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रात के अंधेरे में टार्च की रोशनी में जलाये जाते हैं शव

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गंगा किनारे बसे बक्सर शहर की रामायण काल से महत्व है़. मरने के बाद यदि किसी को काशी के बाद बक्सर में ही पूरे देश में शव का अंतिम संस्कार करने को लेकर होड़ मची रहती है

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बक्सर. गंगा किनारे बसे बक्सर शहर की रामायण काल से महत्व है़. मरने के बाद यदि किसी को काशी के बाद बक्सर में ही पूरे देश में शव का अंतिम संस्कार करने को लेकर होड़ मची रहती है. जहां यूपी के गाजीपुर, बलिया और बिहार के शाहाबाद के सासाराम, भभुआ, भोजपुर और बक्सर के दूर-दूराज बसे गांवों से लोग शव लेकर आते हैं और उत्तरायिणी गंगा में डुबकी लगाते हैं. सुबह से लेकर देर रात तक मुक्तिधाम में लोग शवों का अंतिम संस्कार करते हैं. मगर हर साल 3 लाख 24 हजार रुपये में टेंडर होने वाला मुक्तिधाम पर बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. यहां अंतिम संस्कार में शामिल होने आने वाले लोगों को बैठने तक का जगह नहीं मिलता है. यहां तक कि उनके लिए न तो शौचालय की व्यवस्था है और नही शुद्ध पीने के पानी की इंतजाम है. गंगा घाट किनारे जिस जगह पर शव जलाए जाते हैं, उस जगह को भी दबंगों ने लकड़ी का टाल लगाकर कब्जा कर लिया है. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि यहां रात के अंधेरे में टार्च की रौशनी में शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. घाट किनारे बने सरकारी कमरों में भी दबंगों ने जलावन की लकड़ी गिराकर कब्जा कर लिया है. बक्सर का मुक्तिधाम चरित्रवन शमशान घाट की जो स्थिति है, वह काफी खराब है. 13 साल पहले 42 लाख 81 हजार रुपये की लागत से बना शवदाह गृह हुआ बेकार वित्तीय वर्ष 2010-11 में लोक स्वास्थ्य प्रमंडल बक्सर की ओर से 42 लाख 81 हजार रुपये खर्च कर छह शय्या वाला शवदाह गृह बनाया गया था. लेकिन, अब सब कुछ बेकार पड़ा है. बरसात में जैसे-तैसे इसका उपयोग हो पाता है. बारिश होने पर स्थिति तो और भी खराब हो जा रही है. जबकि यहां से हर साल तीन लाख 24 हजार रुपये राजस्व की वसूली होती है. बावजूद इसके लोगों के लिए कोई सुविधा नहीं है. मुख्य सड़क से श्मशान घाट जाने वाला रास्ता तो पीसीसी बना हुआ है. मगर यह भी जगह-जगह टूट गया है. रास्ते में कीचड़ पसरा है. नाले की पानी सड़क पर बह रहा है. फिलहाल बारिश होने पर गंगा का जल स्तर भी अब धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. ऐसे में लोगों के पास घाट के किनारे शवदाह को लेकर एक तरफ तो परेशानी है ही पर पुराने बने शवदाह गृह में भी इन दिनों आप शवदाह नहीं कर पायेंगे. कारण उन जगहों पर लकड़ी वालों ने अवैध कब्जा कर लिया है. यह अलग बात है कि जैसे-तैसे शवदाह करना परिजनों की विवशता है. यहां न तो बेहतर बैठने की व्यवस्था है और न ही अन्य कोई साधन. एक पुराने बैठकखाना भी है तो उसमें आगे लकड़ी गिराकर उसमें जाने के रास्ते को अवरुद्ध कर दिया गया है. साथ ही इस बैठकखाने में गंदगी भी पसरी रहती है. हाल यह है कि बारिश से बचने के लिए लोग चाय की दुकानों पर शरण लेते हैं. लोगों के लिए पेयजल की भी समुचित व्यवस्था नहीं है. कई बार