्यक्ति को पीटीएसडी होने के लिए यह लक्षण एक महीने से ज्यादा होने चाहिए:

कम से कम एक : री एक्सपीरियंसिंग लक्षण :

  • जैसे की पुरानी बातें याद करना भयानक घटना की स्मृतियां आंखों के आगे आना हृदय गति तेज हो जाना और पसीना आना
  • बार-बार उन भयानक स्मृतियों की याद आना और उसके सपने आना
  • तनाव भरे और बुरे ख्याल आना
  • तनाव के कारण शारीरिक बदलाव जैसे की वजन गिरना, नींद ना आना आदि

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अवॉइडेंस लक्षण :

  • उन चीजों से जगह से लोगों से और स्थितियों से दूरी बनाना जो ट्रॉमा के अनुभव की याद दिलाते हैं
  • ट्रॉमा की याद दिलाने वाले विचार जज्बात को अवॉइड करना


अराउजल और रिएक्टिविटी लक्षण :

  • जल्दी चौंक जाना या आश्चर्यचकित होना
  • तनाव ग्रसित हमेशा बचाव की स्थिति और बातों पर जल्दी प्रतिक्रिया देना
  • ध्यान देने में कठिनाई होना
  • नींद आने में दिक्कत और अच्छे से ना सो पाना
  • हमेशा चीढ़े हुए रहना, गुस्सा रहना या एग्रेसिव बिहेवियर
  • रिस्की गलत और विनाशकारी स्वभाव होना
  • इस तरह के लक्षण रोजमर्रा की जिंदगी में, काम में खलल पैदा करते हैं और यह लगातार रहने वाले लक्षण होते हैं.

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कॉग्निशन ओर मुड लक्षण :

  • भयानक घटना की मुख्य विशेषताओं को याद करने में कठिनाई होना खुद के और दुनिया के बारे में नकारात्मक ख्याल आना छोटी सी बाद में भी ज्यादा जज्बातों महसूस करना और हर गलत चीज के लिए खुद को या किसी और को दोषी ठहरना
  • नकारात्मक जज्बातों को लगातार महसूस करना जैसे की दर गुस्सा पछतावा और शर्म
  • लोगों से खुद को दूर रखना, ज्यादा घुलने मिलने से खुद को बचाना
  • सकारात्मक सोच और जज्बातों को महसूस करने में कठिनाई होना जैसे की खुशी, संतुष्टि, गर्व और तृप्ति.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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