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Madhya Pradesh: मैहर में स्वयं आल्हा करते है देवी की पूजा… जानें आल्हा-उदल की कहानी

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विंध्य पर्वत श्रेणियों के बीच त्रिकुट पर्वत पर मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित है मां शारदा का भव्य मंदिर, पंडित से पहले रोज आल्हा करते है अनुष्ठान.

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Madhya Pradesh के शांत परिवेश में बसा मैहर मंदिर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक उत्साह का प्रमाण है. सतना जिले के मैहर में स्थित, यह प्राचीन मंदिर, जिसे शारदा देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, समुद्र तल से लगभग 600 मीटर ऊपर त्रिकुट पहाड़ी पर स्थित है. यह मंदिर न केवल भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं का प्रतीक भी है.

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Maihar 1
मां शारदा देवी मंदिर, मैहर, सतना, मध्यप्रदेश (social media)

चढ़नी होती हैं 1,063 सीढ़ियां

विंध्य पर्वत की श्रेणियों के बीच त्रिकुट पर्वत पर स्थिति मैहर, जिसका अर्थ है ‘माई’ का ‘हार’, माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान शिव द्वारा देवी सती के जले हुए शरीर को लेकर तांडव नृत्य करने पर देवी सती का हार गिरा था. यह पौराणिक जुड़ाव मैहर को अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व का स्थल बनाता है, जो हर साल हजारों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है. मंदिर तक पहुँचने के लिए 1,063 सीढ़ियासीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, हालांकि बुज़ुर्गों और दिव्यांगों के लिए यात्रा को आसान बनाने के लिए रोपवे सिस्टम भी शुरू किया गया है.

Trikut Parvat
Maa sharda devi temple, maihar, madhya pradesh(social media)

सच्चे दिल से मांगी मन्नत होती है पूरी

मैहर मंदिर के केंद्र में देवी शारदा देवी की मूर्ति है, जो देवी दुर्गा का एक अवतार हैं. भक्तों का मानना है कि देवी उन लोगों की इच्छाएँ जरूर पूरी करती हैं जो सच्चे मन यहां से आते हैं. मंदिर में नवरात्रि के दौरान तीर्थयात्रियों की भारी-भीड़ उमड़ती है, देवी दुर्गा को समर्पित नौ दिवसीय त्योहार, जिसमें अनुष्ठान, उपवास और सांस्कृतिक कार्यक्रम जगरातें भी शामिल हैं. भक्तों को देवी को लाल चुनरी (दुपट्टा), चूड़ियां और नारियल चढ़ाते देखना मन को सुकून देने वाला दृश्य है, जो उनकी भक्ति, श्रद्धा एवं मां शरद के प्रति के उनके अटूट विश्वास को दर्शाता है.

Collage
मां शारदा, मैहर, मध्यप्रदेश (social media)

क्या है आल्हा और उदल की कहानी जिन्होंने की थी मंदिर की खोज

मैहर मंदिर के सबसे आकर्षक पहलुओं में से एक बुंदेलखंड के लोकगीतों के दो वीर योद्धा आल्हा और उदल की कहानी है. त्रिकुट पर्वत पर इस मंदिर की खोज दोनों भाइयों ने की थी. आल्हा और उदल शारदा देवी के परम भक्त थे और माना जाता है कि उन्होंने अटूट भक्ति के साथ उनकी पूजा-अर्चना की थी.आल्हा को देवी ने स्वयं अमरता का वरदान भी दिया था.


ऐसा माना जाता है कि पुजारी के पूजा करने के लिए आने से पहले हर सुबह ब्रम्ह मुहुर्त में आल्हा मंदिर जाते हैं.जब पुजारी अक्सर मंदिर परिसर को पहले से ही साफ पाते हैं, जिसमें देवी को ताजे फूल भी चढ़े होते हैं, जैसे कि किसी ने उनसे पहले पूजा की हो.यह रहस्यमयी घटना भक्तों की आस्था को मजबूत करती है और मंदिर की विद्या में एक रहस्यमय आकर्षण जोड़ती है.

Maihar Temple
मां शारदा देवी मंदिर, मैहर, सतना, मध्यप्रदेश (social media)

मैहर मंदिर के बारे में रोचक तथ्य

यह मंदिर 9वीं शताब्दी का है और सदियों से इसका कई बार जीर्णोद्धार किया गया है. यह प्राचीन भारतीय मंदिर वास्तुकल का एक बेहतरीन उदाहरण है.
मैहर अपनी संगीत विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसका श्रेय मुख्य रूप से महान सरोद वादक उस्ताद अलाउद्दीन खान को जाता है, जिन्होंने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मैहर में बिताया था.

मैहर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है; यह इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम है. इस पवित्र स्थान से जुड़ी लोक-कथाए, विशेष रूप से आल्हा और उदल की भक्ति की कहानी, भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से मोहित करती हैं. यह मंदिर आस्था,विश्वास एवं समर्पण का प्रतीक है, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक ताने-बाने का सार है.
मैहर मंदिर जैसा पवित्र स्थान हमें आध्यात्मिक भक्ति और सदियों पुरानी परंपराओं के संरक्षण से मिलने वाली गहन शांति और तृप्ति की याद दिलाती हैं. जैसे ही मंदिर की घंटियाँ बजती हैं और “जय माँ शारदा” के नारे हवा में गूंजते हैं हम खुद को मां के दिव्य संरक्षण में पाते है.

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