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शिक्षिका श्वेता बच्चों को सीखा रही कथक व लोक नृत्य

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थ्योरी व प्रैक्टिकल के रूप में बच्चों को दे रही शिक्षा

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औरंगाबाद कार्यालय. बीपीएससी से डांस शिक्षिका के रूप में चयनित श्वेता भरती उच्च माध्यमिक विद्यालय मदनपुर में बच्चों को कत्थक व लोक नृत्य सीखा रही है. सिखाने के अलग अंदाज ने बच्चों पर गहरा प्रभाव डाला है. भागलपुर के नया गोला बाजार निवासी श्वेता भारती के सिखाने के अलग अंदाज की चर्चा पूरे प्रखंड क्षेत्र में हो रही है. वही छात्र-छात्राएं उनकी प्रशंसा करते हुए नहीं थक रहे हैं. श्वेता ने बताया कि बचपन से ही नृत्य में रुचि रही है. वर्ष 2011 में राष्ट्रपति भवन में भी प्रस्तुति देने के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों से चयन हुआ था. तरंग महोत्सव 2009 में स्टेट लेबल पर गोल्ड मेडलिस्ट भी रही है. नृत्य ने उन्हें जीने की वजह दी. अब छात्र-छात्राओं को नृत्य की शिक्षा दे रही है. बच्चों को कत्थक एवं लोक नृत्य की शिक्षा देने के पीछे हमारा उद्देश्य है हमारे बच्चे हमारी संस्कृति से जुड़े रहे और इसे आगे बढ़ाएं. कथक नृत्य एक ऐसी विधा है जिसे बच्चे चाहे तो अपने करियर के रूप में भी अपना सकते हैं. बताया कि नवमी से ऊपर लगभग 40 छात्र-छात्राएं हैं जो स्कूल में कत्थक व लोक नृत्य सीखते हैं. स्कूल में बच्चों के लिए ऐसा वातावरण होना चाहिए कि बच्चों को यह लगे की स्कूल में कल क्या होगा. श्वेता ने बताया कि बच्चों को स्कूल में रुचि रहे और बच्चे नियमित स्कूल आये इसके लिए हम स्कूल की आखिरी के घंटे में कुछ अलग गतिविधियां करते हैं. जब से हमारे यहां नृत्य और नृत्य के साथ शिक्षा शुरू की गयी काफी बदलाव हुआ है. अब ग्रामीण इलाके के बच्चे भी कत्थक एवं लोक नृत्य सीख रहे हैं. शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है. बच्चों की उपस्थिति में भी बड़ा अंतर देखने को मिला है. इधर कथक नृत्य सीख रही छात्र-छात्राओं ने कहा कि हमने कथक नृत्य के बारे में सुना भी नहीं था, लेकिन श्वेता मैम के आने के बाद हम लोग कत्थक सीखने लगे है. मैंम कथक नृत्य के साथ कहानी-कविताएं सिखाती है. अब हमें स्कूल अच्छा लगने लगा है. इधर, विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य हेमलता सिंह ने कहा कि श्वेता के सिखाने के अंदाज का वे कायल है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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