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बारिश के साथ सब्जियों के भाव में आयी उछाल, टमाटर हुआ लाल तो हरी मिर्च हुई तीखा

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बारिश शुरू होने के साथ ही सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं. सब्जियों में हरी मिर्च तीखा हुआ तो टमाटर भी गुस्से से लाल है.

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खगड़िया. बारिश शुरू होने के साथ ही सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं. सब्जियों में हरी मिर्च तीखा हुआ तो टमाटर भी गुस्से से लाल है.

हालांकि अन्य हरी सब्जियों की कीमत में 10 से 20 प्रतिशित की प्रतिकिलो में बढ़ोतरी हुई है. हरी मिर्च, टमाटर सहित आलू के साथ प्याज की कीमत में इजाफा हुआ है. टमाटर की कीमत में आयी उछाल एक बार फिर आम लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है. बीते 15 दिन पहले 20 से 30 रुपये किलो टमाटर व हरि मिर्च 40-60 रूपये किलो मिल रहा था, वहीं अब इसकी कीमत 80 से 100 रुपये एवं 120 से 130 रूपये प्रति किलो तक पहुंच गयी है, जिसके कारण गरीब तो गरीब मध्यम वर्ग के लिए भी टमाटर खाना मुश्किल होते जा रहा है. इसके अलावे मसाले, दाल और सब्जियों की बढ़ती हुई कीमत ने हर घर की रसोई का बजट बिगाड़ कर रख दिया है. गृहणियां परेशान हैं, वह जब भी वह बाजार जाती हैं तब वहां किसी न किसी चीज की कीमत बढ़ी मिलती है. सब्जी विक्रेता विकास कुमार मंडल ने बताया कि बारिश शुरू होते ही हरी सब्जियों की आवक कम हो जाती है. इसलिए कीमतें में बढ़ोतरी हो जाती है. बताया कि परवल, बैगन, आलू, प्याज, भींडी, करेला, कद्दू, नोनिया, खीरा की दर में प्रति किलो में 10 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. बताया कि हरी सब्जी में टमाटर 80-100 रूपये किलो व हरी मिर्च 120-130 प्रति किलो बिक रहा है. वहीं आलू व प्याज में की दर में भी बढ़ोतरी हुई है. गरीब हो या अमीर सभी की सब्जी आलू है. हरी सब्जी के भाव कम हो जाएं तो आलू की खपत घट जाती है, परंतु जब हरी सब्जी का भाव चढ़ता है तो गरीब और मध्यम वर्ग आलू की तरफ मुखातिब हो जाते हैं. इस समय हरी सब्जियों की वनस्पत आलू और प्याज की कीमत बढ़ रही है. ऐसा नहीं है कि आपूर्ति नहीं हो रही है. आपूर्ति सामान्य रूप से हो रही है, लेकिन थोक व्यापारियों द्वारा स्टॉक किए जाने की वजह से कीमत में उछाल आ गयी है. स्टॉक किये जाने के बाबत कहा जाता है कि इसका स्टॉक इसलिए किया – जा रहा है ताकि संभावित बाढ़ के दौरान अधिक मुनाफा कमाया जा सके. यही

हरी सब्जियों का दर प्रतिकिलो में

बैगन -40

परबल-40

लौकी -30

टमाटर-80

भिंडी – 40

नेनुआ-20करेला –

खीरा-60

हरी मिर्च- 120

नींबू- 10 रूपये प्रति जोड़ा.

यूपी व बंगाल से आलू व नासिक से आ रहा है प्याज

शहर के एसडीओ रोड स्थित आलू व व्याज के थौक विक्रेता श्रवण कुमार ने बताया कि जिले की मंडियों में 5 से 7 ट्रक आलू प्रतिदिन आता है. आलू की आवक यूपी, पश्चिम बंगाल से होता है. इसके अलावे जिला के किसान भी मंडी में छोटे-छोटे वाहनों से आलू लाकर बेचने आते हैं. वहीं 6 से 7 ट्रक प्याज प्रतिदिन नासिक, अहमदनगर, पुणा से आ रहा है. थौक विक्रताओं ने बताया कि अगर स्टॉक करना बंद कर दिया जाय तो आलू और प्याज की कीमत में गिरावट आ जायेगी.

प्रतिकूल मौसम ने बढ़ाये हरी सब्जियों के भाव

सब्जी कारोबारी मो. समसुल व विकास कुमार ने बताया कि गर्मी की उमस की वजह से हरी सब्जियों का आवक कम हो गया है. इससे उसकी कीमत में तेजी आ गयी है. गर्मी एवं बरसात के मौसम में हरी सब्जी महंगी होने की वजह से आलू और प्याज की खपत ज्यादा एवं आपूर्ति कम होने की वजह से कीमत में उछाल आयी है. यही कारण है कि आलू 30 से 32 रूपये किलो, प्याज 36 से 38 रूपये किलो बिक रहा है.

मसाले व सब्जियों के बढ़े दाम ने बिगाड़ा रसोई का बजट

जीरा और लहसुन के बाद अब हरी मिर्च व टमाटर की कीमत में आग लगनी शुरू हो गयी है. मुर्ग-मुसल्लम और सब्जियों को जायकेदार बनाने वाला टमाटर व हरी मिर्च अब लोगों के मुंह का स्वाद बिगाड़ने पर तुला है. इससे ऐसा लगता है कि कहीं हरी मिर्च व टमाटर की तरह लहसुन और जीरे लोगों को रुलाने न लगे. मसाला बेचने वाले दुकानदारों की माने तो लाल मिर्च 240 रूपये प्रतिकिलो, अदरक 200 रूपये किलो, लहसून 160 रूपये किलो व जीरा 450 रूपये प्रतिकिलो बिक रहा है. यह आकंडा खुदरा बाजार का है. सब्जी का स्वाद बढ़ाने वाली आदी भी हुई महंगी सब्जी से लेकर मुर्ग- मुसल्लम तक का स्वाद बहाने वाली आदि भी इन दिनों काफी हो चुकी है. बताया जाता है कि

लहसुन की कीमत भी इन दिनों आसमान पर है. पिछले साल जहां अच्छी क्वालिटी का लहसुन 30-40 रुपये केजी बिक रहा था, वहीं लहसुन आज 160 से 200 रुपये प्रति केजी बिक रहा है. मसाला विक्रेताओं की माने तो लहसुन की फसल राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है. पिछले साल लहसुन की कीमत इतनी कम थी. लहसुन उगाने वाले किसानों को घर से घाटा उठाना पड़ा.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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