चापाकल खराब होने पर नगर पर्षद या पीएचइडी भी सुध नहीं लेता. एक चापाकल मंदिर परिसर में है, इसके अलावे कई चापाकल खराब पड़े हैं, जिसे विभाग ने अब तक नहीं सुधारा. वहीं, सामुदायिक शौचालय दो बने हुए हैं. एक में वर्षों से ताला लगा हुआ है तो दूसरा इतना गंदा है कि कोई जाना नहीं चाहता. देख-रेख के अभाव में यह शौचालय पूरी तरह खराब पड़ा हुआ है. रात में शवदाह के लिए आने वाले लोगों को और परेशानी होती है. रात्रि में यहां अंधेरा पसरा रहता है. यहां कई हाईमास्ट लगे हुए हैं. पर उनमें से अधिक खराब है. जिससे अंधेरा हो जाता है. मात्र एक हाईमास्ट के सहारे शुक्रवार की रात 10 बजे कुल एक दर्जन शव जलाएं जा रहे थे. वही तीन शव जगह नहीं रहने के कारण लाइन में लगा था. हालांकि एक मात्र हाई मास्ट की रौशनी भी गंगा किनारे घाट तक नहीं पहुंच रहा था. शराबबंदी फिर भी पांच सौ रुपये में मिल रहा शराब बिहार में शराबबंदी है पर यहां जगह-जगह विखरा पड़ा शराब का रैपर, शराबबंदी की पोल खोल रहा है. लोग इसके बारे में कुछ भी नहीं कहते कि आखिर यह रैपर कहां से आया है. पर यहां आपको सैकड़ों शराब का रैपर आसानी से देखने को मिल जायेगा. यहीं नही श्मशान घाट पर रात को नशे में चूर राजेंद्र यादव और प्रीतम यादव ने प्रभात खबर के संवाददाता से पांच सौ रुपये शराब की बोतल भी देने की बात स्वीकार की़ . क्या कहते हैं शहरवासी – मुक्तिधाम की अव्यवस्था देखकर मन बहुत आहत हुआ. लाखों रुपये राजस्व देने वाला मुक्तिधाम पर बुनियादी सुविधाएं मयस्सर तक नहीं है. सत्यदेव प्रसाद, बक्सर चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष – जिला प्रशासन को चरित्रवन स्थित मुक्तिधाम पर दूर-दराज से आने वाले लोगों के लिए कम से कम बैठने व शौचालय की व्यवस्था करना चाहिए. इस अव्यवस्था से एतिहासिक बक्सर शहर की महत्व को चोट पहुंच रहा है. अरविंद सिंह, पतंजलि योग समिति के जिला प्रभारी – काशी के बाद बक्सर में ही शवों का अंतिम संस्कार करने को लेकर दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं. मगर यहां सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. दिनेश जायसवाल – जिलाधिकारी को भी श्मशान घाट पर फैली अव्यवस्थाओं पर ध्यान देने की जरूरत है. ताकि यहां शवों का अंतिम संस्कार करने आने लोगों को परेशानी न हो. संजय सिंह राजनेता, जदयू 8 करोड़ 72 लाख 18 हजार 202 रुपये की राशि से बक्सर के मुक्तिधाम का हो रहा कायाकल्प बक्सर. आने वाले दिनों में शहर के चरित्रवन स्थित मुक्तिधाम का कायाकल्प होने जा रहा है. मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा मुक्तिधाम का जीर्णोद्धार के लिये नगर विकास एवं आवास विभाग ने कुल 8 करोड़ 72 लाख 18 हजार 202 रुपये की राशि आवंटित की है. आवंटित राशि सुशासन के कार्यक्रम 2020- 25 के अंतर्गत आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय -2 के तहत मोक्षधाम योजना में विद्युत शवदाह गृह निर्माण के लिये मिला है. निर्माण कार्य बुडको करा रही है. हालांकि जीर्णोद्धार कार्य में विलंब का कारण हाई कोर्ट में इससे जुड़े मामले की सुनवाई के कारण हुआ. वरना यह काम एक साल पहले ही शुरू हो गया होता.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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