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Madhubani News हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गणिनाथ भगवान का पूजनोत्सव

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स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर प्रांगण में शनिवार को भक्तिमय माहौल में गणिनाथ पूजनोत्सव का आयोजन किया गया.

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मधुबनी . स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर प्रांगण में शनिवार को भक्तिमय माहौल में गणिनाथ पूजनोत्सव का आयोजन किया गया. इस अवसर पर हनुमान प्रेम मंदिर कमिटी की ओर से दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई. समिति के अध्यक्ष कैलाश साह ने कहा कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गणिनाथ पूजनोत्सव भव्य तरीके से मनाया गया. मंदिर के पुजारी पंडित पंकज झा शास्त्री ने कहा कि बाबा गणिनाथ को भगवान शंकर का मानस पुत्र माना जाता है. विक्रम संवत 1007 में श्री मनसा राम तथा उनकी पत्नी शिवा देवी के गर्भ से गणीनाथ का उद्भव गुरलामान्धता पर्वत पर भाद्रपद बदी अष्टमी शनिवार की सुबह में हुआ था. शिशु गणी जी का लालन पालन व शिक्षा दीक्षा का दायित्व कांदू (मध्यदेशीय) वैश्य परिवार के मनसा राम को धर्म पिता के रुप में निर्वहन करना पड़ा. योग्य होने पर गणी की प्रारंभिक शिक्षा गुरुकुल में हुई जहां उन्होंने अल्पकाल में वेद वेदांत में दक्षता प्राप्त की. चतुर्दिक ज्ञान प्राप्ति के लिए गुरु गोरखनाथ से गुरु दीक्षा लेकर उनके सानिध्य में वर्षों तप किया. हिंदू समाज जब पतन की ओर जा रहा था तो गणिनाथ ने हिंदुओं में स्वाभिमान भरते हुए हिंदू एवं सनातन संस्कृति की रक्षा की. उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद जो शनिवार होता है उसी दिन हलवाई समाज द्वारा मुख्य रुप से बाबा गणिनाथ जी की पूजा की जाती है. बाबा गणिनाथ जी का विवाह राजा चक्रधर की पुत्री क्षेमा से हुई. बाबा गणिनाथ जी कि ही तरह माता क्षेमा भी धर्म का पालन और उसकी रक्षा करने वाली थी. बाबा और माता क्षेमा को पांच संतान हुए. इसमें राय चंद्र, श्रीधर, गोबिंद, सोनमती एवं शीलमती थे. जन्मोत्सव आयोजन में कमिटी के सचिव राजू कुमार राज, कोषाध्यक्ष राम प्रताप, दीपक कुमार दत्ता, अशोक कुमार श्रीवास्तव, अधिवक्ता विजय गुप्ता, ध्रुव नारायण प्रसाद, सतीश महत्ता, इंद्र देव शाह, सुनील कुमार गुप्ता, दीपक कुमार साह, लक्ष्मण साह, भारत साह एवं धीरेन्द्र झा का विशेष सहयोग रहा.

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