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Bangladesh Violence: बांग्लादेश में तख्तापलट, जानें ढाका छोड़कर क्यों भागीं शेख हसीना?

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Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंसा चरम पर है. प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को प्रधानमंत्री आवास पर कब्जा कर लिया है. बांग्लादेश की मीडिया के अनुसार पीएम शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और ढाका छोड़कर भारत के लिए रवाना हो गई हैं.

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Bangladesh Violence: बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री आवास पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद शेख हसीना को पीएम आवास छोड़ना पड़ा. शेख हसीना सोमवार को दोपहर करीब 2:30 बजे एक सैन्य हेलीकॉप्टर से बंगभवन से रवाना हुईं. उनके साथ उनकी छोटी बहन शेख रेहाना भी थीं. बांग्लादेश मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वे एक सुरक्षित स्थान के लिए रवाना हुईं.

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बांग्लादेश में पुलिस पीछे हटी, सेना ने संभाला मोर्चा

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने और उनके ढाका छोड़ने की खबर के बीच वहां की पुलिस पीछे हट गई और सेना ने मोर्चा संभाल लिया है. बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास में घुस गए हैं.

शेख हसीना को क्यों ढाका छोड़कर भागना पड़ा

प्रदर्शन को लेकर शेख हसीना और सेना के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी. सभी जनरलों ने सेना उतारने का विरोध किया था. पूर्व सेना अफसर भी सरकार के विरोध में उतरे. सेना ने सरकार से तुरंत पीछे हटने को कहा था. सेना ने प्रदर्शनकारियों पर सख्ती से इनकार किया था.

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प्रदर्शनकारियों ने की थी शेख हसीना के इस्तीफे की मांग

प्रदर्शनकारी लगातार प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. प्रदर्शनकारी सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था के मुद्दे को लेकर हसीना का इस्तीफा मांग रहे थे. रविवार को बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच देश के विभिन्न हिस्सों में झड़प में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी. झड़पें रविवार की सुबह हुईं जब प्रदर्शनकारी ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ के परचम तले आयोजित ‘असहयोग कार्यक्रम’ में भाग लेने पहुंचे. अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया तथा फिर दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई. बांग्ला भाषा के प्रमुख समाचार पत्र ‘प्रोथोम आलो’ ने बताया कि रविवार को हुई झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 101 लोगों की मौत हो गयी.

प्रदर्शनकारियों की क्या है मांग?

प्रदर्शनकारी विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लड़ाकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है. सरकार ने छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के बाद 2018 में इस पर रोक लगा दी थी, लेकिन जून में बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने आरक्षण बहाल कर दिया था, जिसके बाद देश में फिर से विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए थे.

बांग्लादेश आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का आया था बड़ा फैसला

छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया था. जिसमें कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण को घटा दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियां योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित की जाएं, पांच प्रतिशत 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिजनों और अन्य श्रेणियों के लिए दो प्रतिशत सीटें आरक्षित रखी जाएं.

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