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रोजगार के अभाव में पलायन करने पर मजबूर युवा

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बिरनी प्रखंड में कल कारखाना नहीं रहने के कारण युवाओं को रोजगार का साधन नहीं मिल रहा है. इसके कारण बिरनी के हजारों युवा महानगरों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं.

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रणवीर वर्णवाल, बिरनी.

बिरनी प्रखंड में कल कारखाना नहीं रहने के कारण युवाओं को रोजगार का साधन नहीं मिल रहा है. इसके कारण बिरनी के हजारों युवा महानगरों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं. बावजूद इस ओर किसी भी जन प्रतिनिधियों का ध्यान नहीं है. जबकि चुनाव आते हैं और जनप्रतिनिधि बड़े बड़े वादे करके चले जाते हैं. लेकिन चुनाव के बाद वापस लौट कर देखने नहीं आते है. यही नहीं बिरनी में एक भी बड़ा डैम या तालाब नहीं है, जिससे कि सालों भर खेती की जा सके. यही कारण है कि लोगों को मजदूरी भी नहीं मिलती है.

त्योहारों में गांव की गलियों में लौट आती है खुशियां

सैकड़ों की संख्या में युवा पेट पालने के लिए गांव छोड़कर महानगरों में पलायन करते है. जब त्योहार आता है, तो युवा लोग अपने-अपने घर को लौटते हैं. एक सप्ताह 15 दिन घर में रहकर पुनः पलायन कर जाते हैं. युवा जब त्योहारों में घर आते हैं तो गावों की गलियों में खुशियां लौट आती हैं. लेकिन, जैसे ही युवा गांव छोड़कर शहर चले जाते है. गांव की खुशियां ही गायब हो जाती है. सड़कें वीरान हो जाती है.

पुत्र व पति की एक झलक देखने के लिए पथरा जाती हैं आंखें

बता दें कि पलायन कर महानगरों में नौकरी करने वाले युवा घर को छोड़ने के बाद आठ माह से एक वर्ष तक घट नहीं लौटते हैं. इसके कारण माता-पिता, पत्नी की आंखें उसे देखने के लिए पथरा जाती हैं. बच्चे भी पिता को देखने की जिद करते हैं, लेकिन पेट पालने के मजबूरी में युवा अपने घर नहीं आ पाते हैं. पूरे परिवार को उनके सही-सलामत रहने की चिंता लगी रहती है.

क्या कहते हैं बिरनी वासी

आजादी के 75 वर्षों से जनप्रतिनिधि वादा करते आ रहे हैं. लेकिन, दुर्भाग्य है कि आज तक बिरनी में एक भी कल कारखाना नहीं खुल पाया है. युवा बेरोजगार महानगरों में काफी कष्ट व गाली सुनकर गुजर बस कर रहे हैं. कहा कि मैं भी मुंबई में रहा हूं और लोगों के दर्द को जानता हूं.

सुखदेव साव, मनिहारी

झारखंड खनिज संपदा से परिपूर्ण होने के बावजूद यहां के युवा बेरोजगार हैं और पलायन पर मजबूर हैं. कोडरमा अबरख नगरी होने के बावजूद इसका खनन नहीं हो पा रहा है और ना ही किसी तरह का कारखाना लगाने में जन प्रतिनिधियों ने दिलचस्पी दिखायी है.

सुरेंद्र वर्मा, बोरोटोला

झारखंड खनिज संपदा से परिपूर्ण है, लेकिन क्षेत्र में कोई कल कारखाना नहीं है. मनरेगा में भी अगर कमीशनखोरी बंद कर मजदूरों उचित मजदूरी मिले तो लोग मजदूरी कर पेट भर सकते हैं. लेकिन, इसके प्रति भी कोई गंभीर नहीं है. मजबूरी में युवा पलायन कर रहे हैं.

नारायण यादव, अरारी

बिरनी के काफी संख्या में लोग पढ़ लिखकर बेरोजगार हैं. बेरोजगारी के कारण लोग बड़े बड़े शहरों में मजदूरी कर पेट पाल रहे हैं. राज्य के अलग होने में 24 वर्ष बीतने के बाद आज तक बिरनी प्रखंड या फिर बगोदर विधानसभा में मजदूरी के लिए कोई विकल्प नहीं मिला है.

सिकंदर वर्मा, जरीडीह

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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