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प्रकृति से जुड़ी है आदिवासी जीवन पद्धति : कड़िया

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आदिवासी, संस्कृति और शिक्षा के विकास पर परिचर्चा का आयोजन

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प्रतिनिधि, खूंटी मुरहू के पेरका स्थित लीड्स रिसोर्स सेंटर में शुक्रवार को लीड्स के तत्वावधान में आदिवासी, संस्कृति और शिक्षा के विकास पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि पूर्व सांसद पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने दीप प्रज्ज्वलित कर उदघाटन किया. उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति है. आदिवासी जीवन पद्धति प्रकृति से जुड़ी हुई है और इसी पर आधारित होकर उनका जीवन चलता है. वर्तमान समय में आदिवासी संस्कृति विलुप्त होने के कगार पर है. इसका एक मुख्य कारण नशापान है. आज की युवा पीढ़ी में नशापान का जितना प्रचलन देखा जा रहा है, उतना पहले नहीं था. युवा पीढ़ी को यह सोचना चाहिए कि हम आगे समाज को किस रूप में देखना चाहते हैं. जो संस्थाएं आदिवासी क्षेत्रों में काम कर रही हैं, उन्हें भी खुल कर इस मुद्दे पर लोगों से बात करनी चाहिए. प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन के सुनील वर्मा ने कहा कि संस्था राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पूर्व प्राथमिक और प्राथमिक शिक्षा पर काम करती आ रही है. वाटर संस्था की रेखा ने बताया कि उनकी संस्था जल संरक्षण पर काम कर रही है और मुरहू से ही संस्था ने कार्य शुरू किया था. मोबाइल क्रेचेस की दीपा कुमारी ने कहा कि संस्था मुरहू प्रखंड में सात माह से तीन साल तक के बच्चों की देखभाल के मुद्दों पर काम कर रही है. मौके पर महर्षि मेंही कल्याण केंद्र से सच्चिदानंद, विकास भारती से निखिलेश मैती, मोबाइल क्रेचेस की दीपा कुमारी, लीड्स की निर्झरिणी रथ, आयुष रंजन सहित अन्य उपस्थित थे.

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