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झारखंड पुलिस को इस तरह तैयार करें कि केंद्रीय एजेंसियों की जरूरत ही न पड़े : हेमंत

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राज्यस्तरीय महिला पुलिस सम्मेलन-2024 के समापन समारोह में शामिल हुए सीएम

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वरीय संवाददाता, रांची. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पहली बार राज्यस्तरीय महिला पुलिस सम्मेलन का आयोजन किया गया है. इससे महिला पुलिसकर्मियों के बीच उत्साह, उमंग व उम्मीद जगी है. इसका सकारात्मक प्रभाव आने वाले दिनों में महिला पुलिसिंग व्यवस्था पर दिखे, यह हम सभी की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि सम्मेलन के जरिये महिला पुलिस के हक-अधिकार, उचित मांगों, समस्याओं के निराकरण आदि से संबंधित सुझाव राज्य सरकार तक पहुंची है. इन सुझावों पर गंभीरता से विचार होगा. सीएम शनिवार को जैप-1 डोरंडा के शौर्य सभागार में आयोजित प्रथम राज्यस्तरीय महिला पुलिस सम्मेलन 2024 के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग के वरीय अधिकारी पुलिसिंग व्यवस्था सिस्टम की जड़ तक पहुंचकर उसे मजबूत करने का कार्य करें. हमारे राज्य के पुलिसकर्मी क्षमतावान हैं. फिर भी कुछ वादों का अनुसंधान इनकम टैक्स, इडी, सीबीआइ आदि केंद्रीय एजेंसियों को सौंप दिया जाता है. आखिर ऐसा क्यों? इन विषयों को गंभीरता से लेने की जरूरत है. वरीय अधिकारी झारखंड पुलिस को इस तरह तैयार करें कि केंद्रीय एजेंसियों की जरूरत ही न पड़े. सीएम ने कहा कि राज्य के भीतर स्थापित पुलिस थानों में महिला पुलिस पदाधिकारी भी थाना इंचार्ज बन सके, इसके लिए राज्य सरकार शीघ्र नियम बनायेगी. निश्चित रूप से थानों में वरीय पदाधिकारी के रूप में महिला पुलिस जिम्मेदारी संभाले, ऐसी व्यवस्था बनाने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में राज्य स्तरीय पुरुष पुलिस सम्मेलन का आयोजन हो, इसके लिए भी कैलेंडर बनायें. मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी भी महिला और पुरुष के बीच कुछ फासले हैं. इसे पाटने की जरूरत है. कार्यपालिका और समाज के अंदर महिला पुलिस की भूमिका अहम है. अक्सर राज्य की पुलिस पर कई सवाल खड़े होते हैं. कई सवाल गलत, तो कई सवाल सही भी हो सकते हैं. यह मूल्यांकन का विषय है. हमें एक ऐसी पुलिसिंग व्यवस्था खड़ी करनी है, जिसमें राज्य की आम जनता का पुलिस पर भरोसा कायम रहे. कई जगहों पर महिला समूहों की बड़ी संख्या है, जैसे : महिला कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, महिला से जुड़े शिक्षण संस्थानों के हॉस्टल्स आदि. इन जगहों पर महिला पुलिस पदाधिकारियों का सीधा समन्वय होना चाहिए, ताकि महिला से जुड़ी परेशानियों को जाना और समझा जा सके. राज्य सरकार का हमेशा प्रयास है कि हमारी पुलिस व्यवस्था पर कोई उंगली न उठा सके या नकारात्मक कमेंट की गुंजाइश कम रहे. समाज के अंदर बेहतर कार्यशैली का परिचय देते हुए रुढ़िवादी मानसिकता और व्यवस्था में बदलाव लाया जा सकता है. हर छह माह पर हो सम्मेलन : मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला पुलिस बल की बेहतरी के लिए राज्य सरकार को नीति निर्धारित करने की आवश्यकता है. वहीं कुछ चीजें पुलिस विभाग स्तर की हैं. उन्होंने कहा कि राज्यस्तरीय महिला पुलिस सम्मेलन वर्ष में एक बार नहीं बल्कि छह माह में एक बार होनी चाहिए. राज्य की पुलिसिंग व्यवस्था को आप इस कदर आगे बढ़ाएं कि राज्य में वर्तमान समय में मौजूद महिला पुलिस की संख्या पांच-छह प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत तक पहुंचे. इसके लिए जो भी सहयोग राज्य सरकार की ओर से आपको चाहिए, वो हमारी सरकार करेगी. सीएम ने किया स्मारिका का विमोचन : कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राज्य के विकास आयुक्त अविनाश कुमार, डीजीपी अनुराग गुप्ता, एडीजी सुमन गुप्ता ने विशेष स्मारिका का विमोचन किया. संवेदनशीलता के साथ काम करें महिला पुलिसकर्मी : डीजीपी रांची. प्रथम राज्यस्तरीय महिला पुलिस सम्मेलन के समापन पर शनिवार को डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि महिला पुलिस महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता, प्रेम और अच्छी सोच के साथ काम करें. दुष्कर्म जैसे हृदयविदारक मामलों को महिला पुलिस देखे और बेहतर अनुसंधान करते हुए कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे. उन्होंने कहा कि पोस्टिंग, प्रमोशन, ट्रांसफर, ट्रीटमेंट, हरासमेंट यह पांच बिंदु हैं, जिन पर हमारी पुलिस टीम मुख्यमंत्री के निर्देश पर पूरी तरह से कार्य करेगी. झारखंड पुलिस की महिलाओं को इन पांच बिंदुओं पर न्याय एवं हक दिलाने का प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा कि मैंने अपने 34 साल के कार्यकाल में किसी महिला पुलिस को सार्जेंट या सार्जेंट मेजर के रूप में नहीं देखा है. हम चाहेंगे कि हमारे पुलिस विभाग में महिला पुलिस सार्जेंट या सार्जेंट मेजर हों. महिला पुलिस ड्राइवर भी नहीं देखी गयी है. महिला पुलिस मुंशी भी आमतौर महिला पुलिस थानों में ही दिखती हैं. हमारे विभाग में एक ऐसी सोच बन गयी है कि महिलाएं ये काम नहीं कर सकती हैं. हमें इस गलत सोच को तोड़ना चाहते हैं. हमरा प्रयास होगा कि जल्द से जल्द ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को थाना प्रभारी, मुंशी, ड्राइवर, सार्जेंट या सार्जेंट मेजर जैसे पदों पर लाया जाये. प्रमोशन समय पर हो, ट्रांसफर में पति-पत्नी एक साथ एक जगह पर काम करें, इसका पूरा प्रयास करेंगे. डीजीपी ने कहा कि जो महिलाएं रिटायरमेंट के करीब हैं, उनको गृह जिले में पोस्टिंग में प्राथमिकता दी जायेगी. साथ ही शीघ्र महिला मुंशी, महिला कंप्यूटर ऑपरेटर की विशेष ट्रेनिंग करायी जायेगी. महिला पुलिस के साथ हरासमेंट होता है, तो आरोपी व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा मिले, इसका ध्यान रखा जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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