Madhushravani 2024: रांची-मधुश्रावणी का पर्व गुरुवार से शुरू हो गया. यह 7 अगस्त तक चलेगा. इस पर्व में नवविवाहित महिलाएं 14 दिनों तक विशेष पूजा और व्रत करती हैं. मान्यता है कि व्रत करने से सुहागिन महिलाओं के पति की उम्र बढ़ती है. इसके साथ ही घर में सुख और शांति भी आती है.
महिलाएं बिताती हैं सात्विक जीवन
झारखंड मिथिला मंच के जानकी प्रकोष्ठ की महासचिव निशा झा ने बताया कि इस दौरान नवविवाहित महिलाएं पूरे 14 दिन तक पूरी निष्ठा के साथ सात्विक जीवन बिताती हैं. इन 14 दिनों में महिलाएं बिना नमक का खाना खाती हैं, वो भी सिर्फ एक बार.
![Madhushravani 2024: मिथिला का लोकपर्व मधुश्रावणी शुरू, 7 अगस्त तक नवविवाहित महिलाएं करेंगी पूजा 1 Untitled Design 75 1](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/07/Untitled-design-75-1-1024x683.png)
अपने मायके में करती हैं व्रत
निशा झा बताती हैं कि प्राचीन काल से ही मिथिला में यह पर्व मनाने की परंपरा है. यह पर्व नवविवाहिता अपने मायके में करती हैं. इस दौरान उनकी ससुराल से ही गहने, खाने-पीने का सामान और कपड़ा आता है. इसके साथ ही महिलाएं प्रतिदिन अपने सहेलियों के साथ संध्या काल में बाग में जाकर फूल लोढ़ती हैं. उसके बाद फिर पूजा करती हैं.
![Madhushravani 2024: मिथिला का लोकपर्व मधुश्रावणी शुरू, 7 अगस्त तक नवविवाहित महिलाएं करेंगी पूजा 2 Untitled Design 76 1](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/07/Untitled-design-76-1-1024x683.png)
मधुश्रावणी है मिथिला की पहचान
यह पर्व मिथिला की पहचान है. हर साल मधुश्रावणी पूजा की शुरुआत सावन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से होती है. इसका समापन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होता है.
माता पार्वती ने रखा था पहला मधुश्रावणी का व्रत
मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए पहली बार मधुश्रावणी का व्रत रखा था. इस पूजन के आखिरी दिनों में महिलाएं खीर का भोग लगाती हैं. साथ ही सुहाग गीत गाकर भोले नाथ को प्रसन्न करती हैं.
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