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Bal Gangadhar Tilak Death Anniversary 2024: बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि पस जानें उनके प्रेरणादायक कोट्स

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लोकमान्य तिलक का निधन 1 अगस्त, 1920 को मुंबई में हुआ था. उन्हें एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पहले व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त नेता के रूप में याद किया जाता है. यहां देखें उनके प्रेरणादायक कोट्स

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Bal Gangadhar Tilak Death Anniversary 2024 : बाल गंगाधर तिलक एक स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक विचारक, दार्शनिक और शिक्षक थे जिन्हें भारत के स्वतंत्रता प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है. आज 1 अगस्त को उनकी पुण्यतिथि मनाई जा रही है.

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लोकमान्य नाम से भी जाना जाता है बाल गंगाधर तिलक को


बाल गंगाधर तिलक को ‘लोकमान्य’ के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है ‘लोगों के नेता के रूप में स्वीकृत’, वे शुरुआती भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे. उनके महत्वपूर्ण प्रभाव और बड़ी संख्या में अनुयायियों ने उन्हें ब्रिटिश अधिकारियों से ‘भारतीय अशांति के जनक’ की उपाधि दिलाई.

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‘फादर ऑफ इण्डियन अनरेस्‍ट'(Father of Indian Unrest) किसे कहा जाता है

बाल गंगाधर तिलक को अक्सर ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा उनके कट्टरपंथी दृष्टिकोण और स्वराज (स्व-शासन) पर उनके जोर के कारण “भारतीय अशांति के जनक” के रूप में संदर्भित किया जाता था. उनकी प्रसिद्ध घोषणा, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा,” भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक नारा बन गया.


बाल गंगाधर तिलक द्वारा शैक्षिक संस्थानों की स्थापना


बाल गंगाधर तिलक शिक्षा के प्रबल समर्थक थे. उन्होंने 1884 में डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी सहित कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारत के युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और राष्ट्रीय गौरव और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करना था.

बाल गंगाधर तिलक का साहित्यिक योगदान


बाल गंगाधर तिलक एक विद्वान और लेखक भी थे. उनकी रचनाओं में प्रसिद्ध पुस्तक “गीता रहस्य” शामिल है, जो भगवद गीता की व्याख्या है, जिसे उन्होंने मांडले में अपने कारावास के दौरान लिखा था. यह पुस्तक उनके दार्शनिक विचारों और कर्म और कर्तव्य में उनके विश्वास को दर्शाती है.

यहां देखें बालगंगाधर तिलक के प्रेरणादायक कोट्स


“स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर ही रहूँगा.”
बालगंगाधर तिलक

“ईश्वर कठिन परिश्रम करने वालों के लिए ही अवतार लेते है ना की आलसी व्यक्तियों के लिए, इस लिए कार्य करना आरंभ करें.”
बालगंगाधर तिलक

“आलसी व्यक्तियों के लिए भगवान अवतार नहीं लेते, वह मेहनती व्यक्तियों के लिए ही अवतरित होते हैं, इसलिए कार्य करना आरम्भ करें.”
बालगंगाधर तिलक

जीवन एक ताश के खेल की तरह है, सही पत्तों का चयन हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन ताश के पत्तों के साथ अच्छा खेलना हमारी सफलता को निर्धारित करता है.”
बालगंगाधर तिलक

“प्रातः काल में उदय होने के लिए ही सूरज संध्या काल के अंधकार में डूब जाता है और अंधकार में जाए बिना प्रकाश प्राप्त नहीं हो सकता.”
बाल गंगाधर तिलक

“आपका लक्ष्य किसी जादू से नहीं पूरा होगा, बल्कि आपको ही अपना लक्ष्य प्राप्त करना पड़ेगा.”
बालगंगाधर तिलक

“मुश्किल समय में खतरों और असफलताओं से बचने का प्रयास मत कीजिए, वे तो निश्चित रूप से आपके मार्ग में आयेंगे ही.”
बालगंगाधर तिलक

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