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बोकारो का फुसरो बाजार: कारोबारियों की कमाई पहले जैसी नहीं, अपराधी मांग रहे कमीशन, सुरक्षा की लगा रहे गुहार

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बोकारो के फुसरो बाजार की कभी रौनक थी. अब कारोबारियों की कमाई पहले जैसी नहीं रही. इधर, अपराधी उनसे कमीशन मांग रहे हैं. इस कारण व्यवसायी सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं.

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बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा: बेरमो कोयलांचल का राजनीतिक व आर्थिक ह्रदयस्थली फुसरो बाजार. पहले बेरमो का प्रमुख बाजार बेरमो रेलवे स्टेशन से सटे मजदूर टॉकिज के बगल में हुआ करता था. 60-70 के दशक में बेरमो बाजार टूटने के बाद जब फुसरो बाजार अस्तित्व में आया तो यहां बेरमो बाजार के ही कई पुराने व्यवसायियों ने अपना दुकान व मकान खरीदा. 70 के दशक में फुसरो बाजार में आज की तरह इतनी रौनक नहीं थी. बाजार की रौनक 80 के दशक के बाद से धीरे-धीरे बढ़ने लगी तथा 90 के दशक आते-आते यह बाजार काफी फैल गया.

सुरक्षा की गुहार लगा रहे व्यवसायी
बोकारो के फुसरो बाजार में ही आज की तारीख में गिरिडीह के पूर्व सांसद रवींद्र कुमार पांडेय, बेरमो के विधायक व इंटक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह का आवास है. इसके साथ ही विभिन्न दलों के कई कई छोटे-बड़े नेताओं का फुसरो ही मुख्य कार्यस्थल रहा है. इसके अलावा बेरमो के कई नामी गिरामी ट्रांसपोर्टर व व्यवसायी भी यहीं रहते हैं. यहां स्व कृष्ण मुरारी पांडेय कांग्रेस के बलशाली नेता के रूप में चर्चित हुए. वहीं व्यवसायी स्व कामेश्वर शर्मा का भी काफी रुतबा हुआ करता था. बाजार के व्यवसायियों को पूर्व मंत्री व इंटक नेता स्व राजेंद्र प्रसाद सिंह, पूर्व सांसद रवींद्र कुमार पांडेय व पूर्व मंत्री स्व जगरनाथ महतो का भी समय-समय पर मार्गदर्शन मिलता रहा. एक समय था जब बाजार के व्यवसायी जबरन चंदा उगाली से काफी परेशान रहा करते थे. बाद में यहां के व्यवसायी एकजूट हुए और इस तरह के कार्य पर अंकुश लगाया. इसके बाद कुछ व्यवसायियों का पैसे के लिए अपहरण ही हुआ. इधर हाल के कुछ माह से फुसरो बाजार के व्यवसायियों को टारगेट कर जिस तरह अपराधियों द्वारा गोलीकांड जैसी घटना को अंजाम दिया जा रहा है. वैसे में सारे व्यवसायी दहशत के माहौल में जी रहे हैं. पिछले एक-डेढ़ दशक के अंतराल में फुसरो बाजार का लगातार गिरते व्यवसाय के कारण अब पहले जैसी कमाई व्यवसायियों की नहीं रही जबकि अपराधी उनसे कमीशन मांग रहे हैं. ऐसे में व्यवसायी पुलिस प्रशासन से लगातार सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं.

फुसरो का व्यवसाय चरमराने की ये है वजह
फुसरो बाजार का व्यवसाय हाल के कुछ वर्षों से चरमराने के कई कारण हैं. मालूम हो कि फुसरो बाजार का पूरा व्यवसाय कोल इंडिया पर आश्रित है. सीसीएल के ढोरी, बीएंडके व कथारा एरिया के विभिन्न कोलियरियों में पहले लोकल सेल के सुचारु रूप से चलने के कारण रोजाना फुसरो बाजार में रौनक रहा करती थी, लेकिन लोकल सेल की स्थिति अब पहले जैसी नहीं रही. आज की तारीख में 80 फीसदी कोयला रेलवे रैक के माध्यम से भेजा जा रहा है. दूसरी ओर कोल इंडिया का मैन पावर लगातार कम होना भी एक बड़ा कारण है. पहले जहां तीनों एरिया का मैन पावर 25-30 हजार था वह वर्तमान में घटकर 10 हजार के आसपास रह गया है. कोयला व छाई में पहले हजारों की संख्या में हाईवा-ट्रकें चला करती थीं जिसकी संख्या काफी कम रह गई है. सैकड़ों हाईवा-ट्रकें यहां से बाहर चली गयी हैं. पहले फुसरो में सैकड़ों की संख्या में छोटे-बड़े गैराजों की संख्या थी जो सिमटकर दर्जन भर रह गई हैं.

