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संताली भाषा की ओलचिकी लिपि में पठन-पाठन करने में महिलाएं सबसे ज्यादा जागरूक

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ओलचिकी लिपि का अध्ययन और प्रचार-प्रसार संताली साहित्य को समृद्ध बनाता है. इससे नई पीढ़ी के लेखक और कवि सामने आते हैं जो अपनी भाषा में साहित्य रचते हैं. यह साहित्यिक विकास संताली भाषा और साहित्य को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करता है.

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जमशेदपुर: आसेका (आदिवासी सोशियो एजुकेशनल एंड  कल्चरल एसोसिएशन) की संताली में लोअर, हाईयर, मैट्रिक व प्लस टू स्तर की परीक्षा चल रही है. यह परीक्षा 5 से 7 जून तक चलेगी. इस परीक्षा में 1500 से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल हो रहे हैं. प्रथम सत्र सुबह 9:30 बजे से 12:30 बजे और द्वितीय सत्र 1 बजे से 4 बजे तक चल रहा है. झारखंड में कुल 15 परीक्षा केंद्र बनाये गये हैं. पूर्वी सिंहभूम जिले में तीन जगहों पर परीक्षा का केद्र बनाया गया है. जिसमें करनडीह, नरवापहाड़ कॉलोनी व बहरागोड़ा प्रमुख हैं. वहीं सरायकेला, धनबाद, बोकारो, देवघर, गोड्डा, दुमका, जामताड़ा में भी परीक्षा केंद्र बनाये गये हैं. आसेका झारखंड के महासचिव शंकर सोरेन ने बताया कि लोअर, हाईयर, मैट्रिक व प्लस टू स्तर की परीक्षा आयोजित किया जा रहा है. इस परीक्षा में 1200 से अधिक छात्राएं एवं 300 के करीब छात्र शामिल हो रहे हैं. अपनी मातृभाषा संताली में पठन-पाठन के प्रति महिलाएं सबसे ज्यादा जागरूक हैं.

सांस्कृतिक पुनरुत्थान व सामाजिक सशक्तिकरण का माध्यम
जमशेदपुर एसपी कॉलेज के संताली विभाग के प्रो. लखाई बास्के ने बताते हैं कि ओलचिकी लिपि में पठन-पाठन का क्रेज सिर्फ एक शैक्षिक पहल नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक पुनरुत्थान और सामाजिक सशक्तिकरण का माध्यम भी है. इससे संताली भाषा और समुदाय को एक नई दिशा मिलती है, जो उन्हें भविष्य में मजबूत और सक्षम बनाती है. ओलचिकी लिपि में पठन-पाठन के प्रति बढ़ती जागरूकता और युवा पीढ़ी में इसके प्रति क्रेज के कई फायदे हैं.

प्वाइंट टू प्वाइंट में जाने क्या है इसका लाभ

1.संस्कृति और पहचान की सुरक्षा:ओलचिकी लिपि संताली भाषा की मूल लिपि है. इसे सीखने और पढ़ने से युवा अपनी सांस्कृतिक पहचान और धरोहर को सुरक्षित रख सकते हैं.यह उन्हें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है और पारंपरिक ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद करता है.
2.भाषा का संरक्षण:ओलचिकी लिपि का उपयोग संताली भाषा के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह भाषा को विलुप्त होने से बचाता है.लिपि के माध्यम से भाषा का लिखित रूप में रिकॉर्ड बनता है, जिससे साहित्य और ऐतिहासिक दस्तावेज सुरक्षित रहते हैं.
3.शैक्षिक लाभ:अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने से विद्यार्थियों की समझ और सीखने की क्षमता में सुधार होता है। यह उनके बौद्धिक विकास को प्रोत्साहित करता है.बच्चों को संताली भाषा में पढ़ाई करने से उनकी मूलभाषा में पकड़ मजबूत होती है और वे अन्य भाषाओं को भी आसानी से सीख सकते हैं.
4.सामाजिक और सामुदायिक जुड़ाव:ओलचिकी लिपि के माध्यम से पढ़ाई करने से सामुदायिक एकता और सहयोग बढ़ता है. यह लोगों को एक साथ आने और सामूहिक पहचान को मजबूत करने में सहायक होता है. विभिन्न सामाजिक आयोजनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ओलचिकी लिपि का उपयोग समुदाय को एकजुट रखता है.
5.आत्मसम्मान और गर्व:अपनी भाषा और लिपि को जानने और उपयोग करने से युवा पीढ़ी में आत्मसम्मान और गर्व की भावना बढ़ती है. यह उन्हें अपनी संस्कृति पर गर्व महसूस कराता है. यह भावना उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित करती है.
6.साहित्यिक विकास:ओलचिकी लिपि का अध्ययन और प्रचार-प्रसार संताली साहित्य को समृद्ध बनाता है. इससे नई पीढ़ी के लेखक और कवि सामने आते हैं जो अपनी भाषा में साहित्य रचते हैं. यह साहित्यिक विकास संताली भाषा और साहित्य को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करता है.
7.करियर के अवसर:ओलचिकी लिपि में दक्षता प्राप्त करने से युवाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में करियर के नए अवसर खुलते हैं, जैसे कि शिक्षा, अनुवाद, मीडिया, और सरकारी सेवाएं.यह उन्हें उनकी भाषा और संस्कृति के प्रति प्रेम और सम्मान के साथ पेशेवर सफलता हासिल करने का मौका देता है.


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