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बाबा कंचनेश्वर के दरबार में हाजिरी लगाने से होती हैं मनोकामनाएं पूर्ण

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डुमरांव से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित बाबा कंचनेश्वर नाथ का धाम काफी चर्चित है

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डुमरांव. डुमरांव से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित बाबा कंचनेश्वर नाथ का धाम काफी चर्चित है. यहां श्रद्धालु एन एच 120 सड़क से कोरानसराय मुख्य चौक होते हुए कचैनिया, कंचनपुर गांव के विनोबा वन स्थित मंदिर परिसर में पहुंचने के साथ बाबा कंचनेश्वर का दर्शन करते हैं. जहां हर साल अलग-अलग क्षेत्रों से हजारों की संख्या में सावन माह के प्रत्येक सोमवारी को जलाभिषेक व दर्शन करने के लिए श्रद्धालु आते हैं. स्थानीय धीरज पांडेय बताते कि यह मंदिर काफी प्राचीन है. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त यहां सच्चे दिल से बाबा के दरबार में हाजिरी लगाते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं बाबा पूर्ण करते हैं उन्होंने बताया कि मंदिर में हर साल लोग बाबा के दरबार में विद्वान पंडितों के द्वारा अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण कराने के लिए विधिवत पूजा-पाठ कराते हैं.

जल चढ़ाने से मनोकामनाएं होतीं हैं पूरी

युवा समाजसेवी सह भाजपा नेता धर्मेंद्र कुमार पांडेय का कहना है कि इलाके के लोगों का महादेव के प्रति आगाध आस्था है. ऐसा कहा जाता है कि बाबा कंचनेश्वर नाथ के दर्शन से लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. इसी मान्यता की वजह से धीरे-धीरे मंदिर की ख्याति बढ़ती जा रही है. फिलहाल सावन माह में श्रद्धालु दूर-दराज से महादेव के दर्शन के लिए पहुंचने लगे हैं.

ढाई सौ वर्ष पुराना है मंदिर

इस मंदिर के बारे में शिक्षक सह कवि पूर्णानंद मिश्र ने बताया कि ऐसा कहा जाता है कि कंचनपुर (कचईनिया) गांव स्थित भगवान भोलेनाथ का मंदिर लगभग ढाई सौ वर्ष पुराना है, मान्यताओं के अनुसार यहां महादेव का शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था, तब से लेकर आजतक भगवान शंकर यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर अपनी असीम करूणा बरसाते रहे हैं. इस ऐतिहासिक मंदिर के चौखट पर मत्था टेकने मात्र से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.

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– मंदिर की प्राकृतिक छटा अनुपम

श्रावण मास में मंदिर की प्राकृतिक छटा अनुपम होती है. चारो तरफ हरे-भरे जंगल में स्वच्छंद रूप से विचरण करते हुए हिरण और मंदिर प्रागंण के ठीक बीच में स्थित वन में सैकड़ों वर्ष पुराना एक बट वृक्ष भी है, जिसकी जड़ें जमीन के अंदर धंसी हैं. विशाल बरगद के वृक्ष की छांव मन को विशेष शांति प्रदान करती है. इस वन का क्षेत्र फल करीब सौ एकङ में फैला हुआ है. जहां विशाल बरगद के पेङ से निकले हुए जट नौ जगहों पर जमीन से जाकर जुङता है. जो काफी विशाल रूप ले चूका है. जानकारी के अनुसर यह बट वृक्ष वर्षो पुरानी है जिसे देखते बनता है.

वाणासुर तीन कदमों में चढ़ाता था जल

कहा जाता है कि प्राचीन काल में वाणासुर नाम का दैत्य तीन कदमों में तीन शिवलिंग पर जल चढ़ाता था. पहला ब्रह्मपुर, दूसरा विनोबा वन स्थित कंचनेश्वर महादेव पर और तीसरा, सासाराम की पहाड़ियों में स्थित गुप्ता धाम. मंदिर की ख्याती ऐसी है कि आस-पास के दस पंचायतों के हजारों लोग सावन और फाल्गुनी शिवरात्री पर यहां जल चढ़ाने आते हैं. लोग बताते हैं कि महाशिवरात्रि को यहां हर साल मेला लगता है. महाशिवरात्री को एक विराट मेले का आयोजन होता है. जहां लाखों की भीड़ जमा होती है.

माननीयों का भी हो चुका है आगमन

इस ऐतिहासिक मंदिर के परिसर में वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विपक्ष के नेता सहित लेट्स इंस्पायर बिहार के प्रणेता एवं तेजतरार आई पी एस विकास वैभव के अलावे नामी सरीखे माननीयों का भी आगमन पूर्व के समय में हो चुका है.

सावन माह में होता है पौधारोपण

सावन माह की आखिरी सोमवारी को विनोवा वन शिव मंदिर परिसर में भजन संध्या सास्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है. वही समाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा पर्यावरण बचाने को लेकर मंदिर परिसर के समीप पौधा रोपण का भी आयोजन किया जाता है. इस अवसर पर समाजसेवी सर्वजीत उर्फ करीया पांडेय, केशरी सुमन पांडेय, रमेश सिंह, कमता नाथ पांडेय, गौतम तिवारी, अमित दूबे, शक्ति पासवान, बबन दास के अलावे कई लोग भाग लेते हैं जहां पौधा रोपण करने के साथ-साथ लोग पर्यावरण बचाने का संकल्प लेते हैं. तथा बाबा कंचनेश्वर नाथ के दर्शन के लिए आए भक्तों को पौधारोपण करने के लिए जागरूक करते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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