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हाड़ी रानी के बलिदान की कहानी बयां करती ये बावली- आखिर क्या है रहस्य भूल-भुलैया का

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आखिर क्या है हाड़ी रानी के बलिदान की कहानी जिन्होंने मातृभूमि पर किए अपने प्राण न्योछावर . क्या है रहस्य जो आज भी लोगों को चौकाता है..

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Rajasthan Tourism: राजस्थान एक ऐसा राज्य है, जो कई ऐतिहासिक महलों, किलों, मदिरों, खजानों का घर है जिनका भारतीय इतिहास में अनमोल योगदान रहा है. राजस्थान की धरती को शूरवीरों की भूमि कहा जाता है. हाड़ी रानी के बलिदान की कहानी आज भी राजस्थान के लोगों के दिल में एक स्त्री के बलिदान और देशभक्ति की मिसाल के रूप में बसी हुई है. हाड़ी रानी की बावली, महल इतिहास, वास्तुकला और लोककथाएं आकर्षण का एक मुख्य कारण है. यह प्राचीन बावली न केवल राजपूत वास्तुकला की सरलता को प्रदर्शित करती है, बल्कि बहादुरी और बलिदान की प्रतीक हाड़ी रानी की मार्मिक कहानी को भी दर्शाती है.

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हाड़ी रानी की बावली और भूतिया कहानियां

अपने ऐतिहासिक महत्व के अलावा, हाड़ी रानी की बावली अपने खौफनाक माहौल के लिए भी प्रसिद्ध है. स्थानीय लोगों और आगंतुकों से इस जगह के बारे में रहस्यमयी घटनाओं की जानकारी भी मिलती है और कहा जाता है कि ये घटनाएं उन आत्माओं के कारण होती हैं, जो बावली में भटकती हैं. इस जगह की भूतिया जगहों को देखने में दिलचस्पी रखने वालों के लिए एक लोकप्रिय जगह बना दिया है.


इस भूतिया माहौल का सबसे उल्लेखनीय चित्रण Bollywood Film “पहेली” में देखा जा सकता है. अपनी रहस्यमयी थीम के लिए मशहूर इस फिल्म में हाड़ी रानी की बावली पर फिल्माए गए दृश्य हैं, जो इसके डरावने आकर्षण पर जोर देते हैं. अंधेरे, भूलभुलैया वाले गलियारे और बावड़ी की गूंजती खामोशी भूत-प्रेतों की कहानियों के लिए एक आदर्श परिदृश्य बनाती है, जो इस ऐतिहासिक स्थल में रहस्य की एक और परत जोड़ती है. सास बहू और फ्लैमिंगो वेब सीरीज में है इस जगह के सीन.

आखिर कौन थी हाड़ी रानी…

हाड़ी रानी, एक प्रसिद्ध राजपूत रानी, अपने असाधारण बलिदान के लिए जानी जाती हैं. वह मेवाड़ के सलूंबर के सरदार शासक राव रतन सिंह चूड़वात की पत्नी थी. रानी राजस्थान के महाराज हाड़ा चौहान राजपूत की बेटी थीं. अपनी शादी की पहली सालगिरह के उपलक्ष्य में उन्होंने प्रसिद्ध बावली का निर्माण किया गया था, जोकि आज भी लोगों के बीच आकर्षण और रहस्य का कारण बनी हुई है.

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क्या है बलिदान की कहानी

राजस्थान के लोगों में हाड़ी रानी के बलिदान को लेकर आज भी कई कहानियां प्रसिद्ध हैं. किंवदंतियों के अनुसार, जब औरंगजेब ने किशनगढ़ पर आक्रमण करने की ठान ली तब राव रतन सिंह भी अपनी सेना लेकर युद्ध के लिए तैयार हो गए. वे चाहते थे कि औरंगजेब किशनगढ़ तक पहुंच न पाए और रास्ते में ही औरंगजेब को परास्त कर दिया जाए. यह युद्ध किशनगढ़ के राजा मान सिंह और औरंगजेब के बीच होना था और औरंगजेब किशनगढ़ पर आक्रमण के लिए पहले से तैयार था. राव रतन सिंह चूड़वात और हाड़ी रानी की शादी को अभी कुछ ही दिन हुआ था, ऐसे में रानी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वे उन्हे अकेला नहीं छोड़ना चाहते थे. इसके साथ ही वे अपने राजपूत धर्म से भी पीछे हटना नहीं चाहते थे. हाड़ी रानी को राजा का प्यार और उनके प्रति मोह राष्ट्रप्रेम में बाधक नजर आने लगा. जब राव रतन सिंह जाने को राजी हुए उन्होंने रानी से अपनी एक निशानी मांग ली ताकि वे उसे अपने पास रख सकें. रानी ने जो निशानी राजा को दी उसे सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे.

