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राउरकेला सरकारी अस्पताल के पैथ व सेंट्रल लैब में जंग खा रहीं करोड़ों की मशीनें

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आरजीएच में डीएमएफ व विभिन्न कंपनियों के सीएसआर फंड से लाखों रुपये की मशीनें लगायी गयी हैं. लेकिन प्रबंधन की लापरवाही के कारण इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है.

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राउरकेला. राउरकेला सरकारी अस्पताल (आरजीएच) में भ्रष्टाचार के आरोप में अस्पताल प्रबंधक मोहित श्रीवास्तव को नौकरी से बर्खास्त किये जाने के बाद एक के बाद एक अनियमितता के मामले उजागर हो रहे हैं. जिला खनन संस्थान (डीएमएफ) फंड और विभिन्न कंपनियों के सीएसआर फंड से लाखों रुपये से खरीदी गयी मशीनें स्टोर रूम और लैब में पड़े-पड़े सड़ रही हैं. जिसमें कुछ मशीनें गायब भी हो चुकी हैं. इसमें प्रबंधन के अधिकारियों और कुछ डॉक्टरों के शामिल होने की आशंका है. विदित हो कि डीएमएफ और अन्य फंड से विभिन्न जांचों के लिए लाखों रुपये की मशीनें खरीदकर पैथलैब में लगायी गयी हैं. निजी कंपनी ‘कृष्णा डायग्नोस्टिक्स’ को ‘निदान’ योजना के प्रबंधन का जिम्मा सौंपा गया है. यह संस्था विभिन्न परीक्षणों के लिए आरजीएच से प्रति माह लगभग 15 से 20 लाख रुपये लेता है. मरीजों की शिकायत थी कि वे उस हिसाब से सेवाएं नहीं दे पाते हैं. डीएमएफ फंड से मरीजों की जांच के लिए ऑटो एनालाइजर मशीन सहित अन्य मशीनें पैथलैब को दी गयी थीं. लेकिन पिछले कुछ महीनों से उक्त मशीन मिल नहीं रही हैं. जिससे इसकी जांच की जा रही है कि इनकी चोरी की गयी है या किसी और को बेची गयी है.

सेंट्रल लैब में लटका है ताला, करोड़ों की मशीनें अनुपयोगी

सेंट्रल लैब्स में भी पैथलैब जैसी ही स्थिति पैदा हो गयी है. इस लैब का उद्घाटन पिछले साल 2021-22 में हुआ था. डीएमएफ और एनएसपीसीएल द्वारा अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक उपकरण उपलब्ध कराये गये. इसके अलावा लैब में सोडियम, बायो-केमिकल एनालाइजर, माइक्रोस्कोप, सीबीसी, 5 से ज्यादा रेफ्रिजरेटर, कंप्यूटर समेत करोड़ों रुपये के उपकरण हैं. लैब के प्रबंधन का जिम्मा ‘टेकमेड’ संस्था को सौंपा गया. हालांकि, खराब सेवा के कारण कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था. लेकिन दो महीने चलने के बाद सेंट्रल लैब में ताला लग गया. करीब तीन साल से करोड़ों की मशीन लैब में पड़ी सड़ रही थीं, लेकिन आरजीएच अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी. जबकि प्रयोगशाला में कुछ मशीनें बंद हो चुकी हैं, अन्य गायब हैं.

मशीनों की जांच के लिए बनायी गयी है कमेटी

इस बारे में संबंधित अधिकारी से पूछा, तो वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके. लेकिन आरजीएच के निदेशक डॉ मनोज उपाध्याय ने बताया कि पैथलैब से ऑटो एनालिसिस मशीन कहां गयी, यह पता नहीं चल पाया है. यदि चोरी हुई थी, तो विभागीय अधिकारी ने इसकी सूचना थाने में क्यों नहीं दी, इसकी जांच की जा रही है. सेंट्रल लैब की मशीनें ठीक हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनायी गयी है. जांच के बाद मशीनों के संबंध में विस्तृत जानकारी मिल सकेगी.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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