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काम करा लिया, अब नहीं किया जा रहा है भुगतान

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एनएच 32 निर्माण के सब कांट्रेक्टर के पास वेंडरों का 20 करोड़ से अधिक बकाया, वेंडरों ने एनएचएआइ के पदाधिकारियों के सामने किया विरोध- प्रदर्शन, जल्द भुगताने का दिया निर्देश, भव्य भारत इंफ्रास्ट्रक्चर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड है सब कांट्रेक्टर

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बोकारो, नेशनल हाइवे 32 के अंतर्गत पुरुलिया बाइपास निर्माण में बोकारो के विभिन्न वेंडर, लेबर कांट्रेक्टर ने काम किया, लेकिन अब ये वेंडर किये काम के बदले भुगतान के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं. वेंडरों का 20 करोड़ रुपये से अधिक की पूंजी फंसी हुई है. गुरुवार को बोकारो जिला के वेंडर ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) के रिजनल मैनेजर एच एम नकवी, प्रोजेक्ट डायरेक्टर मनीष कुमार व भव्य भारत कंपनी के संचालक के सामने विरोध-प्रदर्शन किया. पुरुलिया स्थित कार्यक्षेत्र में हुए प्रदर्शन के बाद एनएचएआइ के अधिकारियों ने भव्य भारत कंपनी को खरीखोटी सुनाई. जल्द से जल्द पैसा का भुगतान करने व शेष काम को पूरा करने का निर्देश दिया.

दरअसल, इस सड़क परियोजना की शुरुआत वर्ष 2022 में की गयी थी. 10.315 किमी के इस बाइपास बनाने की जिम्मेदारी वराह इंफ्रा लिमिटेड की दी गयी. वराह इंफ्रा ने सब कांट्रेक्टर भव्य भारत इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को काम सौंप दिया. सब कांट्रेक्टर ने काम के लिए विभिन्न वेंडर को जिम्मेदारी दी. इसमें लेबर सप्लायर से लेकर मटेरियल व मशीन सप्लायर शामिल हैं. वेंडर गौतम झा के अनुसार तो सभी सामग्री आपूर्तिकर्ता, उपकरण आपूर्तिकर्ता, श्रम आपूर्तिकर्ता या विभिन्न सेवा प्रदाता उपरोक्त ठेकेदार व उप-ठेकेदार के विक्रेता हैं. उप-ठेकेदार (भव्य भारत इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड) की ओर से इस परियोजना के कार्य की शुरुआत से लेकर आज तक विभिन्न संबंधित कार्य के लिए समय-समय पर संपर्क किया गया. स्पष्ट निर्देशों के तहत ठेकेदार व उप-ठेकेदार की आवश्यकताओं के अनुसार वेंडरों ने कार्य किया.

अग्रिम या अधिकतम 30 दिन में भुगतान करने की थी शर्त

वेंडरों ने बताया कि सभी कार्यों के लिए भुगतान की शर्तें या तो अग्रिम थीं या तत्काल भुगतान या 15-30 दिनों की अवधि के अंदर, लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं की गई. उप ठेकेदार भव्य भारत इंफ्रास्ट्रक्चर एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड की ओर से हमेशा झूठी प्रतिबद्धता दी गयी. डिजाइन किये गये प्रलोभनों के कारण वेंडर लगातार काम करते चले गये. काम पूरा करने के लिए विभिन्न बैंकों, मित्र, रिश्तेदार व बाजार से कर्ज लिया. उप ठेकेदार की ओर से विभिन्न कारण बता कर भुगतान नहीं किया गया. इससे परेशानी बढ़ते चली गयी.

इन वेंडर का है बकाया

वैष्णो इंफ्रास्ट्रक्चर का 2,59,00,000 रुपये, ऑमनिटेक इंटरप्राइजेट को 9,34,974 रुपये, मास मेटल एंड मिनरल को 81,09,364 रुपये, प्रोमेग मैटालिक्स प्राइवेट लिमिटेड का 94,75,522 रुपये, तिरुपति बालाजी इंटरप्राइजेज का 1,06,00,000 रुपये व केसरी नंदन इंटरप्राइजेज का 85,00,000 रुपये उप ठेकेदार के पास बकाया है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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