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बच्चों के पठन-पाठन को रुचिकर बनाना चहक का उद्देश्य

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सरकारी प्रारंभिक स्कूलों में पहली कक्षा में नामांकित बच्चों पर किताबों का बोझ न देकर खेलों के जरिए शिक्षा से जोड़ा जायेगा.

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समस्तीपुर : सरकारी प्रारंभिक स्कूलों में पहली कक्षा में नामांकित बच्चों पर किताबों का बोझ न देकर खेलों के जरिए शिक्षा से जोड़ा जायेगा. इसके लिए सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा के बच्चों के लिए तीन माह का स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम चहक की शुरुआत 20 मई से की जायेगी. इसके लिए चयनित शिक्षकों को दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण भी दिया गया है. जिले के सभी 20 प्रखंडों से एक-एक पूर्व के प्रशिक्षित सहित दो शिक्षक प्रशिक्षण में शामिल हुए. इन्हें बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान का प्रशिक्षण दिया गया है. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि वर्तमान समय में विद्यालय के प्रारंभिक कक्षा में पढ़ाने वाले शिक्षकों को को आनंदमय वातावरण में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान देने की आवश्यकता है, ताकि 3 से 9 आयु वर्ग के बच्चों को विद्यालय वातावरण में जोड़ा जा सके. पहली कक्षा के बच्चे पहली दफा विद्यालय की दहलीज पर कदम रखते हैं तो उनके मन में उत्साह, जिज्ञासा, डर, संकोच सहित कई भाव होते हैं. बच्चों को पहले तीन महीने के कोर्स में खेल-खेल में मैं और मेरा परिवार, स्मृति वाले खेल, सृजनात्मक गतिविधियां, बिंदु मिलान, कहानियों की किताबें देखने, कहानी सुनाने और सुनने, खिलौनों और ब्लॉक्स से खेलना, मोतियों को पिरोना, चित्रों पर बीज रखना जैसे चीजों को बताकर उनकी रुचि के खेल बताये जायेंगे. ताकि वे स्कूल अपनी इच्छा और उमंग से आयें.

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तीन महीने का कोर्स, खेल-खेल में पढ़ाई

डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने बताया कि जब बच्चे पहली कक्षा में प्रवेश लेते हैं तो वह अनुकूल वातावरण की तलाश करते हैं. ऐसे में यदि उन्हें अनुकूल माहौल नहीं मिलता है तो वे विद्यालय में असहज महसूस करने लगते हैं. इसलिए बच्चों के ठहराव एवं उन्हें अंतिम घंटी तक सक्रिय बनाये रखने के लिए इस चहक मोड्यूल में कुल 140 गतिविधियां हैं. इनके माध्यम से बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जायेगा. भाषा विकास और संख्यात्मक विकास गतिविधियां रोज होगी, शारीरिक एवं सामाजिक भावनात्मक विकास की गतिविधियां एक दिन गैप कर होंगी, पांचवें दिन यानी शुक्रवार को सप्ताह में किसी छूटे हुई या अपूर्ण गतिविधि को कराया जायेगा. शनिवार को बच्चे के मन से नाम दिया गया है जिसमें बच्चों की इच्छा के अनुसार कोई भी गतिविधि करवाई जा सकती है. चहक कार्यक्रम के तहत हर प्राइमरी स्कूलों में पहली कक्षा के बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक को नोडल शिक्षक के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है. प्रशिक्षित शिक्षक पहली कक्षा में नामांकित बच्चों को स्कूल की तैयारी संबंधी गतिविधियों व क्रियाकलापों का संचालन करेंगे. गतिविधियों में भाग लेने से पहली कक्षा के बच्चों को स्कूल के माहौल में ढलने तथा अपने सहपाठियों से सामंजस्य बनाने में मदद मिलेगी. अक्सर पहली कक्षा में दाखिला लेने वाले बच्चे विद्यालय आने से डरते हैं या फिर आ भी जाते हैं तो वह पढ़ाई में रुचि नहीं लेते हैं. ऐसे में चहक कार्यक्रम इन बच्चों को न सिर्फ आकर्षित करेगा बल्कि सिखाने की पद्धति को रोचक भी बना देगा. इस मॉड्यूल के तहत बच्चों को सीखने सिखाने की प्रक्रिया को सरल सहज और मनोरंजक बनाना है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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