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बिहार के 81 वर्षीय किसान ने छोड़ी थी सरकारी नौकरी, बौना आम और काजू की खेती करके जीते कई अवार्ड

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बिहार के एक बुजुर्ग किसान बौना आम और काजू की खेती कर रहे हैं और कई अवार्ड जीत चुके हैं. जानिए...

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दीपक राव, भागलपुर
बिहार के भागलपुर में एक व्यक्ति ने कभी नौकरी छोड़ किसानी को महत्व दिया. अब उनकी उम्र 80 साल के पार जा चुकी है लेकिन उनका मेहनत पूरी तरह रंग ला चुका है. किसान श्री व इनोवेटिव फार्मर का अवार्ड जीत चुके शाहकुंड अंबा के 81 वर्षीय मृंगेंद्र सिंह बरौनी रिफाइनरी में सरकारी नौकरी को छोड़कर काजू व बौना किस्म के आम की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं.

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छत पर लगा सकते हैं बौना आम का पौधा

इस उम्र में भी खेती में इनोवेशन की बात हो, तो मृंगेंद्र सिंह की आंखों में चमक देखते ही बनता है. अपना पूरा जीवन उन्होंने खेती को समर्पित कर दिया. मृगेंद्र सिंह ने बताया कि चार एकड़ में आम की खेती कर रहे हैं. इसमें जर्दालू, चौसा, फजली, बंबई, मालदह के अलावा बौना किस्म के आम की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसमें दिल्ली आइसीआर से अरुणिमा, श्रेष्ठ, लालिमा, प्रीतम, इरविन आदि लाकर खेती कर रहे हैं. इसे छत पर लगाने पर 200 पीस तक आम पा सकते हैं. खेत में लगाने पर 1000 पीस तक आम फलता है.

बगीचे में काजू की भी खेती कर रहे, मुनाफा कमाने का दे रहे मंत्र

उन्होंने बगीचे में काजू के 10 पेड़ लगाकर लोगों को बताया कि यहां भी काजू की खेती की जा सकती है. अब काजू फलने लगा है. अब तक 10 किलोग्राम काजू का फलन हो गया है. काजू की खेती को सरकारी स्तर पर बढ़ावा मिलेगा, तो किसानों को रोजगार मिल पायेगा. अधिक से अधिक मुनाफा भी कमा सकेंगे.

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1972 से 1990 तक किसान विद्यापीठ के संयोजक रह कर किसानों को कराया देश भ्रमण

मृगेंद्र सिंह कहते हैं कि वे आइटीआइ करके बरौनी रिफाइनरी में नौकरी किये, लेकिन खेती-किसानी की चाहत में नौकरी छोड़ दी. अब बौना किस्म के आम की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. आसपास के लोगों को बौना किस्म के आम का कलम तैयार करके देते हैं और खेती का गुर सिखाते हैं. उन्होंने बताया कि 1972 से 1990 तक भागलपुर-बांका संयुक्त जिले में किसान विद्यापीठ के संयोजक रहे. इस दौरान किसानों को खेती-किसानों में तकनीकी प्रयोग और आधुनिक खेती की जानकारी के लिए देश का भ्रमण कराया.

खेती-किसानी में तकनीकी प्रयोग को देख मिला प्रोग्रेसिव किसान का सम्मान

मृगेंद्र सिंह की खेती-किसानी में तकनीकी प्रयोग को देखकर दिल्ली में प्रोग्रेसिव किसान का सम्मान, कृषि विभाग, भागलपुर में 2007 में तत्कालीन कृषि मंत्री के हाथों किसानश्री का सम्मान मिला. इसके बाद बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में इनोवेटिव किसान का सम्मान मिला.

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