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सदर अस्पताल में भाव्या एप्लीकेशन से मरीजों का इलाज हुआ शुरू

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ओपीडी से गायब रहने वाले चिकित्सकों की अब बढ़ेगी परेशानी

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कटिहार. मुख्यमंत्री डिजिटल हेल्थ योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से डिजिटल होने के कगार पर है. सदर अस्पताल से लेकर अनुमंडल अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भाव्या एप्लीकेशन पर मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि हॉस्पिटल इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट सिस्टम के माड्यूल अर्थात अपॉइंटमेंट, क्यू, रजिस्ट्रेशन, इमरजेंसी, बिलिंग, नर्सिंग डेस्क, डॉक्टर कंसल्टेशन, लैबोरेट्री, रेडियोलॉजी, फार्मेसी, रोस्टर, आईपीडी, ऑपरेशन थिएटर, क्वालिटी, डायट, मेडिको लीगल केस, इन्वेंटरी, स्टोर, एमआईएस, लाइंस और लॉन्ड्री इन सभी माड्यूल के माध्यम से अस्पतालों में दिए जा रहे सभी सुविधाओं को पेपर लेस किया जाना है. इसकी शुरुआत होने के साथ ही मरीजों का सारा डाटा अब पोर्टल में लोड रहेगा. इस योजना के तहत डॉक्टरों की भी परेशानी बढ़ गई है. इसका कारण है कि अब अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर अपने ओपीडी के समय में समय से ड्यूटी पर आना होगा. क्योंकि भाव्या एप्लीकेशन पर सारे काम ऑनलाइन होंगे. जिसकी पूरी रिपोर्ट राज्य को भी होगी. देर से आना और अपने ड्यूटी से गायब रहने पर इनकी सारी जानकारी जिला से लेकर स्टेट को हो जायेगी. यदि अपनी ड्यूटी से ज्यादा दिन तक गायब रहे तो बिना करण के तो गायब दिनों की वेतन भी काटी जायेगी. इस संदर्भ में भाव्या के जिला कोऑर्डिनेटर सुभाष कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल से लेकर अनुमंडल अस्पताल तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भाव्या एप्लीकेशन पर काम शुरू हो गया है. इसका मकसद है की स्वास्थ्य के क्षेत्र में सारे कार्य को पेपर लेस करना. उन्होंने बताया कि अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में भी भाव्य एप्लीकेशन पर काम को लेकर कार्य किया जा रहे है. कुछ कमी है लेकिन वहां पर भी इसकी सेवा जल्द शुरू हो जायेगी.

रजिस्ट्रेशन से लेकर दवाई वितरण तक कार्य हुआ डिजिटल

भाव्या के जिला कोऑर्डिनेटर सुभाष कुमार ने बताया कि अब पूरा सिस्टम डिजिटल होगा. जब मरीज अस्पताल इलाज के लिए पहुंचेंगे तो रजिस्ट्रेशन काउंटर पर उन्हें पर्ची नहीं दी जायेगी. बल्कि उन्हें एक टोकन नंबर दिया जायेगा. उस टोकन नंबर को लेकर वह नर्सिंग डेस्क पर पहुंचेंगे. जहां वह अपनी संबंधित बीमारियों के बारे में विस्तार पूर्वक बतायेंगे. वहां से उन्हें डॉक्टर के पास ओपीडी में भेजा जायेगा. ऑटोमेटिक उनका पूरा बायोडाटा डॉक्टर के सिस्टम में चला जायेगा. डॉक्टर को टोकन नंबर बताने के बाद डॉक्टर उन्हें देखेंगे और अपने सिस्टम पर ही उनकी बीमारी उनका दवाई यहां तक कि यदि कोई जांच करना हो तो यह सभी सिस्टम पर ही लिखा जायेगा. सिस्टम पर लिखे जाने के बाद यदि मरीज को कोई जांच करनी है तो उन्हें जांच घर भेजा जायेगा. जहां उनकी पूरी हिस्ट्री लैब तक आटोमेटिक पहुंची रहेगी. जहां मरीज को सिर्फ अपना टोकन नंबर बताना है और लैब टेक्नीशियन उनका ब्लड या जो जांच चिकित्सक ने लिखी है. वह जांच करेंगे. जांच के बाद डॉक्टर ने जो मेडिसिन लिखी होगी. उनके लिए उन्हें दवाई काउंटर पर जाना है. जहां ऑटोमेटिक उनका पूरा बायोडाटा दवाई काउंटर के सिस्टम पर अपलोड रहेगा. वहां पर टोकन नंबर बताने के बाद दवाई काउंटर पर तैनात फार्मासिस्ट उन्हें दवाई वितरण करेंगे. वहीं पर उन्हें उनकी अपलोड हुई पुरे स्वास्थ्य संबंधित डाटा को प्रिंट कर उन्हें दे देंगे. यानी कि जो पर्ची पहले रजिस्ट्रेशन काउंटर पर मरीज को मिल जाया करती थी. वह पर्ची उन्हें आखिरी स्टेप दवाई काउंटर पर मिलेगी.

स्टेट से होगी इस एप्लीकेशन पर मॉनिटरिंग

स्वास्थ्य विभाग का पूरा कार्य पेपरलेस होने पर इस पूरे कार्य की मॉनिटरिंग जिला से साथ स्टेट से भी होगी. यानी कि एक दिन में इलाज कराने के लिए कितने मरीज आये. क्या संबंधी उनकी बीमारी रही. चिकित्सक ने उन्हें देखा तो कौन सी दवाई लिखी. कौन सा जांच हुआ, जांच में क्या आया. इसकी पूरी मॉनिटरिंग स्टेट से भी होगी. सही मायने में इस तरह की मॉनिटरिंग होने के बाद चिकित्सक से लेकर कर्मी, टेक्नीशियन, नर्स सभी स्टेट अधिकारियों के नजर में होंगे. इस एप्लीकेशन पर काम होने के बाद मैनेज कर कार्य करने वाले डॉक्टर हो या कोई और सब की परेशानी बढ़ गई है. सरकार की यह योजना ऐसी होगी कि पूरे राज्य के लोगों के स्वास्थ्य के बारे में सरकार के पास इनका पूरा बायोडाटा रहेगा. ड्यूटी से गायब रहने वाले डॉक्टर भी नपेंगे.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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