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1.58 लाख कांवरियों ने चढ़ाया जल, बाह्य अरघा से मिल रही राहत

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सावन माह का आखिरी सप्ताह शुरू हो गयी है, बावजूद कांवरियों की संख्या में कमी नहीं आयी है.

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संवाददाता, देवघर : सावन माह का आखिरी सप्ताह शुरू हो गयी है तथा श्रावणी मेला अब ढलान पर पहुंच गया है, बावजूद कांवरियों की संख्या में कमी नहीं आयी है. सोमवार को भारी भीड़ होने के कारण करीब 10 हजार कांवरिये जलार्पण करने से वंचित रह गये थे तथा रात करीब 10 बजे पट बंद होने के कारण वे सभी कतार में ही रात भर रूके रहे तथा मंगलवार की अहले सुबह जलार्पण किया. मंगलवार को भी भीड़ का प्रवाह कम नहीं हुआ और कतार पांच किमी दूर बीएड कॉलेज से संचालित की गयी. दोपहर तक बीएड कॉलेज से ही कांवरियों को बाबा मंदिर तक भेजने की व्यवस्था जारी रही. वहीं दोपहर तीन बजे के बाद भीड़ में कमी आयी, तो कांवरियों को जलसार पार्क से कतारबद्ध कर शिवराम झा चौक होते हुए मंदिर भेजने की व्यवस्था पट बंद होने तक जारी रही. इस दौरान रात करीब साढ़े नौ बजे पट बंद किया गया. पट बंद होने तक कुल 158790 कांवरियों ने जलार्पण किया. इसमें मुख्य अरघा के माध्यम से 102153, बाह्य अरघा से 47965 तथा शीघ्र दर्शनम के माध्यम से 8672 कांवरियों ने जलार्पण किया. बाह्य अरघा से कांवरियों को काफी राहत मिल रही है.

बगलामुखी मंदिर में जलार्पण करना नहीं भूलते कांवरिये :

सावन महीने का बाबा मंदिर में खास महत्व है. यह ज्योतिर्लिंग होने के साथ-साथ शक्तिपीठ भी है तथा यहां माता सती का हृदय गिराथा, इसे हृदयापीठ भी कहा जाता है. बाबा यहां माता के साथ विराजमान हैं, इसलिए यहां शक्ति की खास प्रधानता है. चली आ रही परंपरा के अनुसार यहां बाबा से पहले माता शक्ति की पूजा होती है. मंदिर परिसर में बाबा सहित कुल 22 मंदिर हैं, जिसमें की शक्ति के अलग-अलग रूप में देवी विराजमान हैं. इनमें से बाबा मंदिर के ठीक पीछे मां बगलामुखी का मंदिर है. कहा जाता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से पूजा करने पर माता अपने भक्त पर कृपा करती हैं और भक्त को शत्रु पर विजय बनाने में सहायक होती है. इसलिए अन्य मंदिरों में जलार्पण करने के बाद कांवरिये बगलामुखी मंदिर में पूजा करना नहीं भूलते हैं.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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