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डैम में संचय होने के बदले बर्बाद हो रहा है बारिश का पानी

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सिल्ली में विभागीय लापरवाही के कारण किता डैम में बारिश के पानी का संशय नहीं हो पा रहा है. पानी की लगातार बर्बादी हो रही है.

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सिल्ली. सिल्ली में विभागीय लापरवाही के कारण किता डैम में बारिश के पानी का संशय नहीं हो पा रहा है. पानी की लगातार बर्बादी हो रही है. सिल्ली एवं आसपास के इलाकों में पिछले तीन दिनों में अच्छी बारिश हुई है, बारिश का लाखों गैलन पानी किता नहर में जाने के बजाय किता डैम होते हुए उरांगगढ़ा नदी के रास्ते स्वर्णरेखा नदी में चला जा रहा है. किता डैम से किता नहर की ओर जानेवाले पानी के गेट को विभाग ने बंद कर दिया है. इस कारण बारिश का पानी नहर के बदले नदी में चला जा रहा है. नहर भी बारिश के भरोसे है. कई स्थानों पर किता नहर बारिश होने के बाद भी सूखा हुआ है. ग्रामीणों के अनुसार नहर में पानी नहीं जाने के कारण खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है. किसान नहर के होते हुए भी बारिश पर आश्रित हैं. ग्रामीणों ने बताया कि यदि बारिश में नहर में पानी नहीं संग्रह किया गया, तो बारिश के बाद भी अन्य फसलों की सिंचाई के लिए भी पानी की समस्या उत्पन्न हो जायेगा.

नहर का क्या है हाल: करीब आठ किमी लंबे इस नहर से सिल्ली प्रखंड के किता, लोटा, बांधडीह, केंदुआडीह, बड़कीटांड़, सुरगुंजाडीह, खेदाडीह, धादकीडीह आदि के आसपास एक हजार एकड़ जमीन पर पटवन की जाती है. लेकिन, काफी समय से विभागीय लापरवाही के कारण किता नहर जर्जर अवस्था में है. नहर आधे दर्जन से ज्यादा स्थानों पर टूट चुका है. नहर का अधिकतर हिस्सा मिट्टी, घास, शैवाल और झाड़ियों से भरा हुआ है. बताया जाता है कि नहर की मरम्मत के लिए जल पथ प्रमंडल की ओर से 2011 एवं 2015 में दो बार लाखों रुपये खर्च किये गये थे, लेकिन नहर लगभग सूखा हुआ है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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