12 गैराज ने अपना रसीद कटवाया
हाल में ही व्यवसायी संघ के चुनाव में मात्र 12 गैराज ने अपना रसीद कटवाया था. फुसरो के रामरतन स्कूल के पीछे पहले गैराज में ट्रकों की कतार लगी रहती थी. कही पार्किंग की जगह नहीं मिलती थी. आज वह स्थल वीरान सा लगता है. पूरे फुसरो बाजार में कई नामी गिरामी मिस्त्री हुआ करते थे. मैकेनिकल में आजम मिस्त्री, इंजन में शामू मिस्त्री, सेल्फ व डायनमो में अकबर मिस्त्री, डेटिंग-पेटिंग में बंधू मिस्त्री, लुडू मिस्त्री, मैकेनिकल मिस्त्री में टेनी मिस्त्री, आजम व जसीम के अलावा ट्रक डाला व लैथ मशीन बनाने के काफी चर्चित मिस्त्री के रुप में मंहगू मिस्त्री का नाम था. अब इनमें से अधिकांश मिस्त्री का गैराज व व्यवसाय बंद हो गया. इन गैराजों में सैकडों लोग काम किया करते थे. साथ ही यहां बाहर से बड़े-बड़े वाहन बनने के लिए आते थे. पार्टस की दुकान की काफी बिक्री थी.

बच्चों के बेहतर शिक्षा के लिए कई परिवार बोकारो शिफ्ट कर गये
फुसरो बाजार के कई लोग से अपने् बच्चों के 10वीं एवं 12वीं के बाद स्तरीय पढाई के लिए बोकारो पूरे परिवार के साथ शिफ्ट कर गये तो कई लोग शुरु से ही अपने बच्चों को बोकारो के स्तरीय स्कूल में शिक्षा के लिए यहां से शिफ्ट कर गये. साथ ही कई ऐसे लोग है जो सीसीएल की कमाई से आर्थिक रूप से काफी संपन्न हो गये ऐसे लोग भी पूरे परिवार के साथ बोकारो शिफ्ट कर गये.

सीसीएल की कोलियरी मे रोजगार से जुडे थे कई लोग
पहले सीसीएल के तीनों एरिया व वाशरी में फुसरो बाजार के कई लोग पार्टस सप्लाई, रिपेयरिंग के अलावा छोटे-मोटे सिविल वर्क से जुडे थे. अब इन सभी के बंद हो जाने से बाजार पर इसका प्रतिकूल असर पडा है.पिछले एक साल से दो लाख से नीचे का सिविल वर्क बंद कर दिया गया.इसके अलावा फुसरो नगर परिषद क्षेत्र के हर कॉलोनियों में लगातार सभी तरह के दुकानों का खुलना, ऑन लाइन मार्केटिंग का दिन प्रतिदिन बढता प्रचलन भी फुसरो बाजार का व्यवसाय गडबडाने का एक प्रमुख कारण है.

पहले जैसी कमाई नही रही, सिर्फ पैसे का रोटेशन हो रहा है
फुसरो बाजार के कई व्यवसायी बातचीत के क्रम में कहते है अब पहले जैसी कमाई नही रही, व्यापार में सिर्फ पैसे का रोटेशन हो रहा है. मुश्किल से 10-15 फीसदी दुकानदार कर्ज मुक्त है. कई लोगों पर बैंक का तो कई लोगों पर एक-दो कलम महाजन का कर्ज है. कई व्यवसायी बाजार में होने वाली सोसाइटी (लॉटरी) से पैसे का उठाव कर व्यापार में लगाते है और उसी से व्यापार का रोटेशन करते रहते है.

कई व्यवसायी कर गये पलायन
फुसरो बाजार में कभी हरियाणा मोटर्स, कृष्णा मोटर्स, शिवा मोटर्स,वर्मा ऑटोमोबइल्स, अंबिका ऑटोमोबइल्स, इंडिया डीजल, पूरन मिस्त्री का गैराज आदि काफी प्रसिद्ध था. इनमें से मात्र हरियाणा मोटर्स व अंबिका ऑटोमोबइल्स रनिंग में है.वहीं बाजार के व्यवसायी पप्पू जैन, मोती राम जैन, गणेश ट्रेडिंग,कार ऑटो सेंटर, काका बाबू, कल्पना वस्त्रालय, खेमका वस्त्रालय, दुर्गा भंडार आदि यहां से बाहर चले गये.

फुसरो के कई ट्रांसपोर्टरों के पास अब पहले जैसा काम नहीं
पहले फुसरो बाजार में कई नामी गिरामी कोल ट्रांसपोर्टस हुआ करते थे जिनकी काफी चलती थी. इनमें मुख्य रुप से आरकेटी, बीकेबी, एबी सिंह, सर्वेश्वरी एवं मानिक राज ट्रांसपोर्ट, जुगनू ट्रांसपोर्ट, कामेश्वर शर्मा, जेटीसी आदि. अब इनमें से 90 फीसदी ट्रांसपोर्ट कंपनियों के पास कोई काम नही है. कोलियरियों में बाहर की बडी-बडी आउटसोर्सिंग कंपनियां कोल प्रोडक्शन व ओबी निस्तारण का काम कर रही है.इन सभी ट्रांसपोर्ट कंपनियों के अधिन सैकडो ट्रकें थी तो सैकडों लोग रोजगार से जुड़े थे जिससे फुसरा बाजार के व्यवसायियों की रौनक थी.

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