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बारिश ने बुझाई खेतों की प्यास तो बंध गई किसानों की आस

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कहीं बिचड़ा उखाड़ने तो कहीं लगी रोपनी की होड़

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खेती किसानी :

जिले में कहीं बिचड़ा उखाड़ने तो कहीं लगी रोपनी की होड़

72 घंटे की बारिश के बाद पंपसेट से बच गया पटवन का व्यय

माॅनसून के समय पर नहीं आने के कारण असमंजस में थे जिले के किसान

अभी रुक रुक कर हो रही बारिश पर मिल रही है किसानों को राहत

पूर्णिया. पिछले 72 घंटे से हो रही बारिश ने किसानों की राह आसान कर दी है. हालांकि रुक रुक कर ही बारिश हुई है पर इससे न केवल सूखते खेतों की प्यास बुझी है बल्कि किसानों की आस भी एक बार फिर बंध गई है. पीले पड़ते धान के बिचड़ों में इस बारिश ने जान फूंक दी है और यही वजह है कि किसान हल-बैल के साथ खरीफ की खेती अभियान में जुट गये हैं. किसान कहीं बिचड़ा उखाड़ रहे हैं तो कहीं रोपणी भी करने लगे हैं. रोपणी का काम अब तेज कर दिया गया है. दरअसल इस साल खरीफ के सीजन में कड़ी धूप और प्रचंड गर्मी के साथ माॅनसून की बेरुखी ने किसानों को रुला दिया था. खेतों की नमी गायब हो गई थी और खेतों में लगे धान के बिचड़े पीले पड़ने लगे थे. किसान नाउम्मीद हो चले थे पर मौसम अचानक मेहरबान हुआ और बारिश भी हुई. पिछले बहत्तर घंटे की बारिश का रिकार्ड देखा जाए तो इस बीच 70.4 मिमी. बारिश हुई है जो फिलहाल धान की खेती के लिए पर्याप्त मानी जा रही है. सिर्फ पिछले 24 घंटे में 68 मिमी. बारिश रिकार्ड की गई है. विभागीय जानकारों की मानें तो अब तक 15 फीसदी रोपणी हो गई है जबकि किसान लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं.

मेहरबान मौसम ने बढ़ायी उम्मीदें

गौरतलब है कि इस बार माॅनसून काफी देर से आया पर इससे पहले सीजन निकलने के डर से किसानों ने पंपसेट से पटवन कर ताबड़तोड़ बिचड़ा गिरा दिया. बीच में हल्कि झलक दिखा बारिश ने ऐसा मुंह फेरा कि किसान हताश हो गए. हताशा की वजह है कि धान रोपनी का वास्तविक समय 31 जुलाई तक ही है और बारिश ने ऐसे समय में धोखा दे दिया जब बिचड़ा के लिए खेतों की पानीे की जरुरत थी. मगर मौसम के मेहरबान होते ही सबकी उम्मीदें बंध गई हैं. अब किसान मानने लगे हैं कि मौसम ने साथ दिया तो आशा के अनुरूप धान का उत्पादन संभव हो जाएगा. प्रगतिशील किसानों की मानें तो धान के खेत में समय पर निश्चित मात्रा में 4 से 5 से.मी.पानी रोपनी से कटनी के दस दिन पूर्व तक बनाए रखना जरूरी होता है. इस साल शुरुआती दौर से ही मौसम और बारिश अनुकूल नहीं रहा जिससे वे असमंजस में थे.

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आंकड़ों पर एक नजर

15 फीसदी रोपनी इस सीजन में अब तक हो चुकी है

95 हजार हेक्टेयर तक होती है जिले में धान की खेती6800 हेक्टेयर में पूर्णिया पूर्व प्रखंड में लगाया जाता है धान4850 हेक्टेयर में कसबा प्रखंड के किसान करते हैं धान की खेती4675 हेक्टेयर भूखंड जलालगढ़ में धान के लिए है रिजर्व9515 हेक्टेयर में अमौर के किसान लगाते हैं धान6800 हेक्टेयर में केनगर प्रखंड में होती है धान की खेती6425 हेक्टेयर भूमि पर बायसी के किसान उगाते हैं धान

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फोटो- 6 पूर्णिया 4- धान रोपणी करते किसान

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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