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डकैती के दौरान हत्याकांड में 36 वर्ष बाद कोर्ट का आया फैसला, दोनों आरोपित बाइज्जत बरी

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डकैती के दौरान हत्या के 36 वर्ष पुराने कांड में डीजीपी के आदेश के बाद भी पुलिस कांड के आइओ व पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को कोर्ट में गवाही के लिए पेश नहीं कर सकी. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्र के कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में कांड के दो आरोपितों को बाइज्जत बरी कर दिया.

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गोपालगंज. डकैती के दौरान हत्या के 36 वर्ष पुराने कांड में डीजीपी के आदेश के बाद भी पुलिस कांड के आइओ व पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को कोर्ट में गवाही के लिए पेश नहीं कर सकी. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्र के कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में कांड के दो आरोपितों को बाइज्जत बरी कर दिया. अभियोजन पक्ष से एपीपी जयराम साह, तो बचाव पक्ष से विजय कुमार व राजेश पाठक की ओर से कोर्ट को पर्याप्त साक्ष्य दिया गया. अभियोजन अभियुक्तों के खिलाफ सजा के लिए पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं करा सके. अभियोजन को पर्याप्त अवसर मिलने के बावजूद अपने मामले के समर्थन में मृतक का पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक, मामले के अनुसंधानकर्ता का साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया. अभियोजन द्वारा जिन छह साक्षियों को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, उनमें साक्षी रामजी राय, अवधेश गिरि एवं विपिन पंडित पक्षद्रोही घोषित हो गये. बचाव पक्ष की ओर से दाखिल साक्ष्य में स्पष्ट हुआ कि सूचक गणेश साह से इस वाद के अभियुक्त लंगटू दास एवं मोहर दास के बीच में पुराना जमीन का विवाद चला आ रहा था. विचारण सं० 127/82 का हवाला भी दिया. अभियोजन अपने मामले को संदेह से परे साबित करने में पूर्णतः असफल रहा है. जीवित अभियुक्त मोहर दास (उम्र लगभग 75 वर्ष) एवं गोपाल साह को आरोप से दोषमुक्त कर दिया. डकैती की बारदात में झझवां गांव के राजनाथ सिंह, मडई दास, गोपाल साह, लंगटू दास, मोहर दास एवं ज्ञानी दास पकड़ी व करसघाट के रहने वाले गोपाल साह अन्य अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया था. केस के ट्रायल के लंबित रहने के कारण चार अभियुक्त राजनाथ सिंह, लंगटू दास, ज्ञानी दास, मड़ई दास की मृत्यु हो चुकी है. अब गोपाल साह एवं मोहर दास जीवित हैं.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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