मातृभूमि पर न्योछावर किए प्राण- अपना सिर कलम कर पहुंचाई निशानी

औरंगजेब के खिलाफ़ एक भीषण युद्ध की कल्पना करते हुए राव रतन सिंह महल और रानी की सुरक्षा को लेकर विचलित थे. इसी डर से युद्ध के लिए जाने से हिचक रहे थे. युद्ध के दौरान राज्य ने रानी को कई पत्र लिखे और उन्हें अपनी एक निशानी भेजने को कहा- रानी अपने प्रेम को कमजोर कैसे पड़ने देती. राजा को अपने राज्य के प्रति उत्तरदायित्वों का बोध कराने के लिए रानी ने उन्हे एक पत्र लिखा ओर साथ ही अपनी निशानी के रूप में अपना कटा हुआ सिर भिजवा दिया और मातृभूमि की रक्षा करने के उनके कर्तव्य की याद दिलाई. रानी के इस बलिदान ने स्वयं राजा और उनके सैनिकों को युद्ध जीतने के लिए प्रेरित किया. रानी के बलिदान की वीर गाथा इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों से अंकित है.

हाड़ी रानी की बावली वास्तुशिल्प का बेजोड़ नमूना

हाड़ी रानी की बावली को आकर्षक बनाती है इसकी सीढ़ियां, जिनसे एक बार आप नीचे उतर तो सकते हो वापस उन्हीं से नहीं आ सकते. ये सीढ़ियां भूल भुलैया की तरह लगती हैं. राजपूताना शैली में बनी ये बावली अपनी शानदार डिजाइन के लिए जानी जाती है.

Bawli 2
Stepwell ,hadi rani ki bawali, tonk, rajasthan (image source-social media)


बावली को राजस्थान के शुष्क क्षेत्र में एक विश्वसनीय जल स्रोत प्रदान करने के लिए बनाया गया था, जो व्यावहारिक और सौंदर्य दोनों उद्देश्यों की पूर्ति करती है. डिज़ाइन में अलंकृत नक्काशी और पानी की ओर जाने वाली कई सीढ़ियां शामिल हैं, जो एक शानदार अनुभव प्रदान करती हैं.

हाड़ी रानी की बावली की यात्रा सिर्फ़ इतिहास की यात्रा ही नहीं है, बल्कि राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक ताने-बाने की खोज भी है. यह बावड़ी टोंक जिले में स्थित है, जहां राजस्थान की राजधानी जयपुर से आसानी से पहुंचा जा सकता है. यहां आने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक के ठंडे महीनों के दौरान होता है, जब मौसम पर्यटन के लिए सुहावना होता है.

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Hadi rani bawli, tonk, rajasthan (image source-social media)

हाड़ी रानी की बावली सिर्फ़ एक बावड़ी नहीं है. यह अतीत का एक द्वार है, एक ऐसी जगह जहां इतिहास, बलिदान और रहस्य एक साथ मिलते हैं. जैसे ही आप इसकी सीढ़ियों और गलियारों से गुज़रते हैं, आप लगभग बहादुरी की गूंज और अलौकिकता की फुसफुसाहट सुन सकते हैं. टोंक, राजस्थान में इस उल्लेखनीय स्थल की यात्रा एक यादगार अनुभव का वादा करती है, जो आपको राजपूत युग की समृद्ध विरासत और स्थायी किंवदंतियों के लिए गहरी समझ देती है.

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