19.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 09:51 pm
19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Saharsa News : नहर सूखने के साथ ही किसानों की समृद्धि पर लगा ग्रहण

Advertisement

नहर से सिंचाई शुरू होने के बाद सहरसा जिले के किसानों में खुशहाली आ गयी थी. लेकिन 1990 के बाद कोसी प्रोजेक्ट निष्क्रय हो गया. नहरों में पानी आना बंद हो गया. किसान फिर से गरीब हो गये. अब पंपसेट से किसी तरह किसानी कर रहे हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Saharsa News : राजेश कुमार सिंह, पतरघट. किसानों ने अपनी जमीन देकर 1962 में नहर का निर्माण करवाया था. सरकार की सहायता से कम फसल देने वाली जमीन सोना उगलनेलगी. किसान खुशहाल हो गये. यहां तक कि खेती के आगे लोग सरकारी नौकरी भी छोड़देते. लेकिन 1990 आते-आते नहर में पानी छोड़ने को जिम्मेदार कोसी प्रोजेक्ट ठप पड़ गया. भवनों में थाने खुल गये. किसान फिर से असहाय हो गये. अब पंपसेट से खेती करने को मजबूर हैं. सूखी पड़ी नहर ने किसानों की समृद्धि पर ग्रहण लगा दिया है.

- Advertisement -

1964 में नहर में छोड़ा गया था पानी

सहरसा के पतरघट प्रखंड में किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए समुचित साधन नहीं थे, तो पूर्व में सरकारी स्तर से सिंचाई विभाग की स्थापना की गयी. सिंचाई के लिए नहर के माध्यम से पानी मुहैया कराने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार व बिहार सरकार द्वारा संयुक्त रूप से इस क्षेत्र में नहर का निर्माण कार्य शुरू किया गया. वर्ष 1960 में विशेष भू अर्जन विभाग द्वारा नहर निर्माण कार्य के लिए किसानों की जमीन अधिगृहीत की गयी थी. इसके बदले भूस्वामी को राशि का भुगतान किया गया था. कोसी बराज से तीन मुख्य नहरों की शाखा निकली, जो जेबीसी अररिया शाखा नहर, जेबीसी जानकीनगर शाखा नहर व मुरलीगंज शाखा नहर को पूर्ण होने में लगभग चार साल लगे. खास कर मुरलीगंज शाखा नहर से सोनवर्षा राज उपवितरणी शाखा नहर शाहपुर का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ. इसके बाद वर्ष 1964 में नहर में पानी छोड़ा गया था. नहर में पानी देख उस समय किसानों के बीच खुशी का ठिकाना नहीं रहा. नहर में पानी आने से पूर्व सिंचाई के अभाव में किसानों की स्थिति अच्छी नहीं थी.

मरूआ, मक्का, अल्हुवा, कुर्थी, जौ व बाजरा की होती थी खेती

नहर निर्माण से पूर्व क्षेत्र में मरूआ, मक्का, अल्हुवा, कुर्थी, जौ, बाजरा उपजा कर यहां के किसान अपना गुजारा करते थे. नहर में पानी पहुंचते ही किसानों की आमद बढ़ी. इस इलाके के किसान नहर के पानी से खेती कर अच्छी उपज होने से अपने को खुशहाल समझने लगे. परिवार का भरण-पोषण व बच्चों की पढ़ाई शुरू कर दी. उस समय नौकरी या व्यवसाय के सामने लोग खेती को ही प्राथमिकता दे रहे थे. नहर में नियमित पानी रहने पर इस इलाके के किसान धान, गेहूं, मक्का, मूंग, पटुआ सहित विभिन्न प्रकार की फसल लगाकर कम खर्च पर अधिक मुनाफा ले रहे थे. नहरों की साफ-सफाई व देखभाल हो रही है. किसानों को खेती के लिए ससमय पानी मुहैया कराने के लिए पस्तपार, पतरघट, भर्राही, किशनपुर, गढ़बाजार में कोसी प्रोजेक्ट के आवासीय काॅलोनी का निर्माण पूर्ण किया गया. यहां से सिंचाई विभाग के अभियंता सहित दर्जनों कर्मी पानी की निगरानी करते थे. किसानों को रकबा के अनुसार मामूली रकम देनी पड़तीथी.

हरियाली पर वर्ष 1990 से लगा ग्रहण

किसानों की हरियाली पर वर्ष 1990 से सरकारी व प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के कारण ग्रहण लगना प्रारंभ हुआ. समय से किसानों को पानी मुहैया नहीं होता. इसके बाद किसानों ने पंपसेट का सहारा लेना प्रारंभ किया. जनवरी 1993 में सरकारी स्तर से पतरघट कोसी प्रोजेक्ट के भवन में प्रखंड अंचल एवं थाना का शुभारंभ किया गया. जबकि पस्तपार के भवन में शिविर का संचालन शुरू किया गया. सिंचाई विभाग द्वारा सोनवर्षाराजउपवितरणी शाखा नहर की करोड़ों रुपये की लागत से मिट्टी उड़ाही के बजाय जंगलों की साफ-सफाई की गयी. सरकारी राशि का बंदरबांट हो गया. जबकि नहर के दोनों तरफ स्थानीय ग्रामीणों द्वारा अवैध रूप से कब्जा हो गया. नहर के हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. किसानों को नहर में पानी छोड़े जाने की उम्मीद अभी भी लगी रहती है.

बेकार पड़ी नहर का हो रहा अतिक्रमण

अब यह सूखी नहर यहां के किसानों के लिए अभिशाप-सी बन गयी है. किसान पंपसेट का सहारा लेकर महंगी खेती के लिए विवश हो रहे हैं. खेतों में उपज भी कम हुई है. नहर के लिए किसानों की अधिगृहीत की गयी जमीन बेकार पड़ीहै. इसका भी अतिक्रमण हो रहा है. नहर में पानी नहीं रहने से सिंचाई की समुचित सुविधा नहीं मिल पा रही है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें