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Famine in Bihar: सावन में ही सूख रहे बिहार में नदियों के धार, बारिश बिन धान के बिचड़े हुए पीले

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Famine in Bihar: 15 जुलाई से 15 अगस्त तक धान रोपनी का समय है, लेकिन खेतों में पानी न होने के कारण किसान परेशान हैं. नये रोपनी की कौन कहे, पुराने रोपे गये धान को निजी पंप सेट से सिंचाई कर बढ़ाने की कवायद में जुटे हैं.

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Famine in Bihar: पटना/मुजफ्फरपुर/भागलपुर. सावन में ही बिहार में कई नदियों के धार सूखने लगे हैं. किसान नलकूप के जल से बिचड़े और रोपनी को बचाने की जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. 15 जुलाई से 15 अगस्त तक धान रोपनी का समय है, लेकिन खेतों में पानी न होने के कारण किसान परेशान हैं. नये रोपनी की कौन कहे, पुराने रोपे गये धान को निजी पंप सेट से सिंचाई कर बढ़ाने की कवायद में जुटे हैं. खेतों में लगे धान के बिचड़े बारिश के बिना पीले पड़ते जा रहे हैं. किसानों का कहना है कि इस सप्ताह बारिश नहीं हुई, तो समझिए खेती का बंटाधार हो गया. हालांकि कृषि विभाग ने दावा किया है कि बिहार के 38 जिलों में 47 फीसदी रोपनी हुई है, लेकिन रोपनी की दुश्वारियां बढ़ती जा रही हैं. किसान बारिश नहीं होने से परेशान हैं.

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बिना बारिश के पानी के रोपनी उचित नहीं

सासाराम कार्यालय के मुताबिक आषाढ़ में थोड़ी बारिश के बाद किसानों ने खेतों में बिचड़े डाले थे. आषाढ़ के अंतिम में हुई बारिश में रोपनी भी शुरू कर दी थी. लेकिन, सावन चढ़ते ही बादल रूठ गये. सावन माह के 10 दिनों में इतनी भी बारिश नहीं हुई कि बिचड़ों के काम आये. जुलाई में अब तक 238 एमएम बारिश होनी चाहिए थी. लेकिन महज 138 एमएम बारिश हुई है. कुछ राहत रिहंद और बाणसागर जलाशयों से इंद्रपुरी जलाशय को मिले पानी से है. नहरों में पानी है, लेकिन बिना बारिश के पानी के रोपनी उचित नहीं है. ऐसे में रोहतास जिले में मात्र 52.8% ही रोपनी हो सकी है.

उत्तर बिहार में भी आधी ही रोपनी

उत्तर बिहार के कई जिलों में धान की रोपनी का लक्ष्य आधा भी नहीं पहुंच सका है. किसानों ने लक्ष्य के हिसाब से बिचड़ा तो गिराया, लेकिन बारिश नहीं होने के कारण धान रोपनी लक्ष्य से बहुत पीछे है. समस्तीपुर में अब तक 56% धान रोपनी हुई है. जिले में जुलाई में 155 मिमी बारिश हुई, जो औसत से 44 प्रतिशत कम है. जून में भी महज 30.3 मिमी बारिश हुई, जो औसत से 77 प्रतिशत कम रही. पूर्वी चंपारण में भी लक्ष्य का अभी 65% धान की रोपनी हो पाई है. किसानों ने मांग की है कि डीजल अनुदान के बजाय बिजली शुल्क सरकार को माफ करनी चाहिए. इसी तरह मुजफ्फरपुर जिले में महज 44% ही रोपनी हो सकी है. सीतामढ़ी में रोपनी की स्थिति थोड़ी अच्छी है. जिले में अब तक 84% रोपनी हो गयी है.

कोसी-सीमांचल में नदियों के पास का इलाका भी सूखा

कोसी-सीमांचल व पूर्वी बिहार मॉनसून की दगाबाजी से सूखे की चपेट में है. कोसी-सीमांचल के ऐसे भी इलाके हैं, जहां नदियों में नेपाल से पानी आने के कारण बाढ़ आयी, लेकिन अनियमित बारिश के कारण खेत प्यासे रह गये. कटिहार-पूर्णिया-किशनगंज जिलों में धान की फसल किसानों ने जैसे-तैसे खेतों में लगा ली, लेकिन अब बारिश के रूठने के कारण पौधे पीले पड़ने लगे हैं. बांका व भागलपुर सीमा पर कतरनी उत्पादक किसान भी परेशान हैं. बारिश समय पर नहीं होने के कारण शाहकुंड, अकबरनगर, बौंसी, अमरपुर में खेतों में लगे धान के बिचड़े पीले पड़ चुके हैं. दोनों जिलों में रोपनी 30 फीसदी से अधिक प्रभावित हो चुकी है. धान का कटोरा कहे जाने वाले लखीसराय के टाल क्षेत्र में बाहरी पटवन के सहारे किसान बिचड़े को अब तक बचाये हुए हैं, लेकिन यदि ऐसे ही हालात रहे, तो खेतों में धनरोपनी मुश्किल हो जायेगी. सुपौल व मधेपुरा के ऊपरी इलाके में धान के पौधे बर्बाद हो रहे हैं. खगड़िया व नवगछिया की सीमा पर स्थित दियारा में इस बार धान की रोपनी चौथाई भी नहीं हुई है.

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किस जिले में कितनी धान की रोपनी

जिला रोपनी (% में)

  • बक्सर 43
  • आरा 38
  • जहानाबाद 30
  • अरवल 27
  • बिहारशरीफ 38
  • छपरा 35
  • हाजीपुर 60
  • गोपालगंज 80
  • सीवान 75

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