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बिजली कटौती से जनजीवन अस्त-व्यस्त, जगह-जगह जलकर गिर रहे बिजली के तार

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पूरे साल विद्युत विभाग के सब स्टेशन, ट्रांसफॉर्मर और लाइन मेंटेनेंस के बाद भी उमस भरी गर्मी में जिलावासियों को मेंटेनेंस के नाम पर होने वाली बिजली कटौती से राहत नहीं मिल रही है.

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बक्सर.

पूरे साल विद्युत विभाग के सब स्टेशन, ट्रांसफॉर्मर और लाइन मेंटेनेंस के बाद भी उमस भरी गर्मी में जिलावासियों को मेंटेनेंस के नाम पर होने वाली बिजली कटौती से राहत नहीं मिल रही है. बिजली कंपनी का दावा है कि जितना मेगावाट बिजली जिले के लिए चाहिए, उतनी बिजली मिल रही है. कार्यपालक अभियंता तेजप्रताप सिंह ने कहा कि बक्सर जिला को 145 मेगावाट बिजली मिल रहा है. खपत के अनुसार बिजली पर्याप्त मात्रा में मिल रहा है. रात में बिहार के लेवल पर ही पॉवर की कमी हो जा रही है. जिस कारण लोड शेडिंग करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि जिले में पर्याप्त मात्रा में ट्रांसफार्मर भी उपलब्ध है. शहरी क्षेत्र के जले ट्रांसफार्मर 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र के जले ट्रांसफार्मर 72 घंटे के अंदर बदल दिए जा रहे हैं. जबकि उपभोक्ताओं का कहना है कि गर्मी शुरू होने से पहले ही मेंटेनेंस कार्य व पेड़ों की छंटाई के कारण जिले के कई मुहल्लों और गांवों में बिजली गुल रही थी. बिजली कम्पनी की कार्यशैली से नाराज लोगों ने कहा कि बिजली कंपनी के अधिकारी इस सीजन में भी रोजाना सब स्टेशन, फीडर व लाइनों का मेंटेनेंस का प्रोग्राम बनाकर बैठे हैं और रोजाना चार से पांच घंटे की कटौती अलग-अलग क्षेत्रों में कर रहे हैं. सवाल यह है कि गर्मी व बरसात के पहले ही हर तरह का मेंटेनेंस कर लिया गया था तो फिर दोबारा ऐसा क्यों. जिले भर में मेंटेनेंस चलता रहता है, उसके बाद भी बिजली ट्रिपिंग से लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है. मेंटेनेंस के बाद भी जिले भर में रोजाना सप्लाई सिस्टम में फॉल्ट आ रहे हैं. मेंटेनेंस को लेकर अधिकारियों का कहना है कि व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए मेंटेनेंस किया जाना जरूरी है. भीषण गर्मी भर दस्तक देते ही बिजली कम्पनी के दावों की पोल खुलनी शुरू हो गई है. प्रत्येक वर्ष यह दावा है कि लोगों को जीरो पावर कट के साथ निर्बाध की आपूर्ति 24 घंटे की जायेगी. जैसे-जैसे उमस में बढ़ोत्तरी हो रही है, वैसे-वैसे समस्या विकराल होती जा रही है. दिन हो या रात बिजली कटौती से लोग त्रस्त हैं. आम लोगों का घरेलू कामकाज बाधित होता है. वहीं व्यापार भी प्रभावित हो रहा है. एक ओर शहर में मच्छरों के आतंक से तो दूसरी ओर बिजली की आंखमिचौली से लोगों की रातों की नींद पर आफत होती जा रही है. कामकाजी लोगों को सबसे ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ रहा है. महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए भी पावर कट एक जटिल समस्या बन गयी है.

मोटर नहीं चलने से पानी की समस्या हुई विकराल :

बिजली आपूर्ति बाधित रहने के कारण मोटर नहीं चलने से मध्यम वर्ग के लोगों की परेशानी और बढ़ गई है. मोटर के सहारे पानी की आपूर्ति पर निर्भर रहने वाले लोगों को काफी फजीहत उठानी पड़ रही है. शहर के कई मोहल्ले में जेनरेटर से मोटर चलाया जाते हैं. लोगों ने कहा कि बिजली कंपनी की लापरवाही का खामियाजा उन्हें उठाना पड़ रहा है. इस तरह की नौबत पहले कभी नहीं आती थी. हाल के दिनों में अघोषित बिजली कटौती से पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. मोटर के सहारे पानी की आपूर्ति पर निर्भर रहने वाले लोगों को भी वैकल्पिक व्यवस्था करने को बाध्य होना पड़ रहा है. कुछ लोग सोशल मीडिया पर भी अपनी पीड़ा का बयान कर रहे हैं.

आधी आबादी ने भी जतायी नाराजगी :

आधी आबादी अर्थात महिलाओं ने एक स्वर से कहा कि अब जीना मुहाल हो गया है. शहर की मधुमती सिंह ने बताया कि बिजली कटौती से सबसे अधिक परेशानी यह है कि रात में आदमी सही से सो भी नहीं रहा है. दिन में भी परेशानी है. एक माह से बिजली कटौती के कारण घर पर दैनिक कार्यों को करने में काफी परेशानी हो रही है. सीमा देवी का कहना है कि बिजली कटौती से जीना मुहाल हो गया है. गर्मी के मौसम में बिजली कटौती ज्यादा कष्टकारी है. समय से बिल जमा करने के बाद भी कि कहा शिकायत की जाये कि नियमित बिजली नहीं मिलती है. समझ में नहीं आ रहा है.

गर्मी के मौसम जगह जगह जल कर गिर रहे तार :

विद्युत विभाग द्वारा गर्मी शुरू होने से पहले ही जिले के सभी फीडरों में जहां पर तार कमजोर था वहां पर मरम्मत कर लिया गया था. शहर के रहने त्रिभुवन पाण्डेय, विवेक सिहं का कहना है कि बिजली विभाग गर्मी से पहले मेंटेनेंस के नाम पर केवल खानापूर्ति किया जाता है. अगर सही से मेंटेनेंस किया रहता तो एक – एक दिन में सैकड़ों जगह तार जल कर नहीं गिरते. तार गिरने से कभी भी कोई भी घटना हो सकती है, लेकिन विद्युत विभाग लापरवाह बना हुआ है.

शिकायत केंद्र की लगातार बिजी रहता है फोन :

शहरवासियों का कहना कि बिजली विभाग के द्वारा बनाया गया शिकायत केंद्र का नंबर पूरे दिन जब फोन करने पर व्यस्त ही बताता रहता है. बहुत मुश्किल से कभी बात हो पाता है. इस संबंध में प्रभात खबर के टीम के द्वारा जांच किया गया तो पता चला कि एक ही फोन के सहारे पूरे बक्सर शहर का शिकायत दर्ज किया जाता है.

पिछले वर्ष के अपेक्षा 25 प्रतिशत उपभोक्ता संख्या बढ़ा, लेकिन मानवबल की संख्या घटी :

जिले में लगातार उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ रही है लेकिन विद्युत विभाग के द्वारा मानवबल की संख्या लगातार विभाग के द्वारा घटाई जा रहा है. ऐसे में लाइन का मेंटेनेंस व उपभोक्ता का शिकायत दूर करना विभाग को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. इस संबंध में मानवबल के यूनियन नेता मोहम्मद असलम इराकी का कहना है कि मानव बल वित्तीय वर्ष 2013-14 में खलासी पद पर नियुक्त किया गया था. 12 वर्ष से इसी पद पर हैं . हम लोग 30 दिन 24 घंटे काम करते हैं लेकिन हम सभी का मानदेय 26 दिन का ही मिलता है. जबकि दैनिक मजदूरी में विभाग के द्वारा नहीं दिया जाता है ऐसे में काम करना मुश्किल है . इस संबंध में हम लोगों ने कई बार जिला अधिकारी , मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री को भी ज्ञापन सोपा है. जबकि प्रधानमंत्री कार्यालय से कार्यपालक अभियंता से जवाब भी मांगा गया है लेकिन कार्यपालक अभियंता के द्वारा कोई भी जवाब नहीं दिया जा रहा है.

कनेक्शन मीटर के अभाव में 800 पडा है पेंडिंग :

जिले के शहरी क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर खत्म होने के कारण शहर वासियों को गर्मी की मार झेलना पड़ रहा है. जो नया कनेक्शन के लिए अपलाइ करते हैं उन्हें मीटर नहीं होने का हवाला देते हुए कनेक्शन नहीं मिलता है. शहरवासी शनि सिंह का कहना है कि अगर नया कनेक्शन कि लिए बिजली विभाग को ऑनलाइन आवेदन करते हैं तो मीटर के अभाव में विभाग के कई माह चक्कर लगाना पड़ता है और विभागीय अधिकारी को सिफारिश करना पड़ता है. तब जाकर कहीं न्यू कनेक्शन मिलता है और स्मार्ट मीटर लगता है.

विभागीय मिस्त्री न बराबर, विभाग मानव बल के सहारे ही चलता है विभाग :

विद्युत विभाग में विभागीय मिस्त्री न के बराबर है अगर कहीं पर तार जलकर गिरता है या टूटता है. या ट्रांसफार्मर जलता है तो मानवबल के सहारे ही काम किया जाता. जबकि मानव बल की नियुक्ति ठीकेदार के सहारे किया जाता है. ऐसे में विभाग दावा कर रहा है कि लाइन का सप्लाई से चालू रूप से हम कर रहे हैं. विद्युत विभाग में विभागीय मिस्त्री न के बराबर है अगर कहीं पर तार जलकर गिरता है या टूटता है. या ट्रांसफार्मर जलता है तो मानवबल के सहारे ही काम किया जाता. जबकि मानव बल की नियुक्ति ठीकेदार के सहारे किया जाता है. ऐसे में विभाग दावा कर रहा है कि लाइन का सप्लाइ से चालू रूप से हम कर रहे हैं.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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