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टेलीविजन के सितारों ने यहां जन्माष्टमी से जुड़ी अपनी खास यादों के साथ इस बार जन्माष्टमी पर होने वाली तैयारियों को भी किया सांझा

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janmashtami:भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव जन्माष्टमी कल पूरे देश में पूरी भक्ति, हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। टेलीविज़न के सितारों ने भगवान कृष्ण को समर्पित इस उत्सव से जुडी अपनी ख़ास यादें और तयारी के बारे में बात की. बातचीत के प्रमुख अंश

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जन्माष्टमी में व्रत से लेकर आधी रात की आरती तक मेरे जीवन का अभिन्न अंग रही है – देवोलिना भट्टाचार्जी

बचपन से ही कृष्ण जन्म को पूरे उत्साह के साथ मनाना पसंद है. जन्माष्टमी के दिन सुबह के व्रत से लेकर आधी रात की आरती तक, ये परंपरा बचपन से ही मेरे जीवन का अभिन्न अंग रही हैं. घर में लड्डू गोपाल का जन्मदिन मानना ऐसा महसूस होता था .मानो हमारे किसी साथी या दोस्त का जन्मदिन हो. हम सुबह से ही बहुत उत्साहित रहा करते थे। घर में बहुत ख़ास पकवान बना करते थे, सुगंधित फूल और फल आया करते थे साथ ही ख़ास मिष्ठान भी. ठीक वैसे ही जैसे बचपन में हमारे जन्मदिन की तैयारियां होती थी. हम भोग लगाया हुआ प्रसाद खाने के लिए तैयार रहते थे. बचपन से ही मेरा भगवान कृष्ण से एक ख़ास प्रेम और लगाव रहा हैं और अब ‘छठी मैया की बिटिया’ शो के लिए शूट करते हुए मुझे शैशव से भी बहुत लगाव महसूस होता है, जिसकी मासूमियत कान्हा जैसी ही है. मुझे बहुत ख़ुशी है कि हर बार की तरह इस बार भी जन्माष्टमी को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाऊंगी.

मेरे भांजे को भगवान कृष्ण की तरह सजाते हैं -विभव रॉय
जन्माष्टमी की सबसे खूबसूरत और प्यारी याद ये है कि मेरा छोटे भांजे को मेरी मां भगवान कृष्ण की तरह तैयार करती है . सभी मिलकर उसको झूला झुलाते हैं. मिठाई खिलाते हैं.उसको बहुत ही प्यार करते हैं. मैं बताना चाहूंगा कि कृष्ण जन्माष्टमी के आसपास ही उसका जन्म हुआ था.यह उसका बर्थडे मंथ भी होता है , तो हम सभी उसको खास फील करवाने का एक मौका नहीं छोड़ते नहीं है.वैसे मैं इस बात के साथ यह भी कहूंगा कि उसको बाल गोपाल के रूप में देखना हमारे पुरे परिवार को एक अलग ही ख़ुशी देता है।

मेरी मां मुझे राधा की तरह तैयार करती थी -शुभांगी अत्रे
मेरी बचपन की सबसे यादगार यादों में से एक है जन्माष्टमी उत्सव. इंदौर में मेरे स्कूल के दही कला उत्सव के लिए मेरी माँ मुझे राधा के रूप में तैयार करती थीं. मेरे पिता मुझे प्रसिद्ध लक्ष्मीनारायण मंदिर ले जाते थे, जिसे बिड़ला मंदिर या कृष्ण परनामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जहां आशीर्वाद के लिए त्योहार बड़े पैमाने पर मनाया जाता है. घर पर, हम बाल कृष्ण के कदमों के प्रतीक के रूप में फर्श पर छोटे बच्चों के पैरों के निशान बनाते थे. भगवान की आरती के लिए हम आधी रात तक जागते थे और विशेष मिठाइयों जैसे माखन मिश्री, लौकी की बर्फी, मखाना खीर और भी बहुत कुछ का आनंद भी लेते थे, जो भगवान कृष्ण को भोग के तौर पर पहले चढ़ाया जाता था. मेरी मां और दादी इसे बहुत प्यार से बनाती थीं. इस जन्माष्टमी पर सभी के लिए मेरी एक ही कामना है कि भगवान कृष्ण सभी के जीवन में खुशियाँ और शांति लाएँ.

घर को सजाने में मां की मदद करता था -आदेश चौधरी
बचपन में, जन्माष्टमी खुशी और उत्साह से भरा दिन होता था. मुझे याद है कि मैं सुबह जल्दी उठकर घर को फूलों, भगवान कृष्ण की छोटी मूर्तियों और हमारे घर में कृष्ण के प्रवेश के प्रतीक के तौर पर छोटे पैरों के निशानों से सजाने में मदद करता था. मुख्य आकर्षण आधी रात के समारोहों में भाग लेना था, जहां हम भजन गाते थे. आरती करते थे और अगले दिन दही हांडी फोड़ते थे , जो हमेशा एक मजेदार कार्यक्रम होता था. मौजूदा दौर में हम सभी अपने कामों में बहुत बिजी हैं. मैं सबसे यही कहूंगा कि अपने तेजी से भागती दुनिया में, ये परंपराएं हमें धीमी गति से चलने और जीवन के आध्यात्मिक पहलुओं की सराहना करने की याद दिलाती हैं.

मेरा परिवार मथुरा से है -हंसा सिंह

अपने बचपन में मैंने जो सबसे अच्छा उत्सव देखा है.वह जन्माष्टमी है. इस जन्माष्टमी पर फिर से मैं एक बहुत ख़ास याद बनाना चाहती हूं. मेरा परिवार मथुरा से है, और यह सब कृष्ण, हमारे प्यारे लड्डू गोपाल के बारे में है. हम उनके लिए नए कपड़े सिलेंगे, उनका झूला सजाएंगे, और “पंजीरी” के प्रसाद के साथ सभी व्यंजन तैयार करेंगे. पक्का खाना भी बनाएंगे जैसे पूरी, सब्जी, रायता और खीर.आधी रात को हम सभी एक साथ बैठेंगे और अपने लड्डू गोपाल के जन्म का जश्न मनाने के लिए पूजा करेंगे.उसके बाद भजनों से भरी रात होगी. इस साल, मैं अपने परिवार के साथ रहूंगी, इसलिए मैं हमेशा की तरह लड्डू गोपाल आशीर्वाद मांगते हुए वही गर्मजोशी और सौहार्द महसूस करूंगी.

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