28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

जिदंगी बचाने की मुहिम को मिले मुकाम, रक्तदान कर बचाएं दूसरों की जान!

Advertisement

आज भी जिले में रक्तदान के मामले में बना है जागरूकता का अभाव

Audio Book

ऑडियो सुनें

विश्व रक्तदाता दिवस आज

——-

आज भी जिले में रक्तदान के मामले में बना है जागरूकता का अभाव

जागरूकता के लिए विभागीय स्तर से अब नहीं होती कोई सार्थक पहल

गुजरते वक्त के साथ कम होता चला गया रक्तदान शिविर का आयोजन

पूर्णिया. रक्तदान ऐसा दान है जो दूसरों को जीवन देता है. कुछ लोग ऐसे हैं जो आज भी निस्वार्थ भाव से जीवन बचाने का कार्य कर रहे हैं और खून का रिश्ता न होते हुए भी अपनों की तरह रिश्ते को निभा रहे हैं पर हालिया सालों में जिदंगी बचाने की मुहिम को न केवल ब्रेक लगा है बल्कि विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों द्वारा मेगा रक्तदान शिविर के आयोजन का सिलसिला भी थम गया है. आलम यह है कि कुछ महापुरुषों की जयंती पर ही सामाजिक संस्थाएं सामने आती हैं और रक्तदान का कार्यक्रम चलाया जाता है. अगर इसके कारणों पर एक नजर डाली जाए तो एक ही बात सामने आती है कि लोग इसको लेकर कहीं हद तक जागरूक नहीं है. इस लिहाज से रक्तदान के प्रति सघन जागरूकता अभियान चलाया जाना लाजिमी माना जा रहा है. गौरतलब है कि करीब दो दशक पहले अमूमन हर सप्ताह कभी रक्तदान तो कभी मेगा रक्तदान शिविर का आयोजन हुआ करता था जिसमें सामाजिक एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ-साथ रेडक्रॉस सोसाइटी की अहम भागीदारी होती थी. उस समय बड़ी संख्या में लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए शिविरों में पहुंचते थे. तब स्थिति यह थी कि संस्थाओं में अधिक से अधिक रक्त संग्रह कर नया रिकार्ड बनाने की होड़ रहती थी. उस समय रेड क्रॉस सोसाइटी के सदस्य गांव-गांव घूम कर रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करने का अलग अभियान भी चलाते थे. मगर, गुजरते वक्त के साथ यह सक्रियता कम हो गई जिससे शिविरों के आयोजन में भी शिथिलता आ गई.

कम होती अभिरुचि चिंता का कारण

दरअसल, कि जिले में ब्लड की मांग काफी अधिक है जबकि आपूर्ति उससे कहीं कम है. इसका कारण यह है कि लोग रक्तदान को लेकर अभी तक पूर्ण रूप से जागरूक नहीं है. किसी के लिए रक्त की पूर्ति किसी के द्वारा किये गये रक्तदान से ही संभव है, यह जानते हुए भी लोग रक्तदान करने से भागते हैं. यहां तक कि खुद के परिवार के सदस्यों के लिए भी किसी दूसरे से रक्त की उम्मीद रखते हैं. हालांकि रक्त की जरूरत और इसकी खरीद फरोख्त पर सख्ती करते हुए इसे एक्सचेंज द्वारा ही जरुरतमंद को उपलब्ध कराये जाने की अनिवार्यता बेहद कारगर साबित हुई है बावजूद इसके कई मामलों में रक्त अधिकोशों द्वारा जरूरतमंद मरीजों को निःशुल्क रक्त उपलब्ध कराये जाते हैं. दूसरी ओर रक्तदान शिविरों के आयोजकों को पूर्व की तुलना में अब बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

रोजाना सौ से भी ज्यादा यूनिट रक्त की जरूरत

रेडक्रॉस सोसाइटी तथा जीएमसीएच स्थित रक्त अधिकोष केन्द्र के अनुसार प्रत्येक दिन जिले में एक सौ से भी ज्यादा यूनिट रक्त की जरुरत पड़ती है. इन संस्थाओं में रक्त के बदले रक्त के साथ साथ विशेष परिस्थिति में बगैर रक्त दिए भी रक्त की आपूर्ति की जाती है जिसकी भरपाई लगनेवाले रक्तदान शिविरों से प्राप्त होने वाले रक्त से की जाती है लेकिन घटते रक्तदान शिविरों के आयोजनों के साथ साथ आम लोगों में रक्तदान को लेकर तरह तरह की भ्रांतियां या उदासीपन गंभीर चिंता का विषय है. दोनों ही रक्त अधिकोष केन्द्रों के अनुसार पहले वर्ष भर में लगभग 15 से 30 रक्तदान शिविर आयोजित किये जाते थे जो घटकर अब 6 से 15 पर सिमट गये हैं. संग्रहित होने वाले यूनिट्स भी प्रति शिविर औसतन 20 से 50 यूनिट्स ही होते हैं.

रक्तवीरों ने बनाया है रक्तदान का अभियान

जागरुकता के अभाव के बीच जिले में कई ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने रक्तदान को अभियान का रूप दिया है. इसी कड़ी में कार्तिक चौधरी, राणा प्रताप सिंह, मारवाड़ी महिला समिति, मारवाड़ी युवा मंच, रुपेश डूंगरवाल, रविनेश पोद्दार सरीखे लोगों ने रक्तदान के क्षेत्र में लगातार अपनी सेवाएं दी हैं. इनमें कार्तिक चौधरी ने 2005 मे युवा जागृति मंच की स्थापना की और तबसे निरंतर रक्तदान शिविर निरंतर लगाते आ रहे हैं. पूर्णिया में उन्होंने मानव सेवा के तहत शिविर और रक्त संग्रह का रिकार्ड बनाया है. इसके लिए कई-कई बार वे विभिन्न संस्थानों द्वारा सम्मानित भी हो चुके हैं. इसके अलावा टीम पूर्णिया से जुड़े युवक पिछले कई सालों से जरूरतमंद लोगों को रक्त मुहैया कराते आ रहे हैं.

——————————-

आंकड़ों पर एक नजर

100 यूनिट ब्लड की जिले में रोजाना जरूरत

250 यूनिट ब्लड का आपातकालीन स्टॉक जरूरी

200 के करीब जिले में हैं थैलेसीमिया के मरीज

125 यूनिट की खपत सिर्फ थैलेसीमिया रोगियों में

- Advertisement -

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें