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प्रमुख : गोपीकांदर व दुमका अस्पताल में इलाज न होने के कारण गर्भवती पहाड़िया महिला की मौत

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की लचर व्यवस्था ने पहाड़िया गर्भवती महिला की जान ले ली है. गर्भवती पहाड़िया महिला की मौत से स्वास्थ्य सुविधा की पोल खुल गयी है. राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा पहाड़िया परिवारों को मिलनेवाली सुविधा पर सवाल उठने लगे हैं.

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दुखद. सीएचसी की लचर व्यवस्था की खुली पोल, मिलनेवाली सुविधा पर उठे सवाल

इलाज कराये बिना एएनएम ने धनबाद ले जाने की दे दी सलाहप्रतिनिधि, गोपीकांदर

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की लचर व्यवस्था ने पहाड़िया गर्भवती महिला की जान ले ली है. गर्भवती पहाड़िया महिला की मौत से स्वास्थ्य सुविधा की पोल खुल गयी है. राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा पहाड़िया परिवारों को मिलनेवाली सुविधा पर सवाल उठने लगे हैं. गर्भवती महिला की इलाज के लिए गोपीकांदर सीएचसी हो या फिर फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल सभी ने महिला रेफर का रास्ता ही दिखाया. गरीबी से लाचार पिता करता भी क्या. किसी तरह वह टेंपो से बेटी को अस्पताल तो पहुंचाया. पर उसे बचा नहीं पाया. गर्भवती बेटी की मौत से नाराज पिता समेत ग्रामीणों ने सरकार से न्याय की मांग की है.

बोलेरो और टेंपो से गर्भवती बेटी को पहुंचाया अस्पताल

मामला गोपीकांदर प्रखंड के कुंडापहाड़ी गांव का है. कुंडापहाड़ी के पहाड़िया टोला में प्रिसिंका महारानी आठ माह की गर्भवती थी. शनिवार शाम को उसे दर्द का अहसास हुआ तो परिजनों को जानकारी दी. प्रिसिंका के पिता मंगला देहरी ने बताया कि शनिवार को शाम में करीब एक घंटे तक एंबुलेंस को फोन कर इंतजार करता रहा. नहीं आने पर प्राइवेट गाड़ी से दुर्गापुर लेकर गया, लेकिन दुर्गापुर से आगे नहीं गया. गाड़ी की व्यवस्था नहीं होने के कारण रात दुर्गापुर गांव में ही काटा. गोपीकांदर सीएचसी जाने के लिए रविवार सुबह फिर से एंबुलेंस को फोन करने लगा. पर एंबुलेंस नहीं आयी. टेंपो से गोपीकांदर सीएचसी में बेटी को पहुंचाया. गोपीकांदर सीएचसी में मात्र दो एएनएम थी, उन्होंने बेटी को टेंपो से उतारने से मना कर दिया और रेफर कर दिया. हालात यह थी टेंपो चालक भी अस्पताल के बाहर छोड़ कर चला गया. काफी प्रयास के बाद दुमका से एंबुलेंस मंगायी गयी, रविवार शाम पांच बजे बेटी को फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया, उन्होंने बताया कि पीजेएमसीएच में भी नर्स का कहना था कि बेटी को किसी प्राइवेट अस्पताल लेकर जाओ या फिर धनबाद लेकर जाओ. रुपये नहीं होने के कारण बेटी को प्राइवेट अस्पताल नहीं ले जा सका. गर्भवती बेटी को वह अस्पताल से बाहर निकला और उसकी मौत हो गयी.

सवालों के घेरे में स्वास्थ्यकर्मी, कार्रवाई की उठी मांग

गर्भवती पहाड़िया महिला की मौत से स्वास्थ्य कर्मचारियों के खिलाफ कई सवाल खड़ा कर दिया है. सहिया दीदी के साथ ही कुंडापहाड़ी स्वास्थ्य उपकेंद्र की एएनएम को कटघरे में खड़ा कर दिया है. गर्भवती महिला को जब गोपीकांदर सीएचसी में भर्ती कराया गया, उस समय अस्पताल में मात्र दो नर्स मौजूद थीं. ड्यूटी में तैनात चिकित्सक नहीं थे. मरीज के जाते ही अपनी पीछा छुड़ाने के लिए नर्स भी तुरंत रेफर कर दिया ताकि, उनकी जवाबदेही खत्म हो जाये. पति धर्मेंद्र देहरी ने बताया कि आंगनबाड़ी से कोई सुविधा पत्नी को नहीं मिली. सहिया साथी चिचिलिया मुर्मू किसी भी प्रकार की कोई सहायता नहीं की. गोपीकांदर की सीएचसी में इलाज नहीं हो पाया. नतीजा रहा कि पत्नी की मौत हो गयी. परिजनों ने कार्रवाई की मांग की.

गर्भवती होने के बाद मायके में रहती थी प्रिसिंका

प्रिसिंका की शादी काठीकुंड थाना क्षेत्र के निझोर गांव के धर्मेंद्र देहरी के साथ पिछले एक साल पहले ही हुई थी. गर्भवती होने के बाद से दोनों पति-पत्नी कुंडा पहाड़ी गांव में ही रहने लगे. मजदूरी कर जीवन-यापन कर रहा था. धर्मेंद्र ने बताया कि वे लोग मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं. इलाज में सरकार के तरफ से जो लाभ मिलना चाहिए. वह नहीं मिला. उन्होंने वरीय पदाधिकारियों से मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग की है.फोटो—

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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