27.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 03:13 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

झारखंड में लुप्तप्राय हो गये औषधीय गुणों वाले सात पेड़-पौधे

Advertisement

धरती पर इंसानों के हस्तक्षेप से जंगल, पेड़-पौधे, नदी-नाले, पोखर व प्रकृति का लगातार नुकसान हो रहा है. यही कारण है कि जीव-जंतु और वनस्पतियों की प्रजातियां धीरे-धीरे लुप्त या फिर विलुप्ति के कगार पर हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

जैव विविधता दिवस

अभिषेक

रॉय.

जैव विविधता शब्द ही जीव और उनकी विविध शृंखला का संदेश देता है. इसमें सभी का जीवन चक्र एक खास पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर है. इसमें संतुलन बना रहे इसके लिए जीव जगत के सभी आयामों का समान रूप से संरक्षण जरूरी है. जबकि, धरती पर इंसानों के हस्तक्षेप से जंगल, पेड़-पौधे, नदी-नाले, पोखर व प्रकृति का लगातार नुकसान हो रहा है. यही कारण है कि जीव-जंतु और वनस्पतियों की प्रजातियां धीरे-धीरे लुप्त या फिर विलुप्ति के कगार पर हैं. इसे देखते हुए इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आइयूसीएन) प्रत्येक वर्ष 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाता है. इस वर्ष का थीम है : जैव विविधता के संरक्षण में आम लोगों की भागीदारी. इसका उद्देश्य धरती से लुप्तप्राय, विलुप्ति के कगार पर या फिर संकटग्रस्त विविध प्रजातियों का संरक्षण है.

झारखंड के सात पेड़-पौधे लुप्तप्राय, जो औषधीय गुणों से भरपूर थे

आइयूसीएन और झारखंड जैव विविधता पर्षद ने राज्य के विभिन्न पेड़-पौधों का सर्वेक्षण किया है. स्थिति दयनीय है. आंकड़े बताते हैं कि राज्य के विभिन्न इलाकों में पहले आसानी से पाये जाने वाले पेड़-पौधे शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण लुप्तप्राय की स्थिति में आ गये हैं. पिछले 10 वर्षों की तुलना में राज्य के सात पेड़-पौधे को आइयूसीएन ने लुप्तप्राय घोषित कर दिया है. इनमें बेल, कनेल, रसभरी, धतुरा, सफेद चंदन, पोड़ासी और अशोक का पेड़ शामिल हैं. ये सभी पेड़-पौधे स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने गये हैं. रसभरी के फल को कैंसर जैसे गंभीर बीमारी से दूर रखने में कारगर माना गया है. वहीं, पोड़ासी के पेड़ का पत्ता बिच्छू के डंक से बचाने में कारगर है. कनेल के फूल से श्वसन तंत्र को मजबूती मिलती है. इधर, चाईबासा के सारंडा, हजारीबाग, दलमा और लातेहार के जंगल में मिलने वाले सफेद चंदन के पेड़ अब पूरी तरह लुप्त हो गये हैं.

संकटग्रस्त की सूची में भी सात पेड़-पौधे

इसके अलावा वर्ष 2023-24 के सर्वेक्षण के दौरान राज्य में मिलने वाले सात पेड़-पौधे को अब संकटग्रस्त की सूची में शामिल किया गया है. इसमें सर्पगंधा, सोना छाल, काला शीशम, शीशा, संदन, जंगली बादाम और अरेयी के पेड़ शामिल हैं. वनस्पति शोधकर्ता के अनुसार सर्पगंधा के फल से दवाइयां तैयार होती हैं, जिसके सेवन से कब्ज, बदहजमी, अपच और पेट की कृमि से निजात मिलता है. वहीं, सोना छाल के एक बीज को गर्म पानी में उबाल कर पीने से शरीर में कैंसर सेल विकसित नहीं होता. साथ ही व्यक्ति को हार्ट अटैक से दूर रखता है. वहीं जंगली बादाम में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है.

राज्य में चिह्नित हुए संकटग्रस्त नौ पक्षी

एशियन वाटर बर्ड सेंसस, झारखंड जैव विविधता परिषद और वन विभाग ने जनवरी 2024 में राज्य के प्रवासी पक्षियों की गणना की. इसमें 88 जलीय पक्षी और 44 ऐसे पक्षी चिह्नित हुए, जो पानी के आस-पास रहते हैं. नौ पक्षियों की प्रजातियों को भी चिह्नित किया गया, जिसे आइयूसीएन ने संकटग्रस्त घोषित कर दिया है. इनमें एशियन वुल्ली नेकेड स्टॉर्क, ब्लैक हेडेड इबिस, फेरुजिनस डक, फुलवस व्हिस्लिंग डक, लेस्सर एडजुटेंट स्टॉर्क, ओरिएंटल डार्टर, रिवर लैपविंग, रिवर टर्न और वेस्टर्न मार्शल हैरिर शामिल हैं. इन प्रवासी पक्षियों को साहेबगंज, रांची, लोहरदगा, गुमला और रामगढ़ में देखा गया है.

2021 के बाद नहीं दिखे हैं गिद्ध

पर्षद की ओर से किये गये सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है कि राज्य से अब गिद्ध की प्रजातियां विलुप्त हो गयी हैं. 2021 के बाद राज्य में गिद्ध की छह प्रजातियां नहीं दिखी हैं. इनमें व्हाइट रंपड वल्चर, रेड हेडेड वल्चर, हिमालयन वल्चर, इंडियन वल्चर, इजिप्शियन वल्चर और ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क यानी गरुड़ शामिल हैं. जबकि, फरवरी 2023 में लोहरदगा में 149 वर्ष बाद कछमाछी स्थित नंदी धाम में लेस्सर एडजुटेंट स्टॉर्क को देखा गया. वाइल्ड लाइफ बायोलॉजिस्ट संजय खाखा ने इसे बर्ड वाॅचिंग के दौरान चिह्नित किया था.

- Advertisement -

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें