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चुनाव के समय ही होती है किसानों की बातें

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कृषि व किसानों की दशा में सुधार के लिए दर्जनों योजनाएं चलाई जा रही है. बावजूद इसके किसानों की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है. क्षेत्र में सिंचाई की समस्या अब भी किसानों के लिए परेशानियों का सबब बना हुआ है.

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जीरादेई. कृषि व किसानों की दशा में सुधार के लिए दर्जनों योजनाएं चलाई जा रही है. बावजूद इसके किसानों की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है. क्षेत्र में सिंचाई की समस्या अब भी किसानों के लिए परेशानियों का सबब बना हुआ है. नहर होने के बावजूद भी उसमें समय से पानी नही आता है. प्रखंड के विजयीपुर, उड़ियानपुर, हरिपुर, पंडितपुरा सहित कई स्थानों पर तो नहर विलुप्त की कगार पर है. वहीं मैरवा प्रखंड के सेवतापुर से लक्ष्मीपुर, कुल्दीपा व पुखरेड़ा गांव को जोड़ने वाली पईन विलुप्त हो गई है. जिसके कारण प्रखंड क्षेत्र के किसान आज भी परमात्मा पर आश्रित हो खेती करने को विवश हैं. चुनावी मौसम में गांव के चौक चौराहों पर विभिन्न राजनीतिक दलों की जुबान से किसानों के लिए हितकारी बातें अन्य मुद्दों को ओझल कर जाती है. जिस तरह से तमाम राजनीतिक दल किसानों की दुर्दशा का व्याख्यान करते है. चुनाव बाद इस समस्या के समाधान की शायद ही कोई चर्चा होती है.जिस वजह से आज भी यहां के किसानों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. आलम यह है कि यहां के किसान कर्ज लेकर खेती कर अच्छी पैदावार नहीं कर पाते और ना ही अपने परिवार का भरण पोषण कर पा रहे हैं. परिणाम स्वरूप कई किसान खेती छोड़ने को विवश हो रहे हैं. किसान परिवार के भरण पोषण के लिए पलायन कर रहे है. वहीं क्षेत्र के किसान बढ़ती महंगाई को लेकर भी परेशान हैं. महंगाई का सीधा नुकसान किसानों की स्थिति पर पड़ता है. किसानों की मानें तो कृषि में आधुनिक तकनीकी का प्रयोग व बेहतर कृषि प्रबंधन से इनकी आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकता है. जब तक किसानों को रबी और खरीफ के मॉडल से बाहर नहीं निकाला जाएगा, तब तक किसानों की बेहतर स्थिति हो पाना असंभव है. राजनीतिक दल चुनाव में लोगों को गुमराह कर अपना स्वार्थ सिद्ध किए है.चुनाव में ही किसानों की दुर्दशा नेताओं को दिखाई देती है.संसद बन जाने के बाद नेता अपने एजेंडे को भूल जाते है. अजय यादव क्षेत्र में सबसे विकट समस्या सिंचाई की है. यदि वास्तव में किसानों की समस्या हल करनी है, तो उनके लिए सिंचाई की व्यवस्था की जानी चाहिए. फसल का सही दाम मिलने की दिशा में सकारात्मक पहल किए जाने की आवश्यकता है. आशुतोष कुमार किसानों के लिए ऐसी व्यवस्था हो कि उन्हें कर्ज लेना ही न पड़े. किसानों के आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के लिए शासन को उन्हें जागरूक करना चाहिए. जिन फसलों, फलों या सब्जियों की बाजार में ज्यादा मांग है, उनकी खेती को ही किसान अपनाएं. अनुप गिरि सभी राजनीतिक दल सिर्फ कुर्सी पाने के लिए चुनावी मौसम में किसानों के हित की बातें करते हैं. चुनाव बाद अक्सर नेता किसानों को भूल जाते हैं. मनोज सिंह

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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