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हम हैं दलित व आदिवासी, अरेस्ट करे पुलिस

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मैं आदिवासी हूं-मैं दलित हूं-पुलिस मुझे गिरफ्तार करो, दलितों व आदिवासियों को झूठे मामलों में फंसाना और कोयला माफिया को संरक्षण देना नहीं चलेगा, कोयला व बालू के आतंक के खिलाफ बाराबनी का दलित समाज लड़ रहा है और लड़ेगा. इस प्रकार के नारे लिखी तख्तियां लेकर गुरुवार को बाराबनी थाना क्षेत्र के दलित व आदिवासी समाज के सैकड़ों की संख्या में लोगों ने आसनसोल रवींद्र भवन के सामने जमा होकर प्रदर्शन किया.

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आसनसोल.मैं आदिवासी हूं-मैं दलित हूं-पुलिस मुझे गिरफ्तार करो, दलितों व आदिवासियों को झूठे मामलों में फंसाना और कोयला माफिया को संरक्षण देना नहीं चलेगा, कोयला व बालू के आतंक के खिलाफ बाराबनी का दलित समाज लड़ रहा है और लड़ेगा. इस प्रकार के नारे लिखी तख्तियां लेकर गुरुवार को बाराबनी थाना क्षेत्र के दलित व आदिवासी समाज के सैकड़ों की संख्या में लोगों ने आसनसोल रवींद्र भवन के सामने जमा होकर प्रदर्शन किया. यहां से रैली निकालकर पुलिस आयुक्त कार्यालय के समक्ष जमा होकर अपनी गिरफ्तारी देने की मांग पर वह अड़े रहे. आसनसोल साउथ थाना के प्रभारी भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे और आंदोलकारियों को काफी देर समझाने का प्रयास किया. आंदोलनकारी उनकी बात मान गये और रैली लेकर पुलिस आयुक्त कार्यालय के निकट तक जाकर पुनः वापस रवींद्र भवन के समक्ष आकर जमा हो गये. पांच प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस उपायुक्त (सेंट्रल) ध्रुव दास के साथ बैठक कर अपनी समस्याओं को रखा. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पुछड़ा ग्राम पंचायत के सदस्य व तृणमूल नेता बापी बाउरी ने कहा कि पुलिस उपायुक्त ने आश्वासन दिया है कि बिना कारण के किसी की गिरफ्तारी नहीं होगी. जो भी समस्या है उसका लिखित ज्ञापन दें, समस्या का समाधान होगा. इस आश्वासन के बाद आंदोलकारी वापस लौट गये. इस आंदोलन ने बाराबनी थाना प्रभारी मनोरंजन मंडल को सवालों के घेरे में ला दिया है.

गौरतलब है कि बाराबनी थाना इलाके में पिछले एक सप्ताह से पुलिस और दलित व पिछड़े वर्ग के लोगों के बीच काफी तनाव बना हुआ है. बापी बाउरी ने कहा कि बाराबनी में एससी और एसटी से जुड़े लोगों को थाना प्रभारी धमकी देते रहते हैं और बिना किसी वजह के गिरफ्तार कर ले रहे हैं. कुछ दिन पहले गौतम बाउरी नामक युवक को थाने में बुलाकर गिरफ्तार कर लिया गया. वह गिरफ्तार होने के कुछ घंटे पहले ही अपने पड़ोसी के आपसी विवाद को लेकर थाने में बीचबचाव करके गया था. बापी बाउरी ने कहा कि बालू और कोयला जिन रास्तों से ले जाया जा रहा है, उन रास्तों पर स्कूली बच्चे आना-जाना करते हैं. ये रास्तों भारी वाहनों के चलने से बर्बाद हो रहे हैं. इसे लेकर हादसे भी हो रहे हैं. यहां से भारी वाहनों के यातायात का विरोध किया गया. इसके बाद थाना प्रभारी पुलिस के साथ पहुंचे और पांच लड़कों को उठाकर थाने लवे आये और बुरी तरह पीटा. स्थानीय पंचायत सदस्य थाने में बात करने गये थे लेकिन थाना प्रभारी ने कहा कुछ भी सुनने से इनकार किया और कहा कि 150 से 200 लोगों पर केस देकर उन्हें अंदर करेंगे. थाना प्रभारी की इसी बात से नाराज लोग पुलिस आयुक्त के पास अपनी गिरफ्तारी देने के लिए आये हैं.

क्या है पूरा मामला

गत 27 जून को बाराबनी थाने की पुलिस ने अपने क्षेत्र के खोड़ाबर इलाके के गौतम बाउरी को थाने में बुलाकर गिरफ्तार कर लिया. वह 26 जून को पड़ोस में रहने वाले पति-पत्नी के बीच के विवाद को लेकर थाने में बीच-बचाव करने आया था. बाद में वह जमानत पर रिहा हो गया. इस घटना से बाउरी समाज के लोगों में काफी नाराजगी थी. 28 जून की रात को सैकड़ों की संख्या में दलित व आदिवासी समाज के लोगों ने बाराबनी थाने के समक्ष प्रदर्शन किया. उनका आरोप था कि पुलिस दलितों को झूठे मामले में क्यों फंसा रही है? इलाके के एक बाहुबली नेता के इशारे पर थाना प्रभारी इस तरह के कार्य कर रहे हैं. आंदोलनकारियों के साथ थाना में पुलिस अधिकारियों की काफी देर बैठक के बाद मामला शांत हो गया.

इस 28 जून के आंदोलन को लेकर बाराबनी थाना के अवर निरीक्षक शोभन साहा की शिकायत पर बाउरी समाज के 14 नेताओं को नामजद करने के साथ 250 अन्य पुरुष महिलाओं को आरोपी बनाकर प्राथमिकी दर्ज हुई. जिसमें कांड संख्या 96/24 में बीएनएस की धाराएं 143/147/148/149/153ए/353 लगायी गयी हैं. बुधवार रात को पुलिस ने काजल बाउरी, राजीव बाउरी, संजय गोराई, बापी धीबर और कृष्णा बाउरी को उठाकर थाने लायी. इसकी सूचना मिलते ही सैकड़ो की संख्या में पुरुष व महिलाएं अपनी गिरफ्तारी को लेकर बाराबनी थाना के समक्ष पहुंचे. काफी देर हंगामा चला. भारी बारिश होने से रात ग्यारह बजे वे सभी लौट आये और सुबह पुलिस आयुक्त कार्यालय कूच करने का अभियान शुरू कर दिया. इस बीच पुलिस ने गिरफ्तार सभी को थाना से ही बेल बांड पर रिहा कर दिया.

पुलिस पर लोगों को झूठे मामलों में फंसाने के लगते रहे हैं आरोप

2024 लोकसभा चुनाव के दौरान संदेशखाली के मुद्दे पर राज्यभर में विपक्षी पार्टियों का आंदोलन चल रहा था. गत 25 फरवरी को भाजपा की ओर से इस मुद्दे को लेकर बाराबनी थाना इलाके के गौरांडी इलाके में प्रदर्शन किया गया. इस दौरान मुख्यमंत्री का पुतला फूंका गया. आंदोलन समाप्त हो जाने के बाद भाजपा के जिला सचिव अभिजीत राय, भाजयुमो के जिलाध्यक्ष बाबन मंडल, भाजयुमो बाराबनी मंडल एक के अध्यक्ष खोखन महाराज को नामजद करने के साथ सात वाहनों का नंबर देकर उनके मालिकों सहित अन्य को आरोपी बनाकर थाना के पुलिस अवर निरीक्षक अमित कर की शिकायत पर गैरजमानती धाराओं के साथ मामला दर्ज हुआ था. दूसरे ही दिन आसनसोल साउथ की विधायक अग्निमित्रा पाल बाराबनी थाने की पुलिस पर भाजपा नेताओं को झूठे मामले में फंसाने के आरोप लगाकर भगत सिंह मोड़ पर धरने पर बैठी थीं.

अवैध कोयला कारोबार से रहता है सुरक्षा एजेंसियों को भी खतरा

बाराबनी थाना क्षेत्र में इसीएल की कई कोयला खदानें हैं. यहां कोयला चोरी की घटना आम है, जिसकी शिकायत भी थाने में नियमित होती रहती है. यहां खदानों में छापेमारी के दौरान सुरक्षा कर्मियों पर हमला की घटना भी आम है. कुछ दिनों पूर्व खदान में छापेमारी के दौरान सीआइएसएफ और इसीएल सुरक्षा टीम ने नौ लोगों को पकड़ा था. कोयला चोरों ने सुरक्षा टीम पर हमला कर दिया था. अपने साथियों को उनके चंगुल से मुक्त करा लिया और सुरक्षा अधिकारी की गाड़ी में तोड़पोड़ की थी. सुरक्षा अधिकारी सह उनकी टीम किसी तरह अपनी जान बचाकर वहां से निकले थे.

आंकड़ों के लिहाज से सबसे शांतिप्रिय थाना है बाराबनी

छह माह में बाराबनी थाना इलाके में सिर्फ 96 प्राथमिकी दर्ज हुई है. इस दृष्टिकोण से यह थाना क्षेत्र काफी शांत है. करीब के आसनसोल नॉर्थ थाना में 314 प्राथमिकी, आसनसोल साउथ थाने में 243 प्राथमिकी, जामुड़िया थाने में 304 प्राथमिकी और सालानपुर थाने में 116 प्राथमिकी दर्ज हुई हैं. यानी यहां महीने में औसत 15 मामले ही दर्ज होते है. इसके बावजूद झूठे मामले में फंसाने का आरोप उनपर लगातार लग रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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