25.1 C
Ranchi
Wednesday, February 26, 2025 | 07:38 pm
25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बे-आमदनी हुआ खास महल, तो हो गया खस्ताहाल, अब नहीं रहा कोषागार

Advertisement

आजादी से पहले रोहतास व नौहट्टा प्रखंड के काश्तकारों से वसूले गये टैक्स को जमा करने के लिए जलालाबाद गांव में खास महल बना था. इसी खास महल में आसपास के जमींदार अपने क्षेत्र से वसूले गये टैक्स को जमा कराते थे, जिसे ब्रिटिश सरकार अपने खजाने में ले जाती थी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

रजी अहमद खान, अकबरपुर. आजादी से पहले रोहतास व नौहट्टा प्रखंड के काश्तकारों से वसूले गये टैक्स को जमा करने के लिए जलालाबाद गांव में खास महल बना था. इसी खास महल में आसपास के जमींदार अपने क्षेत्र से वसूले गये टैक्स को जमा कराते थे, जिसे ब्रिटिश सरकार अपने खजाने में ले जाती थी. अब न जमींदारी रही और न तहसीलदार, तो खास महल भी खस्ताहाल हो गया. इस खास महल के खंडहर बता रहे हैं कि उस समय इस महल की अहमियत और रुतबा कितना खास होगा. अकबरपुर गांव के वयोवृद्ध फहीम अहमद खान ने बताया कि मेरी मां इस खास महल की कहानी सुनाती थी. कहती थी कि इस महल की ओर आने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी. हर समय संगीनधारी सिपाही महल का चक्कर लगाते रहते थे. जब जमींदारों के लठैत आते थे, तो उन्हें अंदर जाने दिया जाता था. अंग्रेज आते थे, तो हम लोगों को घर से बाहर निकलने की मनाही हो जाती थी. उस समय इस महल की खास पहचान थी. इसी महल से अंग्रेज जंगल व जमीन पर जमींदारों के माध्यम से शासन करते थे. जमींदार रैयतों से टैक्स वसूलते थे और फिर इसी खास महल में रुपये जमा कराते थे. उस समय यह महल ब्रिटिश सरकार के कार्यालय के रूप में था, जिसे खास महल कहा जाता था.

अकबरपुर के थे डिप्टी साहेब बदरूद दोजा

कुशडिहरा गांव के वृद्ध जोखन सिंह ने बताया कि अकबरपुर गांव निवासी बदरूद दोजा इस खास महल के एक कर्मचारी थे, जिन्हें डिप्टी साहब कहा जाता था. वैसे तो दोजा साहब को गुजरे करीब तीन दशक हो गये हैं, पर उनकी कही बातें मुझे याद हैं. वह बताते थे कि शाहाबाद के मुख्यालय आरा से यह खास महल हैंडल होता था. हर दो प्रखंडों पर एक खास महल था. इसी खास महल में इस क्षेत्र के जमींदारों द्वारा रैयतों से वसूले गये टैक्स का 25 प्रतिशत रकम जमा होती थी, जिसे अंग्रेज आरा हेड ब्रांच में ले जाते थे. 1956 में जमींदारी जाने के बाद इस खास महल की भूमिका शून्य हो गयी. इसके बाद से यह खंडहर में बदल गया.

खास महल के पास सात एकड़ 51 डिसमिल जमीन

फहीम अहमद खान बताते हैं कि खास महल के खर्च को चलाने के लिए कुछ जमीन उसके पास थी. वर्तमान में भी रोहतास प्रखंड के गांवों में खास महल की करीब सात एकड़ 51 डिसमिल जमीन है. वहीं, अकबरपुर गांव में 84 डिसमिल व नावाडी में दो डिसमिल जमीन है, जो प्रखंड के रजिस्टर टू में कैसर-ए-हिंद के नाम से दर्ज है. यह जमीन बेकार पड़ी है. इससे अब कोई आमदनी नहीं होती है. जब खास महल बे-आमदनी हो गया, तो इसकी ओर कौन झांकता है. सरकार भी इस ओर कोई ध्यान नहीं देती, जबकि इसकी जमीन पर कई सरकारी इमारतें बन सकती हैं. या फिर कुछ गरीबों को पट्टे पर देकर खेती कराई जा सकती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर