21.2 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 06:07 pm
21.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बिहार के मखाना की विदेशों में काफी डिमांड, लाभ उठाने की जरूरत : राज्यपाल

Advertisement

राष्ट्रीय सेमिनार का बिहार के राज्यपाल ने किया वर्चुवल उद्घाटन

Audio Book

ऑडियो सुनें

राष्ट्रीय सेमिनार का बिहार के राज्यपाल ने किया वर्चुवल उद्घाटन सेमिनार में सात राज्यों के दो सौ से अधिक कृषि वैज्ञानिक ले रहे हैं भाग पूर्णिया. पूरे विश्व के मखाना उत्पादन में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी बिहार की है. यह गर्व का विषय है लेकिन मौके का लाभ उठाने के लिए इसमें और भी संभावनाओं को तलाशने की जरुरत है. उक्त बातें बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कही. वे शनिवार को भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में मखाना पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार को वर्चुवल मोड में संबोधित कर रहे थे. इससे पहले राज्यपाल ने तीन दिनों तक चलनेवाले इस राष्ट्रीय सेमिनार और नव निर्मित सभागार का उद्धाटन वर्चुवल मोड़ में किया. वहीं बिहार सरकार के स्वास्थ्य एवं कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने विशिष्ट अतिथि के रूप में पटना से ही ऑनलाइन जुड़कर अपनी शुभकामनाए दीं. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने की. इस सेमिनार में सात राज्यों से 225 कृषि वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं. राज्यपाल श्री आर्लेकर ने कहा कि मखाना में गुणवत्ता का कैसे विकास हो, इसपर भी काम करने की जरुरत है. इसी के आधार पर हमारी आर्थिक उन्नति भी टिकी हुई है. उन्होंने विदेशों में मखाना की भारी मांग को देखते हुए कहा कि इसकी प्रचुर संभावना हैं विदेशों में. लोग यहां के मखाने पर भरोसा करते हैं. यहां उत्पादित मखाने को मूल तथा शुद्ध मानते हैं और भारत से मखाना पहुंचने का इन्तजार करते हैं. उन्होंने इस बात पर अफ़सोस जताया कि यहां से मखाना का एक्सपोर्ट काफी कम हो रह है. कहा- मखाना चाहिए तो बिहार से ही चाहिए, यह स्थापित करने की जरुरत है. उन्होने मखाना को मिले जीआई टैग से विश्व भर में इसकी डेडीकेटेड मार्केटिंग और इलाके में मखाना के प्रोसेसिंग की व्यवस्था पर भी कृषि मंत्री मंगल पाण्डेय का ध्यान आकृष्ट कराया ताकि इसका सीधा लाभ किसानों को मिले. ………………….. बाढ़ और जलजमाव को अवसर में बदलने की जरूरत : मंगल पाण्डेय सेमिनार में ऑनलाइन संबोधित करते कृषि मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि बाढ़ हमारे राज्य की सबसे बड़ी समस्या है. खासकर उत्तर बिहार में. बाढ़ की विभीषिका के साथ साथ होने वाले जलजमाव को अवसर में बदलने के लिए उन क्षेत्रों में मखाना की खेती कैसे कारगर हो, कैसे किसान इसके लिए कार्य करें, इसपर इस सेमिनार में कुछ समाधान की उम्मीद दिखती है. साथ ही चुनौती, रणनीति से लेकर परिणिति तक यह हमारा लक्ष्य हो, इसका भी ध्यान रखने की जरुरत है. उन्होंने कहा बिहार सरकार जलजमाव वाले क्षेत्रों में मखाना उत्पादन को लेकर मखाना विकास योजना के तहत सबौर मखाना 1 के बीजों का वितरण कर विस्तार रूप दे रही है. कई योजनाओं में जोड़ते हुए पूर्णिया को मखाना उत्पादन के लिए नोडल केंद्र बनाया गया है. तालाबों या जल जमाव वाले क्षेत्रों में मखाना के साथ साथ मछली पालन की बात करते हुए श्री पाण्डेय ने कहा कि राज्य के अन्य जिलों में भी इसकी संभावनाएं हैं. मखाना के उत्पादन और विपणन में उन्होंने बिहार में असीम संभावनाओं की बाते कहीं. 10 लाख हेक्टेयर में हो रही है मखाना की खेती : कुलपति बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने कहा 2016 से 2018 के मध्य बिहार में 16 से 18 हजार हेक्टेयर में मखाना की खेती होती थी. किस्म के विकसित हो जाने के बाद लगभग पिछले 10 सालों में 10 लाख हेक्टेयर भूभाग में इसी किस्म की खेती हो रही है. यह बहुत बड़ी सफलता कही जा सकती है. कई समस्या भी है इसकी खेती में, इस तीन दिवसीय सेमीनार में मखाना के सभी परिदृश्यों पर चर्चा की जायेगी. किस्मों से लेकर तकनीकी विकास, पैकेजिंग, ब्रांडिंग, मार्केटिंग सभी पर मंथन होगा. जो भी सुझाव आयेंगे उसे सरकार को सौंपा जाएगा. किसानों की आय के साथ साथ उत्पादकता बढ़ाना ही हम सभी का उद्देश्य है. सेमिनार में ले रहे देश भर के कृषि विशेषज्ञ इसमें प्रमुख रूप से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के डॉ. संजय कुमार सिंह, डॉ. विश्व बन्धु पटेल तथा कृषि वैज्ञानिक डॉ. आर के सोहाने उदघाटन सत्र में मंच पर मौजूद रहे. उनके साथ भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पारस नाथ तथा मखाना वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार भी उपस्थित थे. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने मुख्य अतिथि राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अरलेकर तथा विशिष्ट अतिथि कृषि मंत्री मंगल पांडेय सहित सभी अतिथियों का स्वागत मिथिला की पारंपरिक संस्कृति के अनुरूप पाग, अंगवस्त्र, मखाना के साथ साथ भगवान् बुद्ध की प्रतिमा प्रदान कर किया. मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उदघाटन किया. फोटो. 8 पूर्णिया 13-दीप प्रज्ज्वलित करते कुलपति व अतिथि कृषि वैज्ञानिक 14-कार्यक्रम में उपस्थित कृषि वैज्ञानिक, छात्र-छात्राएं एवं किसान 15-स्वागत गान प्रस्तुत करती कॉलेज की छात्राएं

- Advertisement -